Thursday, March 26, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं

शरीर रहे स्वस्थ : पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं: पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं  पैर भी हमारी सेहत का आईना है जो हमारे शरीर में होने वाली परेशानियों को बता देते है। हमारे प...

पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं

पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं 

पैर भी हमारी सेहत का आईना है जो हमारे शरीर में होने वाली परेशानियों को बता देते है। हमारे पैरों से हमारे शरीर की बिमारियों  के संकेत मिलते है जो  एक तरह की खतरे की घंटी होते है जो हमें बताते है की कही कुछ खराबी है। यदि हम इन संकेतों पर समय रहते  ध्यान दे तो शरीर में हो रही बिमारियों का इलाज समय पर करा सकते है।
सूखे पपड़ीदार पैर -----  यदि आपके पैर तेल आदि लगाने के बाद भी सूखे सूखे पपड़ीदार रहते है तो ये लक्षण थाइराइड की और इशारा करते है। यदि ऐसा आपके साथ हो रहा है तो तुरंत अपना थाइराइड टेस्ट करवाए।
पैर का जख्म ----- यदि कई दिनों तक आपका पैर का जख्म सही नहीं हो रहा है इसका कारण खून में शुगर की मात्रा अधिक होने का यानि डाइबिटीज का लक्षण हो सकता है।  डाइबिटीज में खून की नसें कमजोर और क्षतिग्रस्त हो जाती है जिसके कारण पैरों में ज्यादा परेशनियाँ होती है।  इसलिए अपने खून की जाँच करवाए।
Image result for pero me sujan aane ka karan kidneyपैरों में ऐठन ----- यदि आपके पैरों में ऐठन होती है तो इसका मतलब आपके शरीर में किसी तरह के तरल पदार्थ की कमी है या आपके पैरों का ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं हो रहा है। ये भी डाइबिटीज के कारण हो सकता है।
पैरो के अँगूठों में दर्द ----- यदि पैरों के अँगूठों में दर्द रहता है तो ये इस बात का संकेत है की आपके शरीर में प्यूरिन (एक प्रकार का केमिकल होता है जो कुछ खाद्य पदार्थों जैसे मीट , मछली ,कुछ तरह के अलकोहल  में होता है। ) की मात्रा ज्यादा है। प्यूरिन शरीर में यूरिक एसिड को बढ़ा देता है। यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा होना हमारे शरीर के लिए हानिकारक है। इसके लिए हमें ऐसे आहार को कम करना होता है जो हमारे शरीर में यूरिक एसिड बढ़ाते है।  
पैरों की उँगलियों का आगे से चौड़ा और मोटा होना ---- यदि पैरों की उँगलियों का आगे का हिस्सा चौड़ा और मोटा हो तो ये फेफड़ों में संक्रमण ,हार्ट प्रॉब्लम ,या आंतों की बीमारी का संकेत है। डॉक्टर से मिलकर सभी आवश्यक जाँच करनी चाहिए।
Image result for dharidar nakhunपैरों के पीले नाख़ून ---- पैरों के पीले नाखून इस बात का संकेत करते है कि आपके शरीर में किसी तरह की कोई बीमारी है जैसे स्किन संबंधी बीमारी या कैंसर की बीमारी। यदि ऐसा हो तो अपने डॉक्टर से जरूर मिले।
पैरों के अंगूठे पर लाल धारियों का होना ----- पैरों के अंगूठे पर लाल धारियों का होना मतलब हार्ट में इन्फेक्शन होना है ऐसा तब होता है जब हार्ट वेन्स टूट जाती है। कीमोथेरिपी ,एचआईवी या डाइबिटीज का संकेत होता है यदि ऐसा नजर आये तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।
Image result for pero me sujan aane ka karan kidneyपैरों में सूजन ---- यदि पैरों में सूजन किडनी से जुडी कोई समस्या या एनीमिया हो सकता है यदि पैरों में झनझनाट हो ये डाइबिटीज या कम बलूड़सर्कुलेशन के भी लक्षण हो सकते है।
पैरों में बदबू का आना ---- यदि पैरों में बदबू आती है तो ये पैरों में इन्फेक्शन की और इशारा करते है। पैरों के इन्फेक्शन में पैरों में खुजली होना, छाले होना ,उँगलियों के बीच सूखापन या सूजन होना। इसके लिए डॉक्टर की सलाह ले। 

Tuesday, March 24, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...: डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है।  आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत ख...

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...: डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है।  आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत ख...

डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है

डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है। 

आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत खान पान और गलत जीवन शैली के कारण एक बीमारी लोगों को घुन की तरह खा रही है वो है डाइबिटीज। डाइबिटीज को धीमी मौत भी कहा जाता है। Image result for sugar test
क्या है डाइबिटीज ------ डायबिटीज एक तरह का शारीरिक विकार जो की अनेक प्रकार की बिमारियों का कारण है  जिसमे जब  शरीर की पैंक्रियास  में इन्सुलिन जब कम मात्रा में पहुँचता है जिसके कारण खून में ग्लूकोज़ ज्यादा  मात्रा में बढ़ जाता है। जिसके कारण शरीर सही प्रकार से भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित नहीं कर पाता  है और ग्लूकोज़ की बढ़ी  मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचाने  लगती है। इन्सुलिन एक प्रकार का हार्मोन होता है जो शरीर के पाचक ग्रंथि से बनता है जिसका काम  भोजन को ऊर्जा में बदलना होता है। इन्सुलिन हार्मोन द्वारा ही शरीर में शुगर  का स्तर सही रहता है। यदि डाइबिटीज का इलाज सही समय पर नहीं किया तो ये जानलेवा भी हो सकती है।
 डाइबिटीज तीन प्रकार की होती है पहली टाइप 1 दूसरी टाइप 2 डाइबिटीज तीसरी प्रीडायबिटीज ।
 टाइप 1 डाइबिटीज में पैंक्रियाज में इन्सुलिन हार्मोन बनना बंद हो जाता है जिसके कारण खून में गुलकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है। इसका कारण आनुवंशिकता  है। ये बच्चों को जन्म के समय से भी हो सकती है। इस बीमारी में इन्सुलिन को इंजेक्शन से शरीर में इन्सुलिन हार्मोन को डाला जाता है।
  टाइप 2 डाइबिटीज में पैंक्रियाज में जरुरत के हिसाब से इन्सुलिन नहीं बन पाता है या इन्सुलिन हार्मोन ठीक से काम नहीं करता है। इस बीमारी में इन्सुलिन हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए दवाओं और जीवनशैली में परिवर्तन से कण्ट्रोल किया जाता है।
प्रीडायबिटीज में खून में शुगर की मात्रा लगभग खतरे के निशान के लगभग होती है इसे बॉडर लाइन डाइबिटीज भी कहते है। यदि समय रहते इस बीमारी का पता चल जाये तो इस बीमारी को कण्ट्रोल करना आसान होता है और डाइबिटीज के दुष्परिणामों से बच सकते है।
क्या कारण होता ही डायबिटीज होने का ?------ डायबिटीज होने की दो कारण होते है पहला जिसका कारण असंतुलित खानपान , गलत जीवन शैली ,मोटापा ,तनाव, और व्यायाम न करना दूसरा अनुवांशिक कारण यदि परिवार की हिस्ट्री में किसकी को डाइबिटीज थी तो आनेवाली  में डायबिटीज होने की आशंका हो सकती है।
डायबिटीज के लक्षण ------ ज्यादा प्यास लगना।
बार पेशाब आना।
किसी भी जख़्म का देर से भरना।
शरीर में संक्रमण बढ़ना और जल्दी से ठीक नहीं होना।
आंखों की रोशनी का कम होना।
शरीर का वजन तेजी से कम होना।
गुप्तांगों पर खुजली वाले ज़ख्म।
बार शरीर पर फोडेफुंसियां निकलना।
चक्कर आना
चिड़चिड़ापन
ज्यादा थकान होना
ज्यादा भूख लगना
हाथ पैर का सुन होना
 डाइबिटीज के लिए कुछ  आवश्यक ब्लड टेस्ट जिनको करवाने से इस बीमारी की स्थिति का पता चलता है।
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फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज़  टेस्ट ------ इस टेस्ट को करवाने के लिए कम से कम 8 घंटे तक कुछ न खाया हो यानि आप भूखे पेट हो। ये टेस्ट सुबह के समय नाश्ते से पहले किया जाता है। इससे आपको पता चलता है कि आपकी शुगर किस लेवल पर है। ये टेस्ट डाइबिटीज और प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए सबसे सटीक टेस्ट  है। ये सबसे सस्ता और सुविधाजनक टेस्ट है।
पोस्ट प्रेडियल ब्लड शुगर टेस्ट ---- इस टेस्ट को नाश्ते के दो घंटे के बाद किया जाता है।इस टेस्ट में खाने की बाद शरीर में भोजन का ऊर्जा में बदलने के बाद शुगर के स्तर का टेस्ट किया जाता है।
ओरल ग्लूकोज़  टॉलरेंस टेस्ट ------ इस टेस्ट से पता चलता है की फास्टिंग की बाद यदि ग्लूकोज़  दिया जाये तो शरीर इस ग्लूकोज़  को कितना इस्तेमाल करता है और इसपर शरीर की प्रक्रिया क्या रहती है। इस टेस्ट में पहले खाली पेट टेस्ट होता है फिर मीठा खाने या ग्लूकोज़ (75 ग्राम )  को पिलाकर कर दो घंटे के बाद ब्लड टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट को करवाने के लिए 8 से 10 घंटे कुछ नहीं खाना होता है।
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रैंडम प्लाज्मा टेस्ट  ------ इस टेस्ट को  कभी भी करवाया जा सकता है इसमें भूखे रहने या खाने पीने की कोई पाबंदी नहीं होती है। इसमें शरीर में  भोजन का ऊर्जा में बदलने  के बाद   शुगर का टेस्ट होता है। Image result for type of blood sugar test hindi mein
एचबीए1सी टेस्ट -------- इसे ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन या A 1 सी टेस्ट भी कहा जाता है। ये डायबिटीज का पता लगाने का सबसे बढ़िया टेस्ट है।  ये रक्त में हीमोग्लोबिन  और लाल रक्तकोशिकाओं से जुड़े  ग्लूकोज़ की मात्रा को नापता है। ग्लूकोज़ इससे पिछले तीन महीने के शुगर के स्तर का पता चलता है यदि इसका लेवल ज्यादा हो तो डाइबिटीज से जुडी परेशानियों  से खतरा बढ़ जाता है। इस टेस्ट से दिल और नसों की परेशानियों का पता चलता है। ये असंतुलित लिपिड प्रोफइल  जिसमे ज्यादा  कोलेस्टॉल  ,ख़राब एलडीएल,अच्छे कोलेस्ट्रॉल  एचडीएल की जानकारी देता है। Image result for type of blood sugar test hindi mein
फ्रूक्टोजामाइन टेस्ट ------  फ्रूक्टोजामाइन टेस्ट यानि ग्लाइकेटेड सीरम प्रोटीन या ग्लाइकेटेड एल्ब्यूमिन टेस्ट में दो तीन हफ्ते का शुगर टेस्ट होता है जिसमे ब्लड में शुगर के साथ प्रोटीन मिलने से एफ ए बनता है एफए का स्तर बढ़ने से ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ता है। इस टेस्ट से ब्लड में  शुगर में बदलाव का पता चलता है जिससे इस बदलाव को पहचान कर इलाज शुरू किया जा सकता है।
डाइबिटीज से कैसे बचा जाए ? डाइबिटीज से बचने के लिए कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
तनाव मुक्त रहे।
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स्वस्थ जीवनशैली अपनाये यानि संतुलित भोजन और सही  समय अंतराल पर।
व्यायाम करना।
मीठी चीजों ,फ़ास्ट फ़ूड और मैदा  की बनी चीजों से परहेज करे।
शारीरिक श्रम करना।
खाने में फाइबर के मात्रा ज्यादा लेना।






Monday, March 23, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके ...

शरीर रहे स्वस्थ : हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके ...: हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके लिए गंभीर हो सकती है।  हड्डियों में दर्द की समस्या पहले केवल  अधिक उम्र के लोगो को तो ह...

हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके लिए गंभीर हो सकती है।

हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके लिए गंभीर हो सकती है। 

हड्डियों में दर्द की समस्या पहले केवल  अधिक उम्र के लोगो को तो होती थी पर आजकल युवाओं में भी हड्डियों के दर्द की समस्या देखी जा रही है। पुरुषों के तुलना में महिलाओं में हड्डियों के दर्द की ज्यादा समस्या देखने को मिलती है।  हड्डियों में दर्द मांसपेशियों के दर्द से अलग होता है।  हड्डियों का दर्द लगातार होता रहता है जबकि मांसपेशियों का दर्द कुछ समय के बाद ख़तम हो जाता है। हड्डियों के दर्द के वजह उन बिमारियों को माना जाता है जो हड्डियों को प्रभावित करती है। Image result for haddiyon me dard
लक्षण क्या होते है हड्डियों में दर्द के ----- जब चलने ,खड़ा होने पर यहाँ तक की आराम करते समय भी दर्द हो इसका कारण सूजन , हड्डी पर चोट या जख्म हो सकता है।
सूजन और क्रेपिटस -- जोड़ों के हिलने डुलने से कट कट जो आवाज आते है उसे क्रेपिटस कहते है इसका कारण हमारे जोड़ो में जो लिक्विड होता है उसमे हवा के बुलबुले फूटने के कारण एक तरह की आवाज पैदा होती है। कई बार ये आवाज मांसपेशियों के टेंडन या लिगामेंट्स के रगड़ से भी होती है जो एक आम बात है।  यदि जोड़ों में अकड़न आधे घंटे से ज्यादा हो या सूजन हो तो डॉक्टर को दिखाना जरुरी हो जाता है।
चलते समय जोड़ों का जाम हो जाना ---- इसमें हड्डियों में रक्त की आपूर्ति में अवरोध होता है जिसके कारण अचानक चलते समय जोड़ जाम हो जाते है। Image result for haddiyon me dard
जोड़ो में कड़कपन  ---- जब हड्डियों में कैल्शियम फास्फोरस विटमिन डी के कमी हो जाती है तब हड्डियों में कड़कपन आ जाता है।
 विटामिन डी का कम होना ---- विटामिन डी  कमी से शरीर में कैल्शियम अवशोषित नहीं हो पता है जिसके कारण शरीर की हड्डियों में कमजोरी आ जाती है।
बुखार या कोई संक्रमण में दर्द ----- कई बार शरीर में बुखार या अन्य प्रकार के संक्रमण होने के कारण भी हड्डियों में दर्द हो सकता है। कभी कभी हड्डियों के  कैंसर में भी इस तरह के लक्षण हो सकते है।
Image result for haddiyon me dardहड्डियों के दर्द के कारण ------इसमें  चोट लगाना या जख्म जो ऊपर से नजर आता है के कारण दर्द हो सकता है।
फ्रैक्चर ---- हड्डी का टूटना या फ्रैक्चर होने से हड्डी में असहनीय दर्द होता है।
हड्डी में टीबी होना।
ल्यूकेमिया----  ये एक तरह का ब्लड कैंसर होता है। इसमें अचानक वजन गिरना और कमजोरी आती है।
ऑस्टियोपोरोसिस ------- जब शरीर में कैल्शियम , मैग्नीशियम , विटामिन डी ,आदि खनिज पदार्थों की कमी हो जाती है तो हड्डियां कमजोर हो जाती है इससे हड्डियों का टूटने का भुरभुरा और टूटने का डर रहता है। आस्टियोपोरोसिस में शरीर की किसी भी हड्डी में अचानक दर्द होने लगता है।
विटामिन और कैल्शियम की कमी ---- विटामिन और कैल्शियम की कमी से हड्डियों का विकास सही तरीके  से नहीं हो पाता है और ये कमी हड्डियों को कमजोर बनती है जिसे हड्डियाँ पतली हो जाती है।
कैल्शियम की अधिकता ----- कैल्शियम हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक होता है परन्तु इसकी अधिकता यानि जब कैल्शियम की ज्यादा मात्रा शरीर के फास्फेट के साथ मिलकर एक केमिकल बनती है जो हड्डियों को भुरभुरा बनती है जिसके कारण हड्डियाँ कमजोर होकर टूटने लगती है। ज्यादा मात्रा में कैल्शियम से शरीर में मैग्नीशियम के कमी हो जाती है जो हड्डियों की सेहत के लिए हानिकारक है।
आवश्यक मिनरल की कमी होना --- हड्डियों की सेहत के लिए विटामिन सी ,विटामिन डी , विटामिन इ बहुत जरुरी होता है यदि शरीर में इनकी कमी हो जाये तो हड्डियों की सेहत बिगड़ने लगती है। ये हड्डियां में दर्द और कमजोरी का कारण हो सकता है।
रूमेटाइड  आर्थराइटिस ----- ये हड्डियों की एक बीमारी है जिसमे हड्डियों में जलन ,सूजन ओर दर्द होता है। इसमें हड्डियों के जॉइंट्स का आकार  बदलने लगता है , हड्डियों में टेढ़ापन आ जाता है। Image result for haddiyon me dard
पेजेट रोग ----- हड्डियों का ये रोग किसी भी आयु में हो सकता है। इसमें अचानक हड्डियों में दर्द होने लगता है इसका कोई खास कारण सामने नहीं आया है। इसमे हड्डियों  में सुन्नपन या सिरहन सी होती है इसमें बड़ी हड्डी के नजदीकी वाली नसों में दर्द होता है। कूल्हा या घुटने में दर्द और अकड़न के साथ व्यक्ति लंगड़ाकर चलता है।
प्रोटीन सप्लीमेंट ज्यादा लेने से ----- आजकल के युवा अपनी बॉडी बनने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट लेते है  कुछ तरह के प्रोटीन सप्लीमेंट में स्टेरॉइड होता है जिसकी अधिकता से नसे सुकुड़ जाती है और बोन टिशू को नुकसान  होता है जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती है। Image result for haddiyon me dard
 व्यायाम ------ जब ज्यादा व्यायाम किया जाता है जिसके कारण हड्डियों और जोड़ों में खिचाव और दर्द हो सकता है। जुम्बा और एरोबिक्स  आदि व्यायाम आदि बिना ट्रेनर के किया जाये तो ये भी हड्डियों और मांसपेशियों की परेशानी का कारण बन सकता है।
प्रदूषण ---- हड्डियों को कमजोर करने का एक कारण प्रदूषण भी है। प्रदूषण खून में विकार पैदा करते है जिसके कारण शरीर में पोषक तत्व की कमी हो जाती है जो हड्डियों की कमजोरी और दर्द का कारण हो सकती है।
हड्डियों के दर्द का इलाज --- हड्डियों के दर्द के इलाज के लिए डॉक्टर कुछ जांच कराता है जिससे हड्डियों के दर्द का कारण पता चलता है ये टेस्ट करवाने होते है
ब्लड टेस्ट  (सीबीसी  , ब्लड डिफरेंशियल )Image result for haddiyon me dard
हड्डियों और जोड़ों का एक्सरे और स्कैन
हड्डियों का सीटी और एमआरआई स्कैन
लेवल और हार्मोन्स
यूरिन टेस्ट
पिट्यूटरी और एड्रिनल
 हड्डियों के दर्द का इलाज ------ शुरू में डॉक्टर बिना जाँच किया दर्द निवारक दवाएँ और एंटीबायोटिक दवाएँ देते है जिसे दर्द में आराम मिलता है तथा संक्रमण के कीटाणु ख़त्म होते है।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी दूर करने के लिए विटमिन डी ,कैल्शियम ,मिनरल की दवाएं और सप्लीमेंट्स दिया जाता है ताकि यदि शरीर में इनकी कमी हो तो पूरी हो जाये। Image result for haddiyon me dard
यदि जांचों में हार्मोन्स संबंधी कोई परेशानी हो तो डॉक्टर उस हार्मोन्स का स्तर को सही करने की दवाएँ देते है।
कुछ व्यायाम द्वारा हड्डियों और जोड़ों में  गतिशीलता बढ़ती है दर्द कम तो होता है ही साथ में कड़ी मांसपेशियों में लचीलापन आता है जिससे दर्द में आराम मिलता है। फिजियोथेरेपी और अलग अलग तरह की सिकाई  से दर्द में राहत दी जाती है।
कुछ मामलों में जैसे कैंसर या हड्डियों में इन्फेक्शन वाला भाग को सर्जरी से निकला जाता है। गंभीर रोगों में जोड़ों को सर्जरी द्वारा बदला भी जाता है।  घुटनों में यदि घिसावट या अन्य प्रकार का क्रेक है तो सर्जरी से घुटना बदला जा सकता है।



Monday, March 16, 2020

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की जरूरत क्यों पड़ती है क्या आप को पता है ?

