Wednesday, February 19, 2020

कितना अनमोल है सरसों का तेल जानिए इसके फायदे

कितना अनमोल है सरसों  का तेल जानिए इसके फायदे 

सदियों से भारत में सरसों  का तेल चाहे खाना बनाना हो , मालिश करनी हो या मंदिर का दिया ही जलना हो ,  इस्तेमाल में आ रहा है आज भी हमारी नानी दादी इसके आयुर्वेद गुणों के कारण इसका इस्तेमाल करती है। सरसो का तेल हमारे शरीर में हर तरीके  से लाभ ही देता है।  आज  डॉक्टर भी सरसों  के तेल को इस्तेमाल करने की पैरवी करते है क्योकि  आधुनिक विज्ञान भी इसके गुणों का करिश्मा जान गया है आइये आप भी जाने इस गुणकारी तेल के लाभ 

सदियों से हमारी दादी नानी छोटे बच्चों  की सरसों  के तेल के मालिश करती आ रही है। सरसों  के तेल की मालिश करने से हमारी हड्डियाँ  मजबूत होती है तथा त्वचा पर चमक आती है। 
बालों  में सरसों की तेल की मालिश करने से बाल जल्दी सफ़ेद नहीं होते है और बाल  काले , घने, लम्बे रहते है। 
यदि बालो में जुएं  हो गयी हो तो 25 ml निम्बू के रस  में 20 ml सरसों का तेल मिलकर लगाने से जूं  ख़त्म हो जाती है। 
सर्दी खांसी के समस्या में सरसों  के तेल में सेंधा नमक मिलकर छाती पर लगाने से कफ़  आसानी से निकल जाता है और खांसी कम हो जाती है। 
सरसों  के तेल में कपूर और तारपीन का तेल मिलकर सीने  पर मलने से निमोनिया की बीमारी में लाभ मिलता है इससे रोगी को सांस लेने में तकलीफ़  कम होती है। 
यदि सरसो के तेल में हल्दी को बारीक़ पीस कर मिला कर अपने दाँतो और मसूड़ों पर मले  तो दांतो में दर्द , और मसूड़ों में तकलीफ में आराम मिलता है।
सर्दियों में पैरों  की उँगलियाँ  सूज गयी है तो सरसों  के तेल में सेंधा नमक मिलकर गर्म करके पैरों  की उंगलियों पर लगाकर जुराब पहन कर सो जायें इससे पैरो  की सूजन ख़त्म हो जाती है। 
सरसो के तेल में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है यदि रोजाना इसके तेल के मालिश की जाए  तो शरीर में रक्त का प्रवाह  सही रहता है जो की गठिया के दर्द में रामबाण का काम करता है क्योकि  इसकी रेगुलर मालिश करने से बंद पड़ी नसे खुल जाती है जिससे खून का प्रवाह  सही हो जाता है। 
सरसों  का तेल मैमोरी बढ़ाने   के लिए भी बहुत अच्छा है इसलिए बच्चों  के आहार बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 
 

Tuesday, February 18, 2020

आपको क्या पता है आप के हाथ कांपते क्यों है?

आपको क्या पता है आप के हाथ कांपते  क्यों है ?

  यदि किसी व्यक्ति के हाथ कांपते  है तो ये एक बीमारी या गंभीर शारीरिक समस्या  की तरफ जाने का इशारा हो सकता है। यदि आप इनके लक्षण पहचान ले तो समस्या का निदान आसानी से हो सकता है आइये जानिए हाथ कांपने  के कारण  
*   जब हमारे शरीर में विटामिन बी-12 की कमी हो जाती है तो  हमारे हाथ काँपने  लगते है इसके लिए हमें अपने आहार में ऐसे पदार्थ लेने चाहिए जिनसे हमें विटामिन बी 12 मिलता है। साथ इस समस्या अधिक हो तो सेप्लीमेंट्री दवा डॉक्टर की सलाह से लेनी चाहिए। 
*   यदि बॉडी में कही स्टोक  है तो शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं होता है जिसके कारण  हाथ काँपने  लगते है इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है। 
*   एनीमिया की प्रॉब्लम के कारण भी हाथ कांपने  की समस्या हो जाती है क्योकि एनीमिया से खून की कमी से कमजोरी आ जाती है जिसके कारण  शरीर कमजोर हो जाता है और शरीर के अंग सही तरह से काम नहीं कर पाते है। 
*  जब शरीर में कॉर्टिसॉल हार्मोन लेवल बढ़ने से स्टेस लेवल बढ़ता है तब शरीर के ब्लड सर्कुलेशन में प्रॉब्लम     आने लगती है इसके कारण  हाथ कांपने  लगते है। 
*   जब शरीर में ब्लड शुगर लो हो जाती है तब हाथ कांपने  लगते है।  इस समस्या के निदान के लिए शरीर के ब्लड शुगर की स्तर  को उठने के लिए उपाय करने चाहिए।  कॉफी पीना या डार्क चॉकलेट खाने से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। 
*   जब ब्रेन में नूरोट्रांसमीटर केमिकल लीक  होने लगता है तब हाथ कांपने  की प्रॉब्लम हो सकती है।  इस समस्या में डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी हो जाता है। 

