Thursday, March 26, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं

शरीर रहे स्वस्थ : पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं: पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं  पैर भी हमारी सेहत का आईना है जो हमारे शरीर में होने वाली परेशानियों को बता देते है। हमारे प...

पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं

पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं 

पैर भी हमारी सेहत का आईना है जो हमारे शरीर में होने वाली परेशानियों को बता देते है। हमारे पैरों से हमारे शरीर की बिमारियों  के संकेत मिलते है जो  एक तरह की खतरे की घंटी होते है जो हमें बताते है की कही कुछ खराबी है। यदि हम इन संकेतों पर समय रहते  ध्यान दे तो शरीर में हो रही बिमारियों का इलाज समय पर करा सकते है।
सूखे पपड़ीदार पैर -----  यदि आपके पैर तेल आदि लगाने के बाद भी सूखे सूखे पपड़ीदार रहते है तो ये लक्षण थाइराइड की और इशारा करते है। यदि ऐसा आपके साथ हो रहा है तो तुरंत अपना थाइराइड टेस्ट करवाए।
पैर का जख्म ----- यदि कई दिनों तक आपका पैर का जख्म सही नहीं हो रहा है इसका कारण खून में शुगर की मात्रा अधिक होने का यानि डाइबिटीज का लक्षण हो सकता है।  डाइबिटीज में खून की नसें कमजोर और क्षतिग्रस्त हो जाती है जिसके कारण पैरों में ज्यादा परेशनियाँ होती है।  इसलिए अपने खून की जाँच करवाए।
Image result for pero me sujan aane ka karan kidneyपैरों में ऐठन ----- यदि आपके पैरों में ऐठन होती है तो इसका मतलब आपके शरीर में किसी तरह के तरल पदार्थ की कमी है या आपके पैरों का ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं हो रहा है। ये भी डाइबिटीज के कारण हो सकता है।
पैरो के अँगूठों में दर्द ----- यदि पैरों के अँगूठों में दर्द रहता है तो ये इस बात का संकेत है की आपके शरीर में प्यूरिन (एक प्रकार का केमिकल होता है जो कुछ खाद्य पदार्थों जैसे मीट , मछली ,कुछ तरह के अलकोहल  में होता है। ) की मात्रा ज्यादा है। प्यूरिन शरीर में यूरिक एसिड को बढ़ा देता है। यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा होना हमारे शरीर के लिए हानिकारक है। इसके लिए हमें ऐसे आहार को कम करना होता है जो हमारे शरीर में यूरिक एसिड बढ़ाते है।  
पैरों की उँगलियों का आगे से चौड़ा और मोटा होना ---- यदि पैरों की उँगलियों का आगे का हिस्सा चौड़ा और मोटा हो तो ये फेफड़ों में संक्रमण ,हार्ट प्रॉब्लम ,या आंतों की बीमारी का संकेत है। डॉक्टर से मिलकर सभी आवश्यक जाँच करनी चाहिए।
Image result for dharidar nakhunपैरों के पीले नाख़ून ---- पैरों के पीले नाखून इस बात का संकेत करते है कि आपके शरीर में किसी तरह की कोई बीमारी है जैसे स्किन संबंधी बीमारी या कैंसर की बीमारी। यदि ऐसा हो तो अपने डॉक्टर से जरूर मिले।
पैरों के अंगूठे पर लाल धारियों का होना ----- पैरों के अंगूठे पर लाल धारियों का होना मतलब हार्ट में इन्फेक्शन होना है ऐसा तब होता है जब हार्ट वेन्स टूट जाती है। कीमोथेरिपी ,एचआईवी या डाइबिटीज का संकेत होता है यदि ऐसा नजर आये तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।
Image result for pero me sujan aane ka karan kidneyपैरों में सूजन ---- यदि पैरों में सूजन किडनी से जुडी कोई समस्या या एनीमिया हो सकता है यदि पैरों में झनझनाट हो ये डाइबिटीज या कम बलूड़सर्कुलेशन के भी लक्षण हो सकते है।
पैरों में बदबू का आना ---- यदि पैरों में बदबू आती है तो ये पैरों में इन्फेक्शन की और इशारा करते है। पैरों के इन्फेक्शन में पैरों में खुजली होना, छाले होना ,उँगलियों के बीच सूखापन या सूजन होना। इसके लिए डॉक्टर की सलाह ले। 

Tuesday, March 24, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...: डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है।  आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत ख...

