कब्ज़ एक ऐसा दुश्मन जो आपके शरीर को बीमार कर देता है।
कब्ज़ की समस्या कई भयानक बीमारियों की जड़ है। आधुनिक समय में ये बीमारी लोगों में बढ़ रही है। पहले इसे बड़ी उम्र के लोगों की समस्या माना जाता था पर आज कब्ज़ की समस्या हर आयु वर्ग की लोगों में हो रही है। इसका प्रमुख कारण ख़राब जीवनशैली और गलत खानपान है। अगर शुरूवात में कब्ज़ की समस्या को अनदेखा करेंगे तो भविष्य में ये बड़ी समस्या बन सकती है।
आमतौर पर लोग कब्ज़ की समस्या पर ध्यान नहीं देते या तो आपस में इस पर चर्चा करते हुए शरमाते है उन्हें डर रहता है की कोई उनका मजाक न बनाये और क़ब्ज़ की समस्या का उपचार करने में लापरवाही बरतते है क्योकि लोग समझते है ये तो छोटी मोटी सी समस्या है। बड़े बड़े महानगरों में कब्ज़ की समस्या ज़्यादा फैली हुई है क्योकि लोग ज्यादा व्यस्त होने के कारण भूख लगने पर कुछ भी खा लेते है जिसे खामयाजा उनके पेट को उठाना पड़ता है। अक्सर सर्दी खांसी के बाद भी कब्ज़ की समस्या हो जाती है। शहरों में लोग देर रात भोजन करते है और खाना खा के सीधा बिस्तर में जा कर सो जाते है जबकि उन्हें खाना खा कर थोड़ा टहलना चाहिये ताकि खाना आसानी से पच जाए। कब्ज की समस्या का एक कारण पानी और तरल पदार्थ की कम मात्रा और फाइबर वाली चीजों का कम सेवन करना है। अलग अलग रिसर्च के अनुसार यदि लम्बे समय तक कब्ज के समस्या रहती है तो डायबिटीज , रक्तचाप बवासीर अल्सर ,पेट दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कब्ज़ की समस्या के कारण नींद न आने की समस्या और स्वभाव में चिड़चिड़ापन हो जाता है
क्या है ये कब्ज़ की बीमारी ये हमारे पाचनतंत्र की समस्या है जब काफी समय अंतराल मल का त्याग नहीं होता है या मल त्यागने में दर्द और परेशानी होती है। मल कड़ा और कम आता है , को कब्ज़ की समस्या कहा जाता है। यदि एक हफ़्ते में तीन बार या इससे ही कम बार मल का त्याग होता है को ही कब्ज कहा जाता है। इस अवस्था में यदि समस्या का निवारण नहीं किया तो समस्या गंभीर हो सकती है।
कब्ज़ के प्रकार कब्ज दो प्रकार की होती है पहली समस्या पुरानी क़ब्ज़ है इसमें पेट में भारीपन रहता है साथ ही मल कड़ा और मल त्यागने में दर्द होता है। मल त्यागने के बाद भी लगता है की पेट साफ़ नहीं हुआ है और पेट में भारीपन रहता हैऔर पेट ने गैस की समस्या हो जाती है तथा चेहरे की रौनक ख़तम हो जाती है।
पुरानी कब्ज़ या गंभीर कब्ज़ जब कई दिनों तक मल नहीं निकलता तथा पेट में गैस भर जाती है और वो भी भर नहीं निकलती ऐसी कब्ज़ की स्थिति गंभीर मानी जाती है क्योकि इस अवस्था में शरीर पर कई गंभीर प्रभाव हो सकते है।
कब क्यों और कैसे होती है
- आधुनिक जीवन की व्यस्त दिनचर्या में अकसर लोग भूख लगने पर कुछ भी खा लेते है यानि ऐसा खाना जो स्वास्थय की दृष्टि से हानिकारक होता है जैसे मैदा से बनी चीजें , या ऐसा खाद्य पदार्थ जिसमे फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है। फाइबर का काम भोजन को आसानी से पचना और भोजन को आसानी से आगे ले जाता है। फाइबर शरीर से हानिकारक तत्वों को सोख कर शरीर से बाहर करता है। यदि खाने में फाइबर की मात्रा कम ली जाए तो कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
- देर रात को भोजन करके सो जाना या शारीरिक श्रम कम करना और ऐसा भोजन करना जिसमे पोषकता कम हो आदि। देर रात खाया भोजन देर से पचता है।
- जिन लोगो के, रीढ़ की हड्डी में दर्द या पैर और घुटने में दर्द रहता है जिसके कारण वो चलने और फिरने में असमर्थ होते है उन लोगो को कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