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की जरूरत क्यों पड़ती है क्या आप को पता है ?
लिपिड प्रोफइल टेस्ट क्या है ? लिपिड एक तरह  का वसायुक्त पदार्थ है जो हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के रूप में होता है। आसान भाषा में कहा जाये तो ये टेस्ट हमारे शरीर में अच्छे एचडीएल और बुरे एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का लेवल जांचना होता है।  लिपिड प्रोफइल टेस्ट में पांच तरह के टेस्ट होते है जिसे शरीर में टोटल कोलेस्ट्रॉल ,हाई डेन्सिटी लेप्रोप्रोटीन(HDL) ,लो  डेन्सिटी लेप्रोप्रोटीन(LDL) वैरी लो डेन्सिटी लेप्रोप्रोटीन  (VLDL), ट्राईगिल्सराइड की जाँच होती है। Image result for lipid profile kya hai in hindi
लिपिड प्रोफइल टेस्ट कब करवाना चाहिए ? ------ लिपिड प्रोफइल टेस्ट करवाने के लिए आज की जीवन शैली  को देख कर ये नहीं कहा जा सकता है की किस उम्र में करवाना चाहिए। फिर भी 35 साल की आयु के बाद साल में एक बार इस टेस्ट को करवाना चाहिए।
क्यों आवश्यकता होती है लिपिड प्रोफइल टेस्ट की ? -----  यदि आपके परिवार में किसी को दिल की बीमारी या हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हो। Image result for lipid profile kya hai in hindi
जिनके शरीर का वजन ज्यादा हो। 
जो लोग ज्यादा शराब या धूर्मपान करते है।
जिन लोगों का गलत लाइफस्टाइल या गलत खानपान हो।
जो व्यक्ति डाइबिटीज से पीड़ित हो
जिनको किडनी की बीमारी हो
वो स्त्रियाँ  जिनका मेनोपॉज हुआ हो।
जिन लोगों का उच्च रक्तचाप रहता हो।
वो स्त्रियाँ जो पोलिसिस्टिक ओवेरी  सिंडोरम से पीड़ित हो।
इन स्वास्थ्य परेशानियों में शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा काफी बढ़ सकता है इसलिए लिपिड प्रोफाइल के जांच करवाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर का पता चलता है यदि कोलेस्ट्रॉल ज्यादा हो तो दवाओं और अच्छी स्वस्थ जीवनशैली और सही खानपान से बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है   ताकि ह्रदय रोगों के खतरे से बचा जा सके। Image result for lipid profile kya hai in hindi
लिपिड प्रोफइल टेस्ट कैसे करवाना चाहिए ?--- लिपिड प्रोफइल टेस्ट खाली  पेट करवाना चाहिए। इस टेस्ट को करवाने के लिए 9 से 12 घंटे तक कुछ खाना या पीना चाहिए। सबसे अच्छा है की रात 8 बजे तक खाना का कर सो जाये और सुबह 8 बजे तक इस टेस्ट करवाने के लिए ब्लड सेम्पल दे। 
क्या स्तर होना चाहिए स्वस्थ व्यक्ति का ?   स्वस्थ व्यक्ति का एलडीएल 70  से 130 मिलीग्राम होना चाहिए ये जितना कम होगा शरीर के लिए उतना ही अच्छा है।
एचडीएल  40 से 60  मिलीग्राम  ये जितना ज्यादा हो उतना ही अच्छा होता है।
कुल कोलेस्ट्रॉल 200 मिलीग्राम  ये जितना कम हो उतना अच्छा माना  जाता है।
ट्राईगिल्सराइड  10 से 150 मिलीग्राम  ये जितना कम हो उतना ही अच्छा है।




Saturday, March 14, 2020

सही नहीं है महिलाओं को पीरियड्स की समस्याओं में अनदेखा करना।

सही नहीं है महिलाओं को पीरियड्स  की समस्याओं में अनदेखा करना। 


महिलाओं को पीरियड होना एक सामान्य प्रक्रिया है,जो किशोरावस्था लगभग 12 वर्ष से शुरू होती है और ये प्रक्रिया 40 वर्ष से 50 वर्ष तक रहती है। यदि ये प्रक्रिया जब अनियमित हो जाती है , तो ये समस्या बीमारी का रूप भी ले लेती है और कभी कभी ये बीमारी इतनी  गंभीर हो जाती है की जान भी चली जाती है। पीरियड सब महिलाओं को एक जैसे नहीं होते है और ये किसी फिक्स टाइम पर नहीं होते है। ये पीरियड  21 से  35 दिनों के अंदर होता है। आमतौर पर ये 5 दिन तक चलता है। जब पीरियड अपना मासिक चक्र पूरा करने के बाद भी न हो या 15 दिन या 1 -2 महीने के अंतराल पर हो तो इसे अनियमित पीरियड कहते है। Image result for piriyad ki sam
पीरियड का अनियमियता का क्या कारण होता है ? अनियमित पीरियड में ब्लीडिंग ज्यादा होती है। देर से पीरियड होना या पीरियड जल्दी जल्दी होने के दौरान ब्लीडिंग कम या ज्यादा होने की समस्या शुरू होने लगती है। कई महिलाओं में मिस्ड पीरियड  लगातार एक चक्र में दो बार होने की समस्या होने लगती है।
अनियमित पीरियड कितनी प्रकार के होते है ? ---- अनियमित पीरियड चार तरह के होते है।
ओलिगोमेनोरिया : इस में पीरियड बहुत कम होता है और पीरियड का चक्र 35 दिन या इससे भी ज्यादा बढ़ जाता है। इसमें साल में सिर्फ 6 से 8 बार ही पीरियड होते है।
मेटोरइया ---- इस समस्या में पीरियड अनियमित होते है जल्दी जल्दी और लगातार होते रहते है।
मेनोमेट्रोराइया ---- इस समस्या में पीरियडस लम्बे समय तक और हैवी  होते है। , अनियमित पर जल्दी जल्दी होता है। Image result for piriyad ki sam
एमेनोरिया --- इस में पीरियड 3 -6 महीने में या इस से भी अधिक अंतराल तक नहीं होते है।
पीरियड अनियमित होने का क्या कारण होता है ? ---- पीरियड अनियमित होने के कई कारण होते है जैसे गर्भाशय की समस्या , फाइब्रॉइडस , हार्मोनल समस्या, ओवेरेक्टिव थायराइड , किसी भी प्रकार का संक्रमण , पोलिसिस्टिक ,ओविरेरियन  सिंड्रोम ,आदि कारण होते है। युवा लड़कियों का वजन अधिक हो या लम्बे समय से तनाव हो या पीसीओएस के कारण भी पीरियड अनियमित होते है।
महिलाओं में पीरियड अनियमित होने की समस्याओं के ये भी कारण हो सकते है
तनाव --- तनाव के कारण पीरियड अनियमित होना आम कारण है। ज्यादातर युवा लड़कियाँ पढाई ,कैरियर आदि कई बातों का तनाव रहता है। इसका मुख्य कारण थकान ,चिंता आदि है इससे महिलाओं में हार्मोन्स असंतुलित हो जाते है जिससे मिस्ड पीरियड आदि समस्या से गुजरना पड़ता है। Image result for piriyad ki sam
एक्सरसाइज ज्यादा करना ----- यदि महिलाएं अपनी शरीरिक क्षमता से अधिक एक्सरसाइज करती है तो पीरियड में अनियमितता हो सकती है। इसमें पीरियड कम होंगे और धीरे धीरे बंद हो सकते है।
मेनोपॉज ---- इस के होने से हार्मोन्स लेवल में बदलाव आता है जिसके कारण अनियमित पीरियड के द्वारा ये बताता है की अब मेनोपॉज का समय आ गया है। Image result for piriyad ki sam
खानपान --- असंतुलित खानपान शरीर का वजन कम करना या मोटापा भी हार्मोस को प्रभावित करता है।
गर्भनिर्धक दवा का सेवन ---- कभी कभी गर्भनिरोधक दवा से भी पीरियड में अनियमिता आ सकती है। प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन गर्भ नियंत्रण करने वाले हार्मोनल तरिके भी पीरियड को रोकने के लिए जिम्मेवार होते है।
अनियमित पीरियड का इलाज ----- यदि अनियमित पीरियड 6 महीने से अधिक हो रहा है तो इसका इलाज करवाना चाहिए।  कुछ कुछ केस में पीरियड अपने आप ही नियमित हो जाते है यदि नियमित नहीं हो रहे है तो इसका इलाज करवाए। हालाकि युवावस्था या मेनोपॉज में किसी खास तरह के इलाज के आवश्यकता नहीं पड़ती है। लेकिन यदि पीसीओएस ,हाइपरथाइराइडिज्म ,फाइब्रॉइड्स ,गर्भाशय की समस्या या संक्रमण हो तो इलाज करवाना चाहिए। Image result for piriyad ki sam
पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम  ----- सामान्य रूप से इसके इलाज का उद्देश्य शरीर में हार्मोन्स के संतुलन को बनाये रखना होता है इसलिए जिन्हे पीसीओएस की शिकायत है उन्हें गर्भनिरोधक गोली या हार्मोन्स दिए जाते है। दूसरी तरफ ओवरसेक्टव थायराइड की दवा के जरिए जो शरीर के द्वारा निर्मित हार्मोन्स थायराइड हार्मोन्स की मात्रा कम करती है इसका इलाज सम्भव है
जीवन शैली में बदलाव ला केर ---- पीरियड को रेगलर करने के लिए घूमने जाये , खुश रहे , वजन ज्यादा न बढ़ने दे , अपना खानपान अच्छा रखे।