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...: डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है।  आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत ख...

डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है

डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है। 

आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत खान पान और गलत जीवन शैली के कारण एक बीमारी लोगों को घुन की तरह खा रही है वो है डाइबिटीज। डाइबिटीज को धीमी मौत भी कहा जाता है। Image result for sugar test
क्या है डाइबिटीज ------ डायबिटीज एक तरह का शारीरिक विकार जो की अनेक प्रकार की बिमारियों का कारण है  जिसमे जब  शरीर की पैंक्रियास  में इन्सुलिन जब कम मात्रा में पहुँचता है जिसके कारण खून में ग्लूकोज़ ज्यादा  मात्रा में बढ़ जाता है। जिसके कारण शरीर सही प्रकार से भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित नहीं कर पाता  है और ग्लूकोज़ की बढ़ी  मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचाने  लगती है। इन्सुलिन एक प्रकार का हार्मोन होता है जो शरीर के पाचक ग्रंथि से बनता है जिसका काम  भोजन को ऊर्जा में बदलना होता है। इन्सुलिन हार्मोन द्वारा ही शरीर में शुगर  का स्तर सही रहता है। यदि डाइबिटीज का इलाज सही समय पर नहीं किया तो ये जानलेवा भी हो सकती है।
 डाइबिटीज तीन प्रकार की होती है पहली टाइप 1 दूसरी टाइप 2 डाइबिटीज तीसरी प्रीडायबिटीज ।
 टाइप 1 डाइबिटीज में पैंक्रियाज में इन्सुलिन हार्मोन बनना बंद हो जाता है जिसके कारण खून में गुलकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है। इसका कारण आनुवंशिकता  है। ये बच्चों को जन्म के समय से भी हो सकती है। इस बीमारी में इन्सुलिन को इंजेक्शन से शरीर में इन्सुलिन हार्मोन को डाला जाता है।
  टाइप 2 डाइबिटीज में पैंक्रियाज में जरुरत के हिसाब से इन्सुलिन नहीं बन पाता है या इन्सुलिन हार्मोन ठीक से काम नहीं करता है। इस बीमारी में इन्सुलिन हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए दवाओं और जीवनशैली में परिवर्तन से कण्ट्रोल किया जाता है।
प्रीडायबिटीज में खून में शुगर की मात्रा लगभग खतरे के निशान के लगभग होती है इसे बॉडर लाइन डाइबिटीज भी कहते है। यदि समय रहते इस बीमारी का पता चल जाये तो इस बीमारी को कण्ट्रोल करना आसान होता है और डाइबिटीज के दुष्परिणामों से बच सकते है।
क्या कारण होता ही डायबिटीज होने का ?------ डायबिटीज होने की दो कारण होते है पहला जिसका कारण असंतुलित खानपान , गलत जीवन शैली ,मोटापा ,तनाव, और व्यायाम न करना दूसरा अनुवांशिक कारण यदि परिवार की हिस्ट्री में किसकी को डाइबिटीज थी तो आनेवाली  में डायबिटीज होने की आशंका हो सकती है।
डायबिटीज के लक्षण ------ ज्यादा प्यास लगना।
बार पेशाब आना।
किसी भी जख़्म का देर से भरना।
शरीर में संक्रमण बढ़ना और जल्दी से ठीक नहीं होना।
आंखों की रोशनी का कम होना।
शरीर का वजन तेजी से कम होना।
गुप्तांगों पर खुजली वाले ज़ख्म।
बार शरीर पर फोडेफुंसियां निकलना।
चक्कर आना
चिड़चिड़ापन
ज्यादा थकान होना
ज्यादा भूख लगना
हाथ पैर का सुन होना
 डाइबिटीज के लिए कुछ  आवश्यक ब्लड टेस्ट जिनको करवाने से इस बीमारी की स्थिति का पता चलता है।