प्रोस्टेट कैंसर बीमारी को नजरअंदाज न करे जागरूक बने।

प्रोस्टेट कैंसर बीमारी को नजरअंदाज न करे जागरूक बने। 

आज  दुनिया ने चाहे  कितनी भी तरक्की  कर ली हो पर हम जनन और हार्मोन से जुडी बीमारियों के प्रति जागरूक कम है जिसके कारण  हम इन बीमारियों के लछणो  को पहचान नहीं पाते  है जिसके कारण  हमें गंभीर परेशानियों से गुजरना पड़ता है।  इसका एक कारण  महिला हो या पुरुष या तो अपने जनन और हार्मोन की बात किसी के सामने करने में कतराते है या खुलकर इन विषयो पर चर्चा नहीं करते। आज हम इस विषय पर चर्चा करेंगे की कैसे पुरष प्रोस्टेट कैंसर में आ कर बीमार हो रहे है। 
प्रोस्टेट कैंसर पुरषों  में होने वाली एक बीमारी  है।  प्रोस्टेड अखरोट के आकर की एक छोटी से ग्रंथि होती है जिसका कार्य पुरषों  में प्रजनन करने के लिए स्पर्म और हार्मोन का निर्माण करना होता है।  ज्यादातर ये बीमारी पुरषों  में 60 वर्ष की आयु के बाद ही होती है परन्तु युवा पुरषों  को भी इस बीमारी के प्रति  जागरूक रहना चाहिए।  यदि किसी भी पुरुष को इस बीमारी के जरा भी लक्षण नजर आते है तो तुरंत ही वह डॉक्टर की सलाह ले। 
क्या है इस  बीमारी के लक्षण ?  प्रोस्टेट कैंसर में मरीजों को मूत्रत्याग करने में कठिनाई होती है तथा मूत्रत्याग  का कम  और रुक रुक कर होता है। 
बार बार मूत्र त्याग जाने के बाद भी मूत्र त्याग  की इच्छा होना। मूत्रत्याग  करने के बाद भी लगता है की अभी और पेशाब आएगा। 
बार बार मूत्रत्याग करना खासतौर पर रात में ज्यादा मूत्र त्याग  के लिए  जाना  अचानक मूत्र त्याग की इच्छा होना और कण्ट्रोल न होने के कारण  कपड़ो में ही निकल जाना। 
इस बीमारी से कैसे बचे ? इस बीमारी से बचने के लिए खानपान और समय समय पर डॉक्टर द्वारा जाँच करवानी चाहिए।  
हर साल अपने  रूटीन चेकउप में शुगर , ब्लड प्रेशर , किडनी ,लिवर के साथ प्रोस्टेट की जाँच को भी शामिल करे। 
भोजन में खूब सारी  हरी सब्जियाँ  और  फल शामिल करने चाहिए ताकि हमारे शरीर को अच्छी मात्रा में पोषण मिल सके और शरीर बीमारियों से लड़ने के काबिल हो सके। 
अपने शरीर में किसी भी तरह के परिवर्तन को नजरअंदाज न करे यदि कोई भी परिवर्तन हो तुरंत डॉक्टर की सलहा ले। 
यदि आप को मूत्रत्याग में कोई परेशानी होती है तो इसे हलके से न ले।  
मानसिक तनाव को अपने ऊपर हावी न होने दे। 

