थाइराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों ?
इस आधुनिक जीवन में अधिकतर लोग तनावपूर्ण जीवन जीते है। ज्यादा तनाव में रहने की कारण शरीर में अनेकों विकार उत्पन हो जाते है ये ही विकार आगे चल कर गंभीर बिमारियों का कारण बन जाते है। आजकल की ख़राब जीवन शैली और तनाव के कारण हमारे शरीर के हार्मोन्स सही तरह से काम नहीं कर पाते है जिसके कारण कई प्रकार की शारीरिक परेशानियाँ हो जाती है।ऐसे ही विकारों में एक विकार थायराइड ग्रंथि का सही से काम न करना है यानि थायराइड नाम का हार्मोन्स का कम बनाना या न बनना होता है । थायराइड ग्रंथि का सही से न काम करने के कारण शरीर में अनेकों परशानियाँ हो जाती है जैसे मोटापा , मांसपेशियों में दर्द , अचानक वजन कम होना आदि।थायराइड की बीमारी शुरू में किसी को पता नहीं चलती है क्योकि इस बीमारी के शुरू के लक्षण किसी को समझ नहीं आते है। थायराइड के रोगों को अगर साइलेंट किलर भी कहे तो गलत नहीं होगा क्योकि इसके सभी लक्षण जल्दी पकड़ में नहीं आ पाते है। यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए तो ये धीरे धीरे मृत्यु की और ले जाती है।क्या होती है थायराइड ग्रंथि -------हमारे गले में एक छोटी से ग्लैंड होती है। ये एंडोक्राइन ग्लैंड गले के आगे के हिस्से में तितली के आकार की होती है इसी ग्लैंड को थायराइड ग्रंथि कहते है इसी ग्लैंड से थायराइड हार्मोन (जो की आयोडीन के मदद से बनता है ) निकलता है जिसका काम शरीर के मेटाबॉलिज़्म को नियंत्रित करना होता है। हम जो भी खाते है उस खाने को ऊर्जा में बदलने का काम ये छोटी सी ग्लैंड करती है और ये ही छोटी सी ग्लैंड हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल ,हमारी हड्डियाँ , दिल और हमारी मांसपेशियों को भी प्रभावित करती है। यदि थायराइड ग्लैंड से हार्मोन कम या ज्यादा स्त्राव हो तो समस्या उत्पन्न हो जाती है।
थायराइड से होने वाली समस्या -----
* हाइपोथायराइडिज्म ---- इसमें थायराइड ग्लैंड एक्टिव नहीं होता है जिसके कारण शरीर की आवश्यकता के अनुसार टी 3 ,और टी 4 हार्मोन नहीं पहुंच पाता है जिसके कारण शरीर में अनकों परेशानियां उत्पन्न हो जाती है। यदि किसी को परिवार में इस तरह की परेशानी है तो घर के अन्य सदस्यों को भी ये इस तरह की परेशानी हो सकती है। ज्यादार ये समस्या छोटे बच्चों में पायी जाती है जिसका दवाओं से उपचार संभव है। इस समस्या के लक्षण निम्न है।
शरीर का अचानक वजन कम हो जाता है।
इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।
शरीर थका थका सा रहता है यानि सुस्ती छाई रहती है।
अनियमित पीरियड
कब्ज की शिकायत
चेहरे और आँखों पर सूजन आना
बालों का झड़ना
त्वचा का रुखा और पतला होना
डिप्रेशन
मांसपेशियों में अकड़न
गला बैठना
इस समस्या के लिए टेस्ट और उपचार ------
हाइपोथायरोडिज्म में हार्मोन का स्तर जांचने के लिए कुछ ब्लड टेस्ट जैसे
TSH यानि थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन्स
टी 4 (थायरोक्सिन )
थायराइड अल्ट्रासाउंड
थायराइड स्कैन
हाइपोथाइरोडिज्म का इलाज ---- इस समस्या के इलाज में डॉक्टर थायराइड हार्मोन टी 4 (मैन मेड सिंथेटिक हार्मोन) गोली कहने की सलाह देते है।
समय समय पर थायराइड हार्मोन के स्तर की जाँच की जाती है ताकि हार्मोन की दवा की सही मात्रा दी जा सके।
हाइपरथाइराडिज़्म