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फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज़  टेस्ट ------ इस टेस्ट को करवाने के लिए कम से कम 8 घंटे तक कुछ न खाया हो यानि आप भूखे पेट हो। ये टेस्ट सुबह के समय नाश्ते से पहले किया जाता है। इससे आपको पता चलता है कि आपकी शुगर किस लेवल पर है। ये टेस्ट डाइबिटीज और प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए सबसे सटीक टेस्ट  है। ये सबसे सस्ता और सुविधाजनक टेस्ट है।
पोस्ट प्रेडियल ब्लड शुगर टेस्ट ---- इस टेस्ट को नाश्ते के दो घंटे के बाद किया जाता है।इस टेस्ट में खाने की बाद शरीर में भोजन का ऊर्जा में बदलने के बाद शुगर के स्तर का टेस्ट किया जाता है।
ओरल ग्लूकोज़  टॉलरेंस टेस्ट ------ इस टेस्ट से पता चलता है की फास्टिंग की बाद यदि ग्लूकोज़  दिया जाये तो शरीर इस ग्लूकोज़  को कितना इस्तेमाल करता है और इसपर शरीर की प्रक्रिया क्या रहती है। इस टेस्ट में पहले खाली पेट टेस्ट होता है फिर मीठा खाने या ग्लूकोज़ (75 ग्राम )  को पिलाकर कर दो घंटे के बाद ब्लड टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट को करवाने के लिए 8 से 10 घंटे कुछ नहीं खाना होता है।
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रैंडम प्लाज्मा टेस्ट  ------ इस टेस्ट को  कभी भी करवाया जा सकता है इसमें भूखे रहने या खाने पीने की कोई पाबंदी नहीं होती है। इसमें शरीर में  भोजन का ऊर्जा में बदलने  के बाद   शुगर का टेस्ट होता है। Image result for type of blood sugar test hindi mein
एचबीए1सी टेस्ट -------- इसे ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन या A 1 सी टेस्ट भी कहा जाता है। ये डायबिटीज का पता लगाने का सबसे बढ़िया टेस्ट है।  ये रक्त में हीमोग्लोबिन  और लाल रक्तकोशिकाओं से जुड़े  ग्लूकोज़ की मात्रा को नापता है। ग्लूकोज़ इससे पिछले तीन महीने के शुगर के स्तर का पता चलता है यदि इसका लेवल ज्यादा हो तो डाइबिटीज से जुडी परेशानियों  से खतरा बढ़ जाता है। इस टेस्ट से दिल और नसों की परेशानियों का पता चलता है। ये असंतुलित लिपिड प्रोफइल  जिसमे ज्यादा  कोलेस्टॉल  ,ख़राब एलडीएल,अच्छे कोलेस्ट्रॉल  एचडीएल की जानकारी देता है। Image result for type of blood sugar test hindi mein
फ्रूक्टोजामाइन टेस्ट ------  फ्रूक्टोजामाइन टेस्ट यानि ग्लाइकेटेड सीरम प्रोटीन या ग्लाइकेटेड एल्ब्यूमिन टेस्ट में दो तीन हफ्ते का शुगर टेस्ट होता है जिसमे ब्लड में शुगर के साथ प्रोटीन मिलने से एफ ए बनता है एफए का स्तर बढ़ने से ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ता है। इस टेस्ट से ब्लड में  शुगर में बदलाव का पता चलता है जिससे इस बदलाव को पहचान कर इलाज शुरू किया जा सकता है।
डाइबिटीज से कैसे बचा जाए ? डाइबिटीज से बचने के लिए कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
तनाव मुक्त रहे।
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स्वस्थ जीवनशैली अपनाये यानि संतुलित भोजन और सही  समय अंतराल पर।
व्यायाम करना।
मीठी चीजों ,फ़ास्ट फ़ूड और मैदा  की बनी चीजों से परहेज करे।
शारीरिक श्रम करना।
खाने में फाइबर के मात्रा ज्यादा लेना।