Monday, February 17, 2020

हँसना जरुरी है स्वस्थ जिंदगी के लिए

हँसना जरुरी है स्वस्थ जिंदगी के लिए 

आजकल की जिंदगी में आदमी मशीन सा बन कर काम कर रहा है।  अपनी निजी जिंदगी में हंसना खेलना तो आप एक सपना सा हो गया है।  अगर आप अपने आसपास लोगो से पूछो की उन्हें खुलकर हँसे  कितना समय हो गया है या आखरी बार आप कब खुलकर हँसे  थे तो शायद ही कोई इसका सही उत्तर  देगा। क्या आप को पता है की हंसना हमारी सेहत के लिए भी जरुरी है। ये उतना ही जरुरी है जितना हमारे शरीर को पौष्टिक आहार होता है। यदि हमारा मन खुश रहेगा तो हम जो भी आहार ले वो हमारे शरीर को लाभ देगा।  हंसने से हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।  एक रिपोर्ट के अनुसार यदि हम रोज एक घंटा खिलखिला कर जोर से हँसे  तो 400 कैलोरी ऊर्जा की खर्च हो जाती है. यानि बगैर जिम जाये या थकाने  वाले व्यायाम से हँसने  का व्यायाम ज्यादा मजेदार और आसान है।  आओ जाने हँसने  के अन्य फ़ायदे। 
हँसने  से हमारे शरीर में मेलाटोनिन नाम का हार्मोन बनता है जो अच्छी नींद के लिए जरुरी है।  यदि हमें अच्छी नींद आती है तो शरीर पूरी तरह से रिलेक्स हो जाता है और अगले दिन काम करने की ऊर्जा मिलती है और अवसाद से मुक्ति। 
हंसने  से शरीर में छह गुना ऑक्सीजन जाती है यानि शरीर को ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त हो रही है। 
हँसने  से हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है जिससे अनेको बीमारियों से हमारा शरीर दूर रहता है। 
हॅंसने  से हमारे शरीर का दिल में खून का दौरा  बढ़ाता है जिससे दिल खून को अच्छे से पंप करता है इससे शरीर में ब्लॉकेज होने का खतरा कम हो जाता है। 
खिलखिला कर हँसने  से चेहरे  की चमक बढ़ती है। आपने की नोटिस किया होगा जो व्यक्ति खिलखिला कर हँसता है उसका चेहेरा  चमकदार होता है। 
जोर से हंसने  से दिमाग़  की अच्छी कसरत है। 
कभी कभी हम बहुत दुखी होते है परन्तु कोई हँसी  की बात याद आ जाए  या कोई अचानक हँसा  दे हमारा अवसाद कम हो जाता है यानि हँसने  से अवसाद कम होता है। 
किसी इंटरव्यू आदि में जाये वहाँ  हँसता हुआ चेहरा होगा तो सामने वाले को आप आत्मविश्वास से भरपूर लगोगे मतलब हंसने  से आत्मविश्वास बढ़ता है। 
आपके शरीर में चाहे कोई भी कमी हो यानि कद छोटा हो या रंग कुछ दबा सा हो तो क्या यदि आपने मुस्कराहट का गहना  पहन रखा है तो आप सबसे खूबसूरत है।  आप ये आज़मा  कर देख ले यदि चेहरे  पर मुस्कराहट नहीं है तो वह  सुन्दर नहीं। 
लोगों  में हंसने-  हंसाने वाले व्यक्ति के मित्र सबसे ज्यादा होते है क्योकि  इन लोगोँ को भीड़ में भी चमकना आता है। 
कक्षा में यदि अध्यापक हंसी - ख़ुशी के मौहोल  में अपने पाठ को समझाता है तो विद्यार्थी विषय को अच्छी तरह से समझ  लेते है। 