- आजकल लोगो में जंक फ़ूड सेवन करने का खूब चलन है युवा पीढ़ी पिज़्ज़ा बर्गर आदि जैसी चीजें खूब स्वाद लेकर खाते है जिसके कारण भी कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
- कई बार छोटे को जब मलत्याग करने की प्रक्रिया को सिखाया जाता है तब वो इस प्रक्रिया से घबरा कर मल रोक लेते है जो कब्ज बन जाती है।
- मौसम बदलने के कारण खानपान की चीजों में बदलाव आता है इस बदलाव से कब्ज़ की समस्या हो सकती है। तरल पदार्थों का सेवन कम करने से कब्ज की समस्या हो सकती है। क्योकि खाने को आहार नली और आंतो तक पहुंचने के लिए तरल पदार्थ की जरुरत होती है यह काम पानी ही सबसे अच्छी तरह कर सकता है यदि पानी कम मात्रा में पिया जाए तो कब्ज़ की समस्या हो सकती है अक्सर सर्दियों के मौसम में ये समस्या बढ़ जाती है क्योकि सर्दियों में लोग पानी का सेवन कम करते है।
- हाइपोथाइरॉएडिज्म ये थाइरॉएड की समस्या है इसमें थाइरॉएड ग्रंथि निष्क्रिय होने लगती है जिससे मेटाबॉलिजम कम काम करता है इससे थकान तेजी से वजन बढ़ना कब्ज़ की समस्या होने लगती है इस अवस्था में डॉक्टर की सलाह जरुरी हो जाती है।
- कई बार कई जरुरी जिनमे दर्द की दवाएं या खास तरह की बीमारी की दवाओं के कारण भी कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
- नींद की कमी या कम सोने के कारण हमारी पाचन तंत्र पर इसका असर पड़ता है जिसके कारण कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
- दूध या दूध से बनी चीजों से कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
- गर्भावस्था में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स के स्त्राव से मांसपेशियों में संकुचन होता है और आंतो तक भोजन धीमी गति से पहुँचता है और इस दौरान महिलायें आयरन अधिक लेती है जिसके कारण से भी कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
- ज्यादा मात्रा में विटामिन , आइरन , कैल्सियम के सप्लीमेंट्स लेने से ही कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
यदि कब्ज की समस्या है तो कुछ घरेलू उपाय द्वारा इसे दूर किया जा सकता है।
जैसे दिन की शुरुवात निम्बू पानी से करे इससे शरीर के हानिकारक तत्व बाहर निकल जाते है।
रात को दूध के साथ पेट आरंडी का या जैतून का तेल एक चमच्च ले।
पपीता कब्ज की समस्या में रामबाण की तरह से काम करता है इसका नियमित सेवन से कब्ज़ की समस्या में रहत मिलती है।
आलसी के बीजो का चूरन का इस्तेमाल करे।
त्रिफ़ला का पाउडर का नियमित सेवन भी कब्ज में कारगर सिद्ध हो सकता है
बेरी , बादाम, ओट्स ,संतरा,ब्राउन राइस , फल सब्जियाँ आदि का सेवन करना चाहिए।
मयूरासन अर्धमत्सेंद्रासन , हलासन , पवनमुक्त आसान , तितली मुद्रा आदि योगासन द्वारा अब्ज की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
यदि कब्ज़ की समस्या अधिक दिन तक बनी हुई है तो चिकित्सक सलाह लेनी चाहिए और निम्न जाँच करानी चाहिए।
कब्ज़ की समस्या के लिए कुछ जरुरी टेस्ट यदि कब्ज़ की समस्या अधिक और कई दिनों तक बनी हुई है तो ये इन जांचो को कराना चाहिए ताकि समस्या का निदान हो सके।
मारकर जाँच -- इस जाँच में डॉक्टर खास तरह की दवा देता है फिर शरीर का एक्स -रे लिया जाता है जिससे पता चलता है की शरीर कैसे काम कर रहा है और पेट की सही स्थिति का पता चलता है।
एनोरेक्टल मैनोमेट्री इस टेस्ट में मलद्धार में एक ट्यूब डाल कर शरीर की मांसपेशियों की जाँच की जाती है।
बेरियम एनीमिया टेस्ट -- इस टेस्ट में लगभग 12 घंटे मरीज को खूब सारा पानी पिलाया जाता है फिर एक्सरे से जाँच की जाती है जिससे आंतो और मलाशय की स्थिति से समस्या का पता लगाया जाता है।
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