Monday, March 23, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके ...

शरीर रहे स्वस्थ : हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके ...: हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके लिए गंभीर हो सकती है।  हड्डियों में दर्द की समस्या पहले केवल  अधिक उम्र के लोगो को तो ह...

हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके लिए गंभीर हो सकती है।

हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके लिए गंभीर हो सकती है। 

हड्डियों में दर्द की समस्या पहले केवल  अधिक उम्र के लोगो को तो होती थी पर आजकल युवाओं में भी हड्डियों के दर्द की समस्या देखी जा रही है। पुरुषों के तुलना में महिलाओं में हड्डियों के दर्द की ज्यादा समस्या देखने को मिलती है।  हड्डियों में दर्द मांसपेशियों के दर्द से अलग होता है।  हड्डियों का दर्द लगातार होता रहता है जबकि मांसपेशियों का दर्द कुछ समय के बाद ख़तम हो जाता है। हड्डियों के दर्द के वजह उन बिमारियों को माना जाता है जो हड्डियों को प्रभावित करती है। Image result for haddiyon me dard
लक्षण क्या होते है हड्डियों में दर्द के ----- जब चलने ,खड़ा होने पर यहाँ तक की आराम करते समय भी दर्द हो इसका कारण सूजन , हड्डी पर चोट या जख्म हो सकता है।
सूजन और क्रेपिटस -- जोड़ों के हिलने डुलने से कट कट जो आवाज आते है उसे क्रेपिटस कहते है इसका कारण हमारे जोड़ो में जो लिक्विड होता है उसमे हवा के बुलबुले फूटने के कारण एक तरह की आवाज पैदा होती है। कई बार ये आवाज मांसपेशियों के टेंडन या लिगामेंट्स के रगड़ से भी होती है जो एक आम बात है।  यदि जोड़ों में अकड़न आधे घंटे से ज्यादा हो या सूजन हो तो डॉक्टर को दिखाना जरुरी हो जाता है।
चलते समय जोड़ों का जाम हो जाना ---- इसमें हड्डियों में रक्त की आपूर्ति में अवरोध होता है जिसके कारण अचानक चलते समय जोड़ जाम हो जाते है। Image result for haddiyon me dard
जोड़ो में कड़कपन  ---- जब हड्डियों में कैल्शियम फास्फोरस विटमिन डी के कमी हो जाती है तब हड्डियों में कड़कपन आ जाता है।
 विटामिन डी का कम होना ---- विटामिन डी  कमी से शरीर में कैल्शियम अवशोषित नहीं हो पता है जिसके कारण शरीर की हड्डियों में कमजोरी आ जाती है।
बुखार या कोई संक्रमण में दर्द ----- कई बार शरीर में बुखार या अन्य प्रकार के संक्रमण होने के कारण भी हड्डियों में दर्द हो सकता है। कभी कभी हड्डियों के  कैंसर में भी इस तरह के लक्षण हो सकते है।
Image result for haddiyon me dardहड्डियों के दर्द के कारण ------इसमें  चोट लगाना या जख्म जो ऊपर से नजर आता है के कारण दर्द हो सकता है।
फ्रैक्चर ---- हड्डी का टूटना या फ्रैक्चर होने से हड्डी में असहनीय दर्द होता है।
हड्डी में टीबी होना।
ल्यूकेमिया----  ये एक तरह का ब्लड कैंसर होता है। इसमें अचानक वजन गिरना और कमजोरी आती है।
ऑस्टियोपोरोसिस ------- जब शरीर में कैल्शियम , मैग्नीशियम , विटामिन डी ,आदि खनिज पदार्थों की कमी हो जाती है तो हड्डियां कमजोर हो जाती है इससे हड्डियों का टूटने का भुरभुरा और टूटने का डर रहता है। आस्टियोपोरोसिस में शरीर की किसी भी हड्डी में अचानक दर्द होने लगता है।
विटामिन और कैल्शियम की कमी ---- विटामिन और कैल्शियम की कमी से हड्डियों का विकास सही तरीके  से नहीं हो पाता है और ये कमी हड्डियों को कमजोर बनती है जिसे हड्डियाँ पतली हो जाती है।
कैल्शियम की अधिकता ----- कैल्शियम हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक होता है परन्तु इसकी अधिकता यानि जब कैल्शियम की ज्यादा मात्रा शरीर के फास्फेट के साथ मिलकर एक केमिकल बनती है जो हड्डियों को भुरभुरा बनती है जिसके कारण हड्डियाँ कमजोर होकर टूटने लगती है। ज्यादा मात्रा में कैल्शियम से शरीर में मैग्नीशियम के कमी हो जाती है जो हड्डियों की सेहत के लिए हानिकारक है।