Sunday, February 16, 2020

बदलता मौसम यानि वायरल इन्फेक्शन रखे इन बातों का ध्यान।

बदलता मौसम यानि वायरल इन्फेक्शन रखे इन बातों  का ध्यान।

मौसम में बदलाव जब भी होता है तब बहुत सारी  बीमारियों का आगमन भी होता है।  आजकल सर्दिया जाने को है जिसके काऱण  दिन और रात के तापमान में बहुत बड़ा अंतर हो गया है सुबह शाम तो ठन्डे और दिन गर्म।  ऐसा मौसम वायरल इन्फेक्शन को भी लेकर आता है।  आप जहाँ भी जाओ वह आप को ऐसे लोग जरूर मिल जायेगे जो वायरल इन्फेक्शन से ग्रस्त है।  वायरल इन्फेक्शन आमतौर पर ज्यादा खरतरनाक  नहीं होता है। ये आमतोर पर 5 से 7 दिन तक ठीक हो जाता है यदि इन्फेक्शन ज्यादा देर तक रहता है तो खून की जाँच अवश्य  करनी चाहिए इसके साथ हमें भी कुछ सावधानियाँ  बरतनी  चाहिए जिससे इस इन्फेक्शन से बचा जा सकता है।
* अक्सर हम जुकाम और खांसी में कपडे का रुमाल इस्तेमाल करते है।  कपडे के रुमाल के इस्तेमाल से रुमाल में बीमारी की वायरस  तेजी से पनपने लगते है रुमाल धो देने के बाद भी वायरस  रुमाल में रह सकते है यदि हम कपडे के जगह टिशू पेपर या स्किन वाइस का इस्तेमाल करते है तो इससे एक बार इस्तेमाल करने के बाद इन्हे फेक सकते है  दुबारा साफ़  कीटाणु रहित टिशू इस्तेमाल कर सकते है   साथ कपडे के इस्तेमाल से होने वाली परेशानियाँ  जैसे कोमल त्वचा का छील जाना जैसे से बचा जा सकता है। 
* जब भी मौसम बदलता है तो आसपास के वातावरण में कीटाणु , वायरस  आदि तेजी से पनपने लगते है जिसके कारण बीमारियों के फैलने का डर  रहता है।  इसलिए हमें आपपास के वातावरण की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।  आसपास पानी न भरे इस बात का ध्यान रखे।  कूड़ा करकट न इक्खट्टा न हो।  बचा बासी  भोजन न करे। पेड़ पौधों के आपपास मच्छर पनपते है तो कोशिश करनी चाहिए कि  ऐसी जगह पर बैठने और खेलने से बचना चाहिए।
* आवशयक टीकाकरण जरूर करना चाहिए।
* वायरल इन्फेक्शन यदि हो जाए  तो आराम करना चाहिए तथा खांसते  समय या छीकते समय दूसरे व्यक्ति से दुरी बनाकर रखे  रुमाल या टिशू पेपर का इस्तेमाल करे। 
* बीमार  व्यक्ति को ज्यादा तरल पदार्थ पीने  को दे जिससे शरीर का तापमान सही बना रहे। 
* यदि नाक बंद है या छाती जाम है यानि बलगम की समस्या है तो पानी की  भांप  ले या डॉक्टर की सलाह पर  नेब्युलाइज़र का इस्तेमाल करे। 
* गरम चीजों का इस्तेमाल करे।  गर्म पानी पीये।  ठंडी और खट्टी चीजों से परहेज करे।
* मौसम के गरम होने पर भी गर्म कपडे पहना एकदम न छोड़े।
* डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न ले।
* गले में दर्द हो तो गर्म चीजों का सेवन करे और पानी में नमक डाल  कर ग़रारे  करे।
* तुलसी , अदरक , लौंग  , इलाइची , काली मिर्च हल्दी , शहद , जैसी औषिधि  गुणों वाली चीजों का सेवन करे       या इनका काढ़ा  बना कर पिए।
* सब्जियों और फलों  का प्रयोग ज्यादा मात्रा में करे।
* मौसम बदलने से पहले विटामिन और जिंक के सप्लीमेंट का इस्तेमाल करने से भी हम वायरल इन्फेक्शन से बच सकते है