एंडोमिट्रियोसिस एक महिलाओं की दर्दनाक बीमारी इसका सही इलाज और सही जानकारी जरुरी है।

एंडोमिट्रियोसिस एक महिलाओं की  दर्दनाक बीमारी इसका सही इलाज और सही जानकारी जरुरी है। 

एंडोमिट्रियोसिस एक ऐसी बीमारी है जो महिलाओं मासिक धर्म में असहनीय दर्द और पीड़ा देती है। इस बीमारी का असर महिलाओं को मन और तन दोनों पर पड़ता है। महिलाओं में आजकल ये बीमारी बड़ी तेजी से बढ़  रही है जिसका कारण बदलता पर्यावरण ,मिलावट वाली खाने के चीजे , यूरिया का ज्यादा इस्तेमाल होना आदि। अधिकतर महिलायें इस बीमारी के बारे में कम जानती है। उन्हें पता नहीं होता की एंडोमिट्रियोसिस क्या है ?इसका क्या इलाज है ? Image result for endometriosis cyst
25 -30 साल की महिलाओं में पेट दर्द की शिकायत और कंसीव न करने का एक आम कारण है एंडोमिट्रियोसिस। एंडोमिट्रियोसिस गर्भाशय के आसपास के टिशू (एण्डोमीट्रियम  इसका कार्य अंडे का निर्माण करना या गर्भ को पोषण देना है। जब गर्भ नहीं होता है तो ये परत टूट कर मासिक धर्म के रूप में शरीर से बाहर  आ जाती है  )की ग्रोथ सही तरीके  से नहीं होती। इससे महिलाओं को जब भी मासिक धर्म होता है तब टिशू के अंदर की तरफ ब्लीडिंग होती है इससे ब्लड ओवरी में जम जाता है इसे ही एंडोमीट्रोयोसिस सिस्ट  या चॉकलेट सिस्ट कहते है। इसमें शरीर की श्रोणी  वाले हिस्से में ब्लड के क्लॉट बनने लगते है। इस कारण ओवेरी ,आंते ,और टूब्स आपस में चिपकने लगती है। इससे उन अंगों का नुकसान  होता है जिससे बहुत पीड़ा होती है। Image result for endometriosis hindi me
क्या होता है इस बीमारी का इलाज ? ----- इस बीमारी का इलाज इस बात पर निर्भर करता  है की बीमारी कितनी कितनी पुरानी  है।  फिर दवाओं  द्वारा उभरे हुए टिशूस  को दबाने की कोशिश करते है जससे उनका प्रभाव कम हो जाये। गर्भनिरोधक गोलियों और प्रोजेस्ट्रोन गोलियों से इनका इलाज किया जाता है। इन दवाओं से एंडोमिट्रिअल टिशू और ओवरी के अंदर के टिशू पर असर पड़ता है जिसके कारण मासिकधर्म अस्थाई रूप से बंद हो जाता है। जब दवाओं का असर ख़तम हो जाता है तब सर्जरी की सलाह दी जाती है। लैप्रोस्कोपी से ओवेरी में अंडाशय और बाकि के अंगों के आसपास जमे खून को साफ़ कर दिया जाता है बिना किसी अंगों को नुकसान पहुँचाय । इससे दर्द से राहत मिलती है और और मरीज के  माँ बनने के संभावना बढ़ जाती है।  Image result for endometriosis laparoscopic surgery
एंडोमिट्रियोसिस मरीज क्या करे ----- एंडोमिट्रियोसिस में मरीज को तेज दर्द होता है। दर्द निवारक गोलियों से भी आराम नहीं मिलता है। रेक्टम में तेज दर्द होता है जिससे मल त्यागने में परेशानी होती है। इस तरह के दर्द से निपटने के लिए सुरक्षित दवाएँ  और टीका उपलब्ध है जो दो से तीन साल तक इससे बचाव करता है। यदि पाँच  सेंटीमीटर से बड़ा एदोमीट्रियोसिस है लैप्रोस्कोपीक सर्जरी ही उपाय है। यदि महिला की  उम्र ज्यादा हो तो यूट्रस और ओवेरी को पूरी तरह से बाहर निकल देना चाहिए। ये ही अंत में समाधान है इस बीमारी का। 