आवश्यक मिनरल की कमी होना --- हड्डियों की सेहत के लिए विटामिन सी ,विटामिन डी , विटामिन इ बहुत जरुरी होता है यदि शरीर में इनकी कमी हो जाये तो हड्डियों की सेहत बिगड़ने लगती है। ये हड्डियां में दर्द और कमजोरी का कारण हो सकता है।
रूमेटाइड  आर्थराइटिस ----- ये हड्डियों की एक बीमारी है जिसमे हड्डियों में जलन ,सूजन ओर दर्द होता है। इसमें हड्डियों के जॉइंट्स का आकार  बदलने लगता है , हड्डियों में टेढ़ापन आ जाता है। Image result for haddiyon me dard
पेजेट रोग ----- हड्डियों का ये रोग किसी भी आयु में हो सकता है। इसमें अचानक हड्डियों में दर्द होने लगता है इसका कोई खास कारण सामने नहीं आया है। इसमे हड्डियों  में सुन्नपन या सिरहन सी होती है इसमें बड़ी हड्डी के नजदीकी वाली नसों में दर्द होता है। कूल्हा या घुटने में दर्द और अकड़न के साथ व्यक्ति लंगड़ाकर चलता है।
प्रोटीन सप्लीमेंट ज्यादा लेने से ----- आजकल के युवा अपनी बॉडी बनने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट लेते है  कुछ तरह के प्रोटीन सप्लीमेंट में स्टेरॉइड होता है जिसकी अधिकता से नसे सुकुड़ जाती है और बोन टिशू को नुकसान  होता है जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती है। Image result for haddiyon me dard
 व्यायाम ------ जब ज्यादा व्यायाम किया जाता है जिसके कारण हड्डियों और जोड़ों में खिचाव और दर्द हो सकता है। जुम्बा और एरोबिक्स  आदि व्यायाम आदि बिना ट्रेनर के किया जाये तो ये भी हड्डियों और मांसपेशियों की परेशानी का कारण बन सकता है।
प्रदूषण ---- हड्डियों को कमजोर करने का एक कारण प्रदूषण भी है। प्रदूषण खून में विकार पैदा करते है जिसके कारण शरीर में पोषक तत्व की कमी हो जाती है जो हड्डियों की कमजोरी और दर्द का कारण हो सकती है।
हड्डियों के दर्द का इलाज --- हड्डियों के दर्द के इलाज के लिए डॉक्टर कुछ जांच कराता है जिससे हड्डियों के दर्द का कारण पता चलता है ये टेस्ट करवाने होते है
ब्लड टेस्ट  (सीबीसी  , ब्लड डिफरेंशियल )Image result for haddiyon me dard
हड्डियों और जोड़ों का एक्सरे और स्कैन
हड्डियों का सीटी और एमआरआई स्कैन
लेवल और हार्मोन्स
यूरिन टेस्ट
पिट्यूटरी और एड्रिनल
 हड्डियों के दर्द का इलाज ------ शुरू में डॉक्टर बिना जाँच किया दर्द निवारक दवाएँ और एंटीबायोटिक दवाएँ देते है जिसे दर्द में आराम मिलता है तथा संक्रमण के कीटाणु ख़त्म होते है।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी दूर करने के लिए विटमिन डी ,कैल्शियम ,मिनरल की दवाएं और सप्लीमेंट्स दिया जाता है ताकि यदि शरीर में इनकी कमी हो तो पूरी हो जाये। Image result for haddiyon me dard
यदि जांचों में हार्मोन्स संबंधी कोई परेशानी हो तो डॉक्टर उस हार्मोन्स का स्तर को सही करने की दवाएँ देते है।
कुछ व्यायाम द्वारा हड्डियों और जोड़ों में  गतिशीलता बढ़ती है दर्द कम तो होता है ही साथ में कड़ी मांसपेशियों में लचीलापन आता है जिससे दर्द में आराम मिलता है। फिजियोथेरेपी और अलग अलग तरह की सिकाई  से दर्द में राहत दी जाती है।
कुछ मामलों में जैसे कैंसर या हड्डियों में इन्फेक्शन वाला भाग को सर्जरी से निकला जाता है। गंभीर रोगों में जोड़ों को सर्जरी द्वारा बदला भी जाता है।  घुटनों में यदि घिसावट या अन्य प्रकार का क्रेक है तो सर्जरी से घुटना बदला जा सकता है।



गर्मियों में इन उपायों के साथ खुद को स्वस्थ रखना कोई मुश्किल काम नहीं।

  गर्मियों में इन उपायों के साथ खुद को स्वस्थ रखना कोई मुश्किल काम नहीं।  गर्मियों के मौसम में खुद को स्वस्थ रखना एक बहुत बड़ी चुनौती  ह...