Saturday, February 15, 2020

लो बीपी की समस्या का निदान नामुमकिन नहीं ये उपाय है कारगर -

लो बीपी की समस्या का निदान नामुमकिन  नहीं ये उपाय है कारगर 

बीपी चाहे हाई हो या लो ये समस्या आधुनिक युग में बढ़ती जा रही है। यदि बीपी रीडिंग में 90 mm hg और 60 mmhg से कम है तो ये समस्या की बात है।  आमतौर पर लोग लो बीपी को हलके में ले लेते है जो की खतरनाक है। लो बीपी के कई कारण होते है जैसे खून की कमी , विटामिन्स बी -12  और मिनरल्स की कमी , मधुमेह , लिवर सबंधित कोई परेशानी है तो , शरीर में पानी की कमी होना , किसी दवा का साइड इफ़ेक्ट होना , तनाव , या बहुत देर तक भूखा रहना आदि।  हाई  बीपी को दवाओं  द्वारा कण्ट्रोल किया जा सकता है पर लो बीपी के कैसे कण्ट्रोल करे आईये  जाने।
यदि लो बीपी हो रहा है तो पानी में नमक मिला कर पिए क्योकि  नमक में सोडियम होता है जो बीपी को बढ़ाने में मदद करता है। आप आधा चमच नमक एक गिलास पानी में ले सकते है।  यदि पानी की कमी के कारण बीपी लो हुआ है तो आप को पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए पानी का मतलब ये नहीं की पानी पिया जाये पानी जैसे अन्य चीज जैसे फलों  का रस , निम्बू पानी या नारियल पानी आदि तरल पदार्थ  पानी की कमी को पूरा तो करने है तथा साथ में बीपी का स्तर  का भी सामान्य  करते है। 
यदि बीपी लो रहता है तो आप अपने खाने के समय के अंतराल की अवधि को कम कर दे और साथ ही पौष्टिक खाना खाये इससे शरीर में ऊर्जा की मात्रा बनी  रहती है और ब्लड शुगर का स्तर भी नियंत्रण में रहेगा.
      यदि आपको चक्कर आते है , आँखों के आगे अँधेरा छा  जाता है , या बार बार प्यास लगती है , बेचैनी या अवसाद रहता हो तो अपने डॉक्टर से जरूर मिले।
पैरो को क्रॉस करके बैठने से भी बीपी का स्तर सही होता है क्योकि  पैर को एक के ऊपर एक रख कर बैठने से बीपी का स्तर तेजी से बढ़ता है। यदि इसके साथ अपनी हाथ की मुठ्ठी को बांधना और खोला जाए  बीपी सामान्य रहता है।
निम्न रक्तचाप में अपने खाने पीने  पर ध्यान दे खाने में हरे पत्तेदार सब्जियाँ , सूखे मेंवे , मौसमी फल, गहरे  रंग के फल जैसे आलू बुखारा, काले  ख़जूर  फाइबर, लो फैट मीट, साबुत अनाज ,ऐसा खाद्य पदार्थ जिसमे प्रोटीन, विटामिन्स और फाइबर की मात्रा अधिक हो।
यदि लो बीपी हो रहा है तो स्ट्रांग कॉफ़ी  और चॉकलेट का सेवन करने से बीपी में सुधर आता है।