Friday, March 13, 2020

आप का शरीर बताता है की उसको पानी की जरुरत है।

आप का शरीर बताता है की उसको पानी की जरुरत है। 

आपको क्या पता है कि  आपका शरीर ही आपको बताता है कि  उसको पानी की जरुरत है। पानी ही हमारे जीने का आधार है। पानी ही हमारे शरीर की बहुत से बीमारियाँ  दूर कर सकता है पर हमें पता ही नहीं चलता कि हमारे शरीर में पानी की कमी हो रही है। हमारा शरीर कुछ ऐसे संकेत देता है जिससे पता चलता है कि  उसको पानी की कमी है। कौन  से वो संकेत है आइये जानते है हम। 
Image result for PANI KI KAMIमुँह का सुखना --- मुँह का सुखना इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में पानी की कमी है और आपको पानी पीना है। कभी कभी हम अन्य तरल पदार्थ  ले लेते है लेकिन पानी नहीं पीते जिसके कारण हमारा मुँह सूखा सूखा सा रहता है। यदि कभी ऐसा आपके साथ हो, तो आप पानी पिए। 
त्वचा का रुखा रुखा होना ---- त्वचा हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है जो शरीर में होने वाली कमियों को दर्शाता है। पानी की कमी से हमारी त्वचा सूखी सूखी  हो जाती है। यदि शरीर में पानी की कमी हो तो उसका असर हमारी त्वचा पर पड़ता है ये शरीर में पानी की कमी का संकेत है जब भी आप की त्वचा सूखी सूखी  हो तो आप खूब पानी पिए। Image result for PANI KI KAMI
ड्राई आईज ---- पानी की कमी का संकेत ड्राई आईज है इसमें आँखे लाल और सूखी  सूखी  सी लगती है और आँखों में दर्द भी होने लगता है यदि ऐसा हो तो आपको पानी ज्यादा मात्रा में पीना शुरू कर दे। 
यूरिन का रंग बदलना --- यदि आप पर्याप्त मात्रा में पानी पी  रहे है तो आपके यूरिन का रंग हल्का पीला या साफ़ होगा। यदि आपके यूरिन का रंग गाढ़ा पीला हो तो इस संकेत को समझ लेना चाहिए की आपके शरीर में पानी की कमी है। इस अवस्था में ख़ूब पानी पीये ताकि शरीर की गंदगी बाहर आ सके। 
कब्ज की शिकायत ----- अकसर कब्ज की शिकायत उनको होती है जो लोग कम पानी पीते  है। शरीर में वेस्ट पदार्थ बाहर  निकलने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। शरीर में अच्छी पाचन क्रिया के लिए प्रचुर मात्रा में पानी पीना जरुरी होता है। कब्ज की शिकायत है तो इस बात का संकेत है की शरीर में पानी की कमी हो रही है। 
Image result for jodo ka dardजोड़ों में दर्द होना ----- हमारे शरीर के जोड़ 80 प्रतिशत पानी से बने हुए है यदि पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पिया जाये तो आपको जोड़ो के दर्द की समस्या हो सकती है। जोड़ों में यदि दर्द रहता  है तो प्रचुर मात्रा में पानी पीना शुरू कर दे। 
बीमार होना ---- जब आप बीमार होते है तो आपके शरीर में पानी की कमी हो जाती है। पानी द्वारा ही शरीर से विषैले पदार्थ बाहर  निकलते है जो आपको बीमार बनाते है। बीमारी में डॉक्टर अकसर  खूब पानी पीने  की सलाह देते है। Image result for PANI KI KAMI
चक्कर आना ----चक्कर आना इस बात का संकेत भी हो सकता है कि  आपके शरीर में पानी की कमी हो गयी है। गर्मियों में अकसर धूप  में ज्यादा रहने या अन्य कारण से पानी की कमी हो जाती है जिसके कारण चक्कर आने लगते है। जब भी आपको चक्कर आये तो तुरंत आप पानी पिये। 

ये उपाय कारगर है कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए

 ये उपाय कारगर है कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए

आजकल लोगों में कोलेस्ट्रॉल  बढ़ने की शिकायत आम होती जा रही है। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना बहुत ही घातक है। बढ़ते कोलेस्ट्रॉल कई तरह से किया जा सकता है जैसे संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली  अपना कर। कम घी तेल का इस्तेमाल करके। रोजाना व्यायाम  करके। हमारे आयुर्वेद में भी कुछ प्राकृतिक  ऐसी चीजे बतायी  गयी है जिनसे कोलेस्ट्रॉल कम किया जा सकता है। आज हम आपको कुछ प्राकृतिक चीजों से कोलेस्ट्रॉल कम कैसे करे ये बताते है।
*   रोज सुबह गरम पानी में नीबू का रस और शहद का सेवन करने से रक्त में बढ़ता कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
Image result for colestrol  ke upay*   दस ग्राम साबुत धनिया एक लीटर पानी में इतना उबले की पानी आधा रह जाये। ठंडा होने के बाद दिन में दो बार पिये।
*   प्याज का रस दो चमच्च  प्रतिदिन लेने से आप के शरीर का कोलेस्ट्रॉल कम ही नहीं होता बल्कि खून साफ़ होता है साथ ही दिल मजबूत होता है। ]
*   विटामिन इ से भरपूर डाइट जैसे सनफ्लॉवर  सीड्स ,सोयाबीन आयल , अंकुरित अनाज , मछली का तेल आदि लेने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
*   गिलोय और कालीमिर्च के पाउडर की तीन -चार ग्राम प्रतिदिन सेवन करने से बढ़ते कोलेस्ट्रॉल में फायदा पहुँचता है।
Image result for colestrol  ke upay*   एक गिलास पानी में एक चमच्च मेथी दाना पाउडर खाली पेट ले इससे एक महीने में आप का बढ़ता कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में आ जायेगा।
Image result for colestrol  ke upay*   घर में खाना सनफ्लॉवर आयल में बनाये।
*   हल्दी और शहद का गरम दूध  के साथ रोज रात को सेवन करे।
*  दालचीनी पाउडर एक चम्मच शहद के साथ लेने से कोलेस्ट्रॉल जल्द ही कण्ट्रोल में आता है।
*  अदरक का रस ,शहद , नीबू का रस और लहसून का पेस्ट बराबर मात्रा में मिला कर रोज सुबह खाली  पेट ले ये बहुत ही असरकारक उपाय है कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए।  
Image result for colestrol  ke upay*  सूखे मेवा जैसे बादाम , मूंगफली , पिस्ता , अखरोट बहुत उपयोगी है कोलेस्टॉल को कम करने के लिए खास तौर  पर अखरोट का सेवन बहुत असरकारक होता है इससे जल्दी कोलेस्ट्रॉल कम होता है। 

