हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके लिए गंभीर हो सकती है।
हड्डियों में दर्द की समस्या पहले केवल अधिक उम्र के लोगो को तो होती थी पर आजकल युवाओं में भी हड्डियों के दर्द की समस्या देखी जा रही है। पुरुषों के तुलना में महिलाओं में हड्डियों के दर्द की ज्यादा समस्या देखने को मिलती है। हड्डियों में दर्द मांसपेशियों के दर्द से अलग होता है। हड्डियों का दर्द लगातार होता रहता है जबकि मांसपेशियों का दर्द कुछ समय के बाद ख़तम हो जाता है। हड्डियों के दर्द के वजह उन बिमारियों को माना जाता है जो हड्डियों को प्रभावित करती है।लक्षण क्या होते है हड्डियों में दर्द के ----- जब चलने ,खड़ा होने पर यहाँ तक की आराम करते समय भी दर्द हो इसका कारण सूजन , हड्डी पर चोट या जख्म हो सकता है।
सूजन और क्रेपिटस -- जोड़ों के हिलने डुलने से कट कट जो आवाज आते है उसे क्रेपिटस कहते है इसका कारण हमारे जोड़ो में जो लिक्विड होता है उसमे हवा के बुलबुले फूटने के कारण एक तरह की आवाज पैदा होती है। कई बार ये आवाज मांसपेशियों के टेंडन या लिगामेंट्स के रगड़ से भी होती है जो एक आम बात है। यदि जोड़ों में अकड़न आधे घंटे से ज्यादा हो या सूजन हो तो डॉक्टर को दिखाना जरुरी हो जाता है।
चलते समय जोड़ों का जाम हो जाना ---- इसमें हड्डियों में रक्त की आपूर्ति में अवरोध होता है जिसके कारण अचानक चलते समय जोड़ जाम हो जाते है।
जोड़ो में कड़कपन ---- जब हड्डियों में कैल्शियम फास्फोरस विटमिन डी के कमी हो जाती है तब हड्डियों में कड़कपन आ जाता है।
विटामिन डी का कम होना ---- विटामिन डी कमी से शरीर में कैल्शियम अवशोषित नहीं हो पता है जिसके कारण शरीर की हड्डियों में कमजोरी आ जाती है।
बुखार या कोई संक्रमण में दर्द ----- कई बार शरीर में बुखार या अन्य प्रकार के संक्रमण होने के कारण भी हड्डियों में दर्द हो सकता है। कभी कभी हड्डियों के कैंसर में भी इस तरह के लक्षण हो सकते है।
हड्डियों के दर्द के कारण ------इसमें चोट लगाना या जख्म जो ऊपर से नजर आता है के कारण दर्द हो सकता है।
फ्रैक्चर ---- हड्डी का टूटना या फ्रैक्चर होने से हड्डी में असहनीय दर्द होता है।
हड्डी में टीबी होना।
ल्यूकेमिया---- ये एक तरह का ब्लड कैंसर होता है। इसमें अचानक वजन गिरना और कमजोरी आती है।
ऑस्टियोपोरोसिस ------- जब शरीर में कैल्शियम , मैग्नीशियम , विटामिन डी ,आदि खनिज पदार्थों की कमी हो जाती है तो हड्डियां कमजोर हो जाती है इससे हड्डियों का टूटने का भुरभुरा और टूटने का डर रहता है। आस्टियोपोरोसिस में शरीर की किसी भी हड्डी में अचानक दर्द होने लगता है।
विटामिन और कैल्शियम की कमी ---- विटामिन और कैल्शियम की कमी से हड्डियों का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है और ये कमी हड्डियों को कमजोर बनती है जिसे हड्डियाँ पतली हो जाती है।
कैल्शियम की अधिकता ----- कैल्शियम हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक होता है परन्तु इसकी अधिकता यानि जब कैल्शियम की ज्यादा मात्रा शरीर के फास्फेट के साथ मिलकर एक केमिकल बनती है जो हड्डियों को भुरभुरा बनती है जिसके कारण हड्डियाँ कमजोर होकर टूटने लगती है। ज्यादा मात्रा में कैल्शियम से शरीर में मैग्नीशियम के कमी हो जाती है जो हड्डियों की सेहत के लिए हानिकारक है।