Sunday, February 2, 2020

हमारे शरीर का सबसे बड़ा दुश्मन कब्ज़

कब्ज़ एक ऐसा दुश्मन जो आपके शरीर को बीमार कर देता है। 

कब्ज: कारण लक्षण और मिटाने के सरल उपचारकब्ज़ की समस्या कई भयानक बीमारियों की जड़ है।  आधुनिक समय में ये बीमारी लोगों  में बढ़  रही है। पहले इसे बड़ी उम्र के लोगों  की समस्या माना जाता था पर आज कब्ज़  की समस्या हर आयु वर्ग की लोगों  में हो रही है। इसका प्रमुख कारण ख़राब जीवनशैली और गलत खानपान है। अगर शुरूवात में कब्ज़ की समस्या को अनदेखा करेंगे  तो भविष्य में ये बड़ी समस्या बन सकती है।
आमतौर पर लोग कब्ज़ की समस्या पर ध्यान नहीं देते या तो आपस में इस पर चर्चा करते हुए शरमाते है उन्हें डर  रहता है की कोई उनका मजाक न बनाये और क़ब्ज़  की समस्या का उपचार करने में लापरवाही बरतते है क्योकि  लोग समझते है ये तो छोटी मोटी सी समस्या है। बड़े बड़े महानगरों में कब्ज़  की समस्या ज़्यादा  फैली हुई है क्योकि  लोग ज्यादा व्यस्त होने के कारण भूख लगने पर कुछ भी खा लेते है जिसे खामयाजा उनके पेट को उठाना पड़ता है। अक्सर सर्दी खांसी के बाद भी कब्ज़  की समस्या हो जाती है। शहरों में लोग देर रात भोजन करते है और खाना खा के सीधा बिस्तर में जा कर सो जाते है जबकि उन्हें खाना खा कर थोड़ा टहलना चाहिये  ताकि खाना आसानी से पच  जाए। कब्ज की समस्या का एक कारण  पानी और तरल पदार्थ  की कम  मात्रा और फाइबर वाली चीजों का कम सेवन करना  है। अलग अलग रिसर्च के अनुसार यदि लम्बे समय तक कब्ज के समस्या रहती है तो डायबिटीज , रक्तचाप बवासीर अल्सर ,पेट दर्द जैसी  समस्याओं का सामना करना पड़  सकता है। कब्ज़  की समस्या के कारण नींद न आने की समस्या और स्वभाव में चिड़चिड़ापन हो जाता हैDoonited कब्ज को सिर्फ 2 दिन में खत्म ...
क्या है ये कब्ज़ की बीमारी    ये हमारे पाचनतंत्र की समस्या है जब काफी समय अंतराल मल  का त्याग नहीं होता है या मल  त्यागने में दर्द और परेशानी होती है।  मल कड़ा और कम आता है , को कब्ज़  की समस्या कहा जाता है। यदि एक हफ़्ते में तीन बार या इससे ही कम बार मल का त्याग होता है को ही कब्ज कहा जाता है। इस अवस्था में यदि समस्या का निवारण नहीं किया तो समस्या गंभीर हो सकती है।
कब्ज़  के प्रकार  कब्ज दो प्रकार की होती है पहली समस्या पुरानी  क़ब्ज़  है इसमें पेट में भारीपन रहता है साथ ही मल कड़ा और मल त्यागने में दर्द होता है।  मल त्यागने के बाद भी लगता है की पेट साफ़ नहीं हुआ है और पेट में भारीपन रहता हैऔर पेट ने गैस की समस्या हो जाती है तथा चेहरे की रौनक ख़तम हो जाती है।
पुरानी कब्ज़ या गंभीर कब्ज़  जब कई दिनों तक मल नहीं निकलता तथा पेट में गैस भर जाती है और वो भी भर नहीं  निकलती ऐसी कब्ज़ की स्थिति गंभीर मानी जाती है क्योकि  इस अवस्था में शरीर पर कई गंभीर प्रभाव हो सकते है।
कब क्यों और कैसे होती है 
  • आधुनिक जीवन की व्यस्त दिनचर्या में अकसर  लोग भूख लगने पर कुछ भी खा लेते है यानि ऐसा खाना जो स्वास्थय की दृष्टि से हानिकारक होता है जैसे मैदा  से बनी  चीजें , या ऐसा खाद्य पदार्थ जिसमे फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है।  फाइबर का काम भोजन को आसानी से पचना और भोजन को आसानी से आगे ले जाता है। फाइबर शरीर से हानिकारक तत्वों को सोख कर शरीर से बाहर  करता है।  यदि खाने में फाइबर की मात्रा कम ली जाए  तो कब्ज़  की समस्या हो सकती है। 
  •  देर रात को भोजन करके सो जाना या शारीरिक श्रम कम करना और ऐसा भोजन करना जिसमे पोषकता कम हो आदि। देर रात खाया भोजन देर से पचता है। 
  •  जिन लोगो के, रीढ़  की हड्डी में दर्द या पैर और घुटने में दर्द रहता है जिसके कारण  वो चलने और फिरने में असमर्थ होते है उन लोगो को कब्ज़  की समस्या हो सकती है। 
  • आजकल लोगो  में जंक  फ़ूड सेवन करने का खूब चलन है युवा पीढ़ी पिज़्ज़ा बर्गर आदि जैसी  चीजें  खूब  स्वाद लेकर खाते  है जिसके कारण  भी कब्ज़  की समस्या हो सकती है। 
  • कई बार छोटे को जब मलत्याग करने की प्रक्रिया को सिखाया जाता है तब वो इस प्रक्रिया से घबरा कर मल रोक लेते है जो कब्ज बन जाती है। 
  • मौसम बदलने के कारण  खानपान की चीजों में बदलाव आता है इस बदलाव से कब्ज़  की समस्या हो सकती है। तरल पदार्थों  का सेवन कम करने से कब्ज की समस्या हो सकती है। क्योकि खाने को आहार नली और आंतो तक पहुंचने के लिए तरल पदार्थ की जरुरत होती है यह काम पानी ही सबसे अच्छी तरह कर सकता है यदि पानी कम मात्रा में पिया जाए तो कब्ज़  की समस्या हो सकती है अक्सर सर्दियों के मौसम में ये समस्या बढ़  जाती है क्योकि  सर्दियों में लोग पानी का सेवन कम करते है। 
  • हाइपोथाइरॉएडिज्म ये थाइरॉएड की समस्या है इसमें थाइरॉएड ग्रंथि निष्क्रिय होने लगती है जिससे मेटाबॉलिजम कम काम करता है इससे थकान  तेजी से वजन बढ़ना कब्ज़  की समस्या होने लगती है इस अवस्था में डॉक्टर की सलाह जरुरी हो जाती है। 
  • कई बार कई जरुरी  जिनमे दर्द की दवाएं या खास तरह की बीमारी की दवाओं  के कारण भी कब्ज़  की समस्या हो सकती है। 
  • नींद की कमी या कम सोने के कारण हमारी पाचन तंत्र पर इसका असर पड़ता है जिसके कारण कब्ज़ की समस्या हो सकती है। 
  • दूध या दूध से बनी  चीजों से कब्ज़  की समस्या हो सकती है। 
  • गर्भावस्था में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स के स्त्राव से मांसपेशियों  में संकुचन होता है और आंतो तक भोजन धीमी गति से पहुँचता है और इस दौरान महिलायें  आयरन अधिक लेती है जिसके  कारण से भी कब्ज़  की समस्या हो सकती है। 
  •  ज्यादा मात्रा में विटामिन , आइरन , कैल्सियम के सप्लीमेंट्स लेने से ही कब्ज़  की समस्या हो सकती है।  