घातक होता है शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना

घातक होता है शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना 


अधिकतर लोग कोलेस्ट्रॉल को दिल का दुश्मन समझ लेते है पर ऐसा नहीं है दरसल कोलेस्ट्रॉल मोम  जैसा एक पदार्थ है जिसे फैट कहते है ,जो हमारे यकृत(लिवर) में बनता है। हमारे शरीर के हर भाग में कोलेस्ट्रॉल होता है। कोलेस्ट्रॉल का काम हमारे शरीर में हार्मोन्स , विटामिन डी और पित  का निर्माण करना होता है जो शरीर के अंदर वसा  को पचाने  का काम करता है।  ये रक्त में घुलनशील नहीं होता है।Image result for cholesterol
ये तीन तरह का होता है पहला लो डेसिटी लाइपोप्रोटीन या एलडीएल एलडीएल कोलोस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए अच्छा नहीं होता है। ये लिवर से कोशिकाओं तक कोलेस्ट्रॉल ले जाता है यदि इसकी मात्रा ज्यादा होगी तो ये शरीर की कोशिकाओं में इकठ्ठा होने शुरू हो जायेगा।धीरे धीरे धमनियाँ सकरी हो जायेगी  जिससे शरीर में  खून का प्रवाह  कम होने लगेगा। ये कोनोनरी  और स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है।एलडीएल मानव रक्त  में 70 प्रतिशत होता है   Image result for cholesterol
दूसरा है डेंसिटी लाइपोप्रोटीन या एचडीएल।  एचडीएल का काम कोशिकाओं से लिवर तक कोलेस्ट्रॉल को ले जाना होता है या तो ये लिवर में टूट जाता है या लिवर से वेस्ट पदाथों में  से बाहर  निकल जाता है।
 तीसरा वीएलडीएल  ये कोलेस्ट्रॉल सबसे ज्यादा घातक होता है इसके कारण ही ह्रदय रोग बनता है।
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कैसे बढ़ाये अच्छे कोलेस्ट्रॉल ? ------ एचडीएल यानि गुड़ कोलेस्ट्रॉल हमारे रक्त के लिए एक चौकीदार का कार्य करता है। अच्छे कोलेस्ट्रॉल के लिए मछली का तेल ,सोयाबीन उत्पाद ,और हरे पत्तेदार सब्जियाँ ,रेड वाइन , डार्क चॉकलेट आदि का सेवन करने से शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का निर्माण होता है।

शरीर में कोलेस्ट्रॉल का क्या स्तर होना चाहिए ? -----  खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 से लेकर 7. 8 मिलिमोल्स प्रति लीटर होनी चाहिए। लेकिन जब इसका लेवल 6 मिलिमोल्स प्रति लीटर  हो जाता है तो तब इसको हाई  कोलोस्ट्रोल कहते है। यदि इसका लेवल 7. 8 मिलिमोल्स प्रति लीटर से ऊपर चला जाए तो हार्ट
अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
क्यों बढ़ता है कोलेस्ट्रॉल शरीर में ?------  कोलेस्ट्रॉल शरीर में कई कारणों से बढ़ता है जैसे
*  अधिक मात्रा में फैट खाना।
*  जंक  फ़ूड ज्यादा मात्रा में खाना।
Image result for cholesterol*  खानपान में लापरवाही करना।
*  व्यायाम न करना।
*  कई लोगों में उम्र के साथ कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है।
*  अनुवांशिक कारणों से।
*  ज्यादा वजन होना।

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*  कोलेस्ट्रॉल को कम करने का सबसे बड़ा उपाय है कि 
*  खाने में ऐसे तेल और वसा का उपयोग करे जिसमे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो।
 *  कोलेस्ट्रॉल को कम करने का सबसे बड़ा उपाय है कि  अपने खानपान और अपने जीवनशैली का स्तर सुधरे। संतुलित भोजन करे नियमित  व्यायाम करे।
कैसे करे अच्छे कोलेस्ट्रॉल का निर्माण ---------एचडीएल यानि गुड़ कोलेस्ट्रॉल हमारे रक्त के लिए एक चौकीदार का कार्य करता है। अच्छे कोलेस्ट्रॉल के लिए मछली का तेल ,सोयाबीन उत्पाद ,और हरे पत्तेदार सब्जियाँ ,रेड वाइन , डार्क चॉकलेट आदि का सेवन करने से शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का निर्माण होता है।


Wednesday, March 11, 2020

क्या आपने पुदीना के ये लाभ आपको पहले भी पता थे ?

क्या आपने पुदीना के ये लाभ आपको पहले भी पता थे ?
पुदीने का स्वाद और खुशबु से तो हर कोई परिचित है। हम सबने पुदीने का उपयोग चटनी , दही आदि में डाल  कर क्या है।  पर क्या आपने कभी पुदीने का अन्य तरीकों में इस्तेमाल किया है ? नहीं तो आज हम आप को अन्य तरीकों  से कैसे आप पुदीने को इस्तेमाल कर सकते है बताते है। Image result for pudene ke labh
यदि कीड़े ने काट लिया या किसी तरह का जख्म है तो पुदीने की लुगदी बनाकर हल्का गर्म करके लगा ले इससे दर्द कम होगा और सूजन भी कम होगी।
सर्दी खांसी की समस्या में पुदीने के रस ,कालीमिर्च और काला  नमक  का काढ़ा बना कर ले रहत मिलेगी।
तेज सरदर्द में पुदीने के लेप लगाने से सरदर्द सही होता है।
यदि बदहजमी हो गयी है तो एक चमच्च पुदीने के रस को गुनगुने पानी में डाल  कर पी  ले इसमें आप नीबू का रस शहद  भी डाल  कर ले तो और भी फायदा करेगा। Image result for pudene ke labh
यदि उलटी या नॉजिया की समस्या है और उल्टी  नहीं रुक रही है तो पुदीने के रस में तीन चार बूंद शहद मिला कर ले उल्टी रुक जाएगी।
पुदीने के रस के साथ अंजीर का सेवन करने से छाती और फेफड़ों में जमा कफ पिघल जाता है इसका कारण है कि पुदीना वात और कफ का नाश करता है और ये तासीर में गर्म होता है जिसके कारण बलगम को पिघला कर शरीर से निकल देता है। Image result for pudene ke labh
यदि हिचकियाँ बंद नहीं हो रही है तो पुदीने के रस में कुछ बुँदे शहद की मिलाकर लेने से हिचकियाँ बंद हो जाती है।
मुहँ की दुर्गन्ध और मसूड़ों की मजबूती के लिए पुदीने की पतियों के चूर्ण का मंजन करने से आराम मिलता है।
यदि गले में बलगम है तो पुदीने के रस और नमक डाल  गर्म पानी के गरारे करे आराम मिलेगा। Image result for pudene ke labh
गर्मियों के मौसम में प्यास ज्यादा लगती है तो पुदीने और नीबू का शरबत पीने  बार बार लगने वाली प्यास में राहत मिलती है।
पैरालिसिस की समस्या में पुदीने के तेल की मालिश बहुत लाभकारी होती है। यदि किसी को शरीर में कही भी दर्द रहता है तो भी पुदीने का तेल बहुत आराम देगा।
त्वचा पर यदि खुजली ,फोड़े ,फुंसी आदि की समस्या है तो पुदीने का तेल बहुत लाभ देगा।




Sunday, March 8, 2020

ज्यादा सेनिटाइजर का प्रयोग भी हानिकरक है जानिए क्यों ?

ज्यादा सेनिटाइजर का प्रयोग भी हानिकरक है जानिए क्यों ?