आवश्यक मिनरल की कमी होना --- हड्डियों की सेहत के लिए विटामिन सी ,विटामिन डी , विटामिन इ बहुत जरुरी होता है यदि शरीर में इनकी कमी हो जाये तो हड्डियों की सेहत बिगड़ने लगती है। ये हड्डियां में दर्द और कमजोरी का कारण हो सकता है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस ----- ये हड्डियों की एक बीमारी है जिसमे हड्डियों में जलन ,सूजन ओर दर्द होता है। इसमें हड्डियों के जॉइंट्स का आकार बदलने लगता है , हड्डियों में टेढ़ापन आ जाता है।
पेजेट रोग ----- हड्डियों का ये रोग किसी भी आयु में हो सकता है। इसमें अचानक हड्डियों में दर्द होने लगता है इसका कोई खास कारण सामने नहीं आया है। इसमे हड्डियों में सुन्नपन या सिरहन सी होती है इसमें बड़ी हड्डी के नजदीकी वाली नसों में दर्द होता है। कूल्हा या घुटने में दर्द और अकड़न के साथ व्यक्ति लंगड़ाकर चलता है।
प्रोटीन सप्लीमेंट ज्यादा लेने से ----- आजकल के युवा अपनी बॉडी बनने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट लेते है कुछ तरह के प्रोटीन सप्लीमेंट में स्टेरॉइड होता है जिसकी अधिकता से नसे सुकुड़ जाती है और बोन टिशू को नुकसान होता है जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती है।
व्यायाम ------ जब ज्यादा व्यायाम किया जाता है जिसके कारण हड्डियों और जोड़ों में खिचाव और दर्द हो सकता है। जुम्बा और एरोबिक्स आदि व्यायाम आदि बिना ट्रेनर के किया जाये तो ये भी हड्डियों और मांसपेशियों की परेशानी का कारण बन सकता है।
प्रदूषण ---- हड्डियों को कमजोर करने का एक कारण प्रदूषण भी है। प्रदूषण खून में विकार पैदा करते है जिसके कारण शरीर में पोषक तत्व की कमी हो जाती है जो हड्डियों की कमजोरी और दर्द का कारण हो सकती है।
हड्डियों के दर्द का इलाज --- हड्डियों के दर्द के इलाज के लिए डॉक्टर कुछ जांच कराता है जिससे हड्डियों के दर्द का कारण पता चलता है ये टेस्ट करवाने होते है
ब्लड टेस्ट (सीबीसी , ब्लड डिफरेंशियल )
हड्डियों और जोड़ों का एक्सरे और स्कैन
हड्डियों का सीटी और एमआरआई स्कैन
लेवल और हार्मोन्स
यूरिन टेस्ट
पिट्यूटरी और एड्रिनल
हड्डियों के दर्द का इलाज ------ शुरू में डॉक्टर बिना जाँच किया दर्द निवारक दवाएँ और एंटीबायोटिक दवाएँ देते है जिसे दर्द में आराम मिलता है तथा संक्रमण के कीटाणु ख़त्म होते है।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी दूर करने के लिए विटमिन डी ,कैल्शियम ,मिनरल की दवाएं और सप्लीमेंट्स दिया जाता है ताकि यदि शरीर में इनकी कमी हो तो पूरी हो जाये।
यदि जांचों में हार्मोन्स संबंधी कोई परेशानी हो तो डॉक्टर उस हार्मोन्स का स्तर को सही करने की दवाएँ देते है।
कुछ व्यायाम द्वारा हड्डियों और जोड़ों में गतिशीलता बढ़ती है दर्द कम तो होता है ही साथ में कड़ी मांसपेशियों में लचीलापन आता है जिससे दर्द में आराम मिलता है। फिजियोथेरेपी और अलग अलग तरह की सिकाई से दर्द में राहत दी जाती है।
कुछ मामलों में जैसे कैंसर या हड्डियों में इन्फेक्शन वाला भाग को सर्जरी से निकला जाता है। गंभीर रोगों में जोड़ों को सर्जरी द्वारा बदला भी जाता है। घुटनों में यदि घिसावट या अन्य प्रकार का क्रेक है तो सर्जरी से घुटना बदला जा सकता है।
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