यदि कब्ज की समस्या है तो कुछ घरेलू  उपाय द्वारा इसे दूर किया जा सकता है। पेट समस्या से छुटकारा पाने के घरेलू ...
 जैसे दिन की शुरुवात निम्बू पानी से करे इससे शरीर के हानिकारक तत्व बाहर  निकल जाते है।
रात को दूध के साथ   पेट आरंडी का या जैतून का तेल एक चमच्च  ले।
पपीता कब्ज की समस्या में रामबाण की तरह से काम करता है इसका नियमित सेवन से कब्ज़  की समस्या में रहत मिलती है।
आलसी के बीजो का चूरन का इस्तेमाल करे।कब्ज दूर करने के उपाय How To Cure Constipation by ...
त्रिफ़ला  का पाउडर का नियमित सेवन भी कब्ज में कारगर सिद्ध हो सकता है
बेरी , बादाम,  ओट्स ,संतरा,ब्राउन राइस , फल सब्जियाँ आदि का सेवन करना चाहिए।
मयूरासन  अर्धमत्सेंद्रासन , हलासन , पवनमुक्त आसान , तितली मुद्रा आदि योगासन द्वारा अब्ज की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
यदि कब्ज़  की समस्या अधिक दिन तक बनी हुई है तो चिकित्सक सलाह लेनी चाहिए और निम्न जाँच करानी चाहिए।
कब्ज़  की समस्या के लिए कुछ जरुरी टेस्ट   यदि कब्ज़  की समस्या अधिक और कई दिनों तक बनी  हुई है तो ये इन जांचो को कराना  चाहिए ताकि समस्या का निदान हो सके।
मारकर जाँच -- इस जाँच में डॉक्टर खास तरह की दवा देता है फिर शरीर का एक्स -रे लिया जाता है जिससे  पता चलता है की शरीर कैसे काम कर रहा है और पेट की सही स्थिति का पता चलता है।
एनोरेक्टल मैनोमेट्री   इस टेस्ट में मलद्धार में एक ट्यूब डाल कर शरीर की मांसपेशियों की जाँच की जाती है।
बेरियम एनीमिया टेस्ट -- इस टेस्ट में लगभग 12 घंटे मरीज को खूब सारा पानी पिलाया जाता है फिर एक्सरे से जाँच की जाती है जिससे आंतो और मलाशय की स्थिति से समस्या का पता लगाया जाता है।




गर्मियों में इन उपायों के साथ खुद को स्वस्थ रखना कोई मुश्किल काम नहीं।

  गर्मियों में इन उपायों के साथ खुद को स्वस्थ रखना कोई मुश्किल काम नहीं।  गर्मियों के मौसम में खुद को स्वस्थ रखना एक बहुत बड़ी चुनौती  ह...