कोरोना वायरस से बचने के लिए लोग सेनिटाइजर का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे है पर डॉक्टरस के अनुसार ज्यादा सेनिटाइज़र इस्तेमाल करना हानिकारक हो सकता है इसका कारण Image result for sanitizer
*  बाजार में बिकने वाले ज्यादातर सैनिटाइज़र ख़राब गुणवत्ता वाले है।
*  सेनिटाइज़र में एलकोहल और अन्य चीजे त्वचा की एलर्जी का कारण बन सकती है।ज्यादा इस्तेमाल करने से त्वचा पर छोटे छोटे दाने  हो सकते है।
*  इसमें एथनॉल एन  प्रोपेनाल ,आइसोप्रोफोफाईनल नामक  ड्राई अलकोहल होता है जो त्वचा की प्राकृतिक नमी को ख़तम कर देता है जिसके कारण हाथो में रूखापन और त्वचा में रूखापन हो सकता है। जिसके कारण  खुजली हो सकती है। Image result for sanitizer
* इसमें खुशबु के लिए फैथलेट्स नाम का केमिकल होता है यदि इसकी मात्रा ज्यादा हो तो शरीर में प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है।
*  इसमें ज्यादा मात्रा में एलकोहल होने के कारण छोटे बच्चों  की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
कैसे इसका इस्तेमाल करे --- सेनिटाइज़र का इस्तेमाल आप वहाँ  करे जहाँ  इसका इस्तेमाल जरुरी हो जैसे यदि आप जहाँ  है वहाँ  अपने हाथ पानी और साबुन से धो सकते है तो आप अपने हाथ पानी के साथ धोयें। Image result for moisturizer
सेनिटाइज़र का इस्तेमाल आप वहाँ  करे जहाँ  पर हाथ पानी और साबुन से नहीं धो सकते है।
आप यदि घर से बाहर  जा रहे है तो रास्ते में आप सेनिटाइज़र का इस्तेमाल कर सकते है पर घर वापिस आने पर हाथ साबुन से जरूर धोयें और अच्छी किस्म का आयल या मॉश्चराइज़र लगाये।




Friday, March 6, 2020

कुछ बाते जो हम नजरअंदाज कर देते है जो नुकसानदेय है हमारी किडनी पर

कुछ बाते जो हम  नजरअंदाज कर देते है जो नुकसानदेय है हमारी  किडनी पर 

किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है पर हमारी कुछ आदतें इसे ख़राब कर सकती है। सबसे बड़ी बात ये है की किडनी ख़राब  हो गई है इसका पता जब चलता है जब तक बहुत देर हो चुकी होती है। यदि आप अपनी किडनी को खराब नहीं होने देना चाहते है तो इन बातो जो ख्याल रखो। Image result for PANI KI KAMI
पानी की कमी ---- अकसर लोग पानी को पीना इतना महत्पूर्ण नहीं समझते और वह  सारा दिन में बहुत कम पानी पीते  है जिसकी सजा हमारी किडनी को मिलती है कम पानी पीने  की वज़ह  से किडनी शरीर से विषैले पदार्थ नहीं निकाल  पाती है और वह  पदार्थ वही  इकठ्ठा होते रहते है। जो की आगे चल कर बहुत भयानक रूप ले लेते है। Image result for NAMK KA SEVAN
Image result for CHINI KA SEVANनमक का कम सेवन करना --- नमक हमारे जीवन के लिए जरुरी है पर एक सीमित मात्रा में। ज्यादा मात्रा में नमक का सेवन खतनाक होता है। क्योकि  इससे किडनी रोगो का खतरा बढ़ जाता है। एक दिन में 4. 7 ग्राम नमक ही काफी होता है।
चीनी का सेवन कम --- ज्यादातर लोग मीठे के शौकीन होते है। गर्मियों में लोग मीठे पेय पदार्थो को ज्यादा महत्व देते है। ज्यादा मात्रा में मीठे पदार्थ लेने से यूरिन में प्रोटीन जाने का खतरा बढ़ जाता है इससे हमारी किडनी पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए चीनी की संतुलित मात्रा में सेवन करे।   Image result for YURIN KO ROKANa
Image result for nind puri na hone se kya hota haiयूरिन रोकना --- लोग यूरिन आने पर भी घंटो रोक लेते है जिससे यूरिन में मौजूद बैक्टरिया यूरीन संक्रमण कर देते है जिससे हमारी किडनी प्रभवित होती है। बार बार पेशाब रोकने से किडनी स्टोन और किडनी फेल होने की आंशका बढ़ जाती है।
नींद पूरी न होना -- नींद पूरी न होना भी एक बहुत बड़ी समस्या है। यदि नींद पूरी नहीं होती तो शरीर पर काफी फर्क पड़ता है क्योकि  जब हम सो रहे होते है तो हमारी किडनी अपना कार्य करती है नींद के दौरान किडनी अपनी कोशिकाओं के नुकसान की भरपाई करती है। कम नींद से शरीर का मेटाबॉलिजम भी प्रभावित होता है। Image result for pain killer lena
पेनकिलर का ज्यादा प्रयोग -- लोग बिना डॉक्टर की सलाह के पेनकिलर ले लेते है। अधिक मात्रा में पेनकिलर लेने से किडनी और लिवर पर बुरा असर पड़ता है।
सिगरेट और तंबाकू का सेवन --- सिगरेट और तंबाकू  का सेवन बहुत हानिकारक होता है। इसमें एथिरोस्क्लिरोसिस नाम की बीमारी भी हो सकती है जिसमे रक्त नलिकाओं का बहाव धीमा हो जाता है जिसके कारण किडनी को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता  है इससे इसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है।    Image result for nonveg  khana
नॉनवेज खाना --- नॉनवेज खाने से प्रोटीन की प्राप्ति होती है पर ज्यादा नॉनवेज खाना शरीर के लिए हानिकारक है क्योकि  इससे किडनी पर मेटाबॉलिक भर पड़ता है। पाचन क्रिया के दौरान प्रोटीन टूट कर यूरिक एसिड में बदल जाते है। किडनी यूरिक एसिड को पे यूरिक एसिड शरीर में जमा होते रहते है जो किडनी की कार्य क्षमता पर असर डालता है। शाब के साथ किडनी से बाहर निकाल देती है यदि ज्यादा मात्रा में नॉनवेज खाया जाये तो इसका भर किडनी पर पड़ता है और किडनी सारा यूरिक एसिड को शरीर से बाहर  नहीं निकल पाती है जिसके कारण
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ब्लड प्रेशर  का अनियंत्रित होना -- अगर ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो तो इसका असर किडनी पर होता है। हाइपरटेंशन के शिकार 90 प्रतिशत लोगों  की किडनी ख़राब होने के लक्षण होते है जिसकी जानकारी उनको नहीं होती है। उच्च रक्तचाप से बचने के लिए अपने रक्तचाप पर नजर रखे यदि रक्तचाप कण्ट्रोल नहीं हो रहा है तो डॉक्टर के सलाह  ले।
संकम्रण में लापरवाही --- यदि आपको यूरिन संक्रमण हो जाता  है और आप उसके उपचार  में लापरवाही बरते है तो इसका सीधा असर आप की किडनी पर पड़ता है। इसलिए यदि आप को बार बार यूरिन संक्रमण हो रहा है तो डॉक्टर जाँच अवश्य करा ले।


गर्मियों में इन उपायों के साथ खुद को स्वस्थ रखना कोई मुश्किल काम नहीं।

  गर्मियों में इन उपायों के साथ खुद को स्वस्थ रखना कोई मुश्किल काम नहीं।  गर्मियों के मौसम में खुद को स्वस्थ रखना एक बहुत बड़ी चुनौती  ह...