इस समस्या में थाइराइड ग्लैंड ज्यादा एक्टिव हो जाती है जिसके कारण टी 3 ,टी 4 हार्मोन खून में ज्यादा पहुंच जाता है। ये थायराइड ग्लैंड में अतिरिक्त टिशू बनने के कारण होती है। इसके लक्षण कुछ साफ़ नहीं होते है ये किसी और बीमारी से मिलते जुलते भी हो सकते है। कुछ लोगों का इस समस्या में ग्लैंड बड़ा हो जाता है जिसे घेघा या गोइटर भी कहते है। यदि ज्यादा मात्रा में आयोडीन का सेवन किया जाये तो ये समस्या हो सकती है। इस समस्या के ये लक्षण हो सकते है।भूख ज्यादा लगती है पर वजन अचानक कम हो जाता है।
मासपेशियाँ कमजोर हो जाती है।
घबराहट , चिंता या बेचैनी हो सकती है
हाथ का कंपना
सुस्ती
कब्ज
धीमी ह्रदय गति
पीरियड में अनियमता
गर्भपात
क्या कारण होते है हाइपरथाइराडिज़्म
* यदि थायराइड ग्लैंड बढ़ जाये (जो की घेघा नाम की बीमारी होती है ), तो हार्मोन्स बनाने की क्षमता कम हो जाती है।*ज्यादा मात्रा में सोया पदाथों का सेवन करना।
*कभी कभी किसी दवा के साइड इफ़ेक्ट के कारण भी थायराइड समस्या हो सकती है।
* शरीर में आयोडीन की कमी या अधिकता के कारण।
* लेज़र के उपचार के साइड इफेक्ट्स।
* ज्यादा तनाव में रहना।
* परिवार की हिस्ट्री यानि परिवार में किसी सदस्य को ये समस्या है तो परिवार के अन्य सदस्यों को ये समस्या होने का संदेह रहता है।
* गर्भावस्था में या बच्चे के जन्म के बाद ये समस्या कुछ समय तक हो सकती है कुछ समय अंतराल ये समस्या अपने आप गायब हो जाती है।
* मोनोपॉज के समय क्योकि इस दौरान महिलाओं में हार्मोन्स में तेजी से बदलाव होते है।
* विटामिन ए की कमी के कारण।
* वायरल इन्फेक्शन के कारण।
* ध्रूमपान
* कुछ हानिकारक पदार्थ जैसे कीटनाशक ,प्लास्टिक ,जीवाणुरोधी उत्पाद और किसी किसी को ग्लूटेन लेने से भी ये समस्या हो सकती है।
हाइपरथाइराडिज़्म की समस्या का पता लगाने के लिए इन टेस्ट की जरुरत होती है।
इस समस्या के लिए टेस्ट और उपचारहार्मोन का स्तर जांचने के लिए कुछ ब्लड टेस्ट जैसे
TSH यानि थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन्स ---
टी 4 (थायरोक्सिन )
थायराइड अल्ट्रासाउंड
थायराइड स्कैन
हाइपरथाइराडिज़्म का इलाज
हाइपरथाइराडिज़्म की समस्या में डॉक्टर कुछ ऐसी दवा जैसे propythiouracil एंड methimazole दवा देते है जो थाइराइड ग्लैंड को नए हार्मोन्स बनाने से रोकता है परन्तु इस तरह की दवा के साइड इफेक्ट्स हो सकते है।
कभी कभी थायराइड ग्लैंड का कुछ हिस्सा सर्जरी के द्वारा निकला जाता है पर पूरी जिंदगी थायराइड की दवा खानी पड़ती है।
थायराइड का स्तर कम रखने के लिए उपाय ------
- यदि आप थायराइड हार्मोन को संतुलित करने की दवा का सेवन कर रहे है तो फ्राइड फ़ूड का सेवन न करे क्योकि फ्राइड भोजन के साथ ये दवाएँ अपना असर नहीं करेगी।
- थायराइड की समस्या में चीनी का प्रयोग न करे।
- ज्यादा कॉफ़ी थायराइड की समस्या को बढ़ा देता है इसलिए कॉफ़ी का प्रयोग कम करे।
- ब्रोकली बंदगोभी और फूलगोभी का सेवन थायराइड की समस्या में न करे खासतौर पर यदि आप इस समस्या की दवा का सेवन कर रहे है।
- ग्लूटेन वाले प्रोडक्ट्स का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ग्लूटन प्रोडक्ट्स में पाए जाने वाले प्रोटीन थायराइड की समस्या को बढ़ा देते है
- सोया पदार्थों का सेवन कम या न करे।
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