Sunday, May 17, 2020

गर्मियों में इन उपायों के साथ खुद को स्वस्थ रखना कोई मुश्किल काम नहीं।

 गर्मियों में इन उपायों के साथ खुद को स्वस्थ रखना कोई मुश्किल काम नहीं। 



गर्मियों के मौसम में खुद को स्वस्थ रखना एक बहुत बड़ी चुनौती  है। इस मौसम में हमारा शरीर बाहरी और आंतरिक रूप से   बुरी तरह प्रभवित होता है। थकान, आलस और सारे शरीर में सुस्ती बनी रहती है।  गर्मी के बुरे प्रभाव से बचने के लिए हम हर तरकीब अपनाते है। ऐसे कुछ देसी नुस्खे है जो गरमी के बुरे प्रभाव से आपको बचा कर रखेगा।


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करे मौसमी फल सब्जियों का इस्तेमाल ------ प्रकर्ति ने भी हमें मौसम की मार से बचाने के लिए अनेकों इंतजाम किये है उनमे से एक है ऐसे फल और सब्जियों का गर्मियों के मौसम में होना जिसमे ज्यादा मात्रा में पानी और जरुरी विटामिन्स और मिनरल्स का होना जिससे हमारा शरीर हाइड्रेट हो सके साथ ही मौसम के बुरे प्रभाव से बच सके। गर्मियों के मौसम में हमें ऐसे फलों और सब्जियों का सेवन करना चाहिए जिसमे पानी की मात्रा अधिक हो जैसे तरबूज , खरबूजा , खीरा , कच्चा प्याज  आदि।

इन बीजों का सेवन लाभकारी है ----- मेथी , खसखस , सौंफ, खरबूजे के बीज आदि का प्रयोग करने से शरीर की गर्मी ख़तम होती है। मेथी और सौंफ का पानी शरीर के हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर करता है तथा खरबूजे के बीज और खसखस के बीज शरीर की गर्मी को कम करते है गर्मी के कारण शरीर का तापमान बढ़ने नहीं देते है। इन बीजों का सेवन शरबत या ठंडाई बना कर भी किया जा सकता है।

If you want to keep your kidney healthy then follow these step

Amla, Gooseberry, आँवला, आमला - Kalki Agro Foods, Behror ...सबसे पावर फुल नारियल पानी ----- गर्मियों में नारियल पानी का सेवन करना बहुत ही लाभदायक रहता है।  ये शरीर को गरमी से लड़ने में मदद तो करता है साथ ही शरीर को  गर्मी की कारण होने वाली बिमारियों से बचता है।  नारियल पानी में विटामिन बी ५,बी ६ और फोलेट जैसे जरुरी तत्व तनाव को कम करते है।  नारियल पानी गर्मी के शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है।  लू लगने की समस्या में ये रामबाण की तरह से काम करता है।

अमृत के समान है आंवले  का सेवन ----- बहुत से शोधों और आयुर्वेद के अनुसार आंवले  के इस्तेमाल करने से शरीर को अनेकों फायदे होते है। इसमें पाया जाने वाला विटमिन सी शरीर की गर्मी को बाहर निकलने में मदद करता है। रोज आंवले के रस या आंवले का सेवन करने से शरीर में गर्मी के कारण होने वाले फोड़े फुंसी , चकत्ते और मुंहासे सही हो जाते है तथा  इसमें पाया जाने वाला विटामिन सी शरीर को बिमारियों से लड़ने में मदद करता है।

पुदीना के फायदे, उपयोग और नुकसान – Mint ...

पुदीने का इस्तेमाल ----- गर्मियों में पुदीना शरीर को शीतलता प्रदान करता है तथा शरीर का तापमान को तुरंत कम करने में मदद करता है।  ये लू लगने की अवस्था में बहुत लाभकारी होता है। यदि पुदीने की पत्तियों को पीस कर पानी में मिलकर स्नान करने से गर्मी से राहत मिलती है।  पुदीने का शरबत गर्मियों में पेट को ठंडा रखते है और गर्मी के कारण होने वाले अपच को दूर करता है।

लस्सी या छाछ का प्रयोग ---- गर्मियों में लस्सी या छाछ का प्रयोग किसी किसी अमृत से कम नहीं। ये एक देसी पेय है और इससे घर में आसानी से बनाया जा सकता है। इसमें खनिज और विटामिन शरीर को गर्मी से लड़ने में मदद करते है साथ ही ये शरीर का तापमान को संतुलित करते है।

प्याज के फायदे - Benefits Of Onion, Pyaj ke Ras ke ...

कच्चे प्याज का उपयोग ----- गर्मियों की मौसम में कच्चे प्याज का उपयोग करना बहुत ही लाभकारी होता है। गर्मियों में प्याज के सेवन से लू से बचा जा सकता है ये शरीर को गर्मियों के कारण होने वाली समस्याओं जैसे सर दर्द , एलर्जी और पेट की तकलीफों से बचाती है। ये शरीर के तापमान को नियंत्रित   करता है और अनेक स्वास्थ्य लाभ पहुँचता है।     

Friday, May 15, 2020

गर्मियों का मौसम यानि कई प्रकार के इन्फेक्शन का खतरा। कैसे बचे इन इन्फेक्शन्स से ?जानिए कुछ आसान से घरेलू उपाए जो आपको इन परेशानियों से निज़ाद दिलायेगे।

गर्मियों का मौसम यानि कई प्रकार के इन्फेक्शन का खतरा। कैसे बचे इन इन्फेक्शन्स से ?जानिए कुछ आसान से घरेलू उपाए जो आपको इन परेशानियों से निज़ाद दिलायेगे। 

गर्मियों का मौसम आते ही हमारी त्वचा में कई पाकर के इन्फेक्शन हो जाते है जैसे खुजली , त्वचा पर छोटे छोटे दाने ,या दाद आदि । शुरू में यदि इन समस्यायों पर न ध्यान दिया जाये तो ये  समस्याएँ  गंभीर हो जाती है।  कई बार डॉक्टर से दवा लेने के बाद भी इन्फेक्शन से राहत नहीं मिलती है।

क्या होता है फंगल इन्फेक्शन ----  ये  इन्फेक्शन में जोड़ो के पीछे के हिस्से , शरीर की ऐसी जगह जहाँ त्वचा में सलवट रहती है या शरीर के गर्म वाले हिस्से जहाँ त्वचा में नमी रहती है जैसे  दाद , डायपर  से रैशेस, एथलीट फुट,आदि  इन इन्फेक्शन में त्वचा पर सफ़ेद सी पपड़ी जम जाती है जिसमे खुजली होती है। कई बार ये इतनी ज्यादा होती है  कि दूसरों के सामने शर्मिंदा भी होना पड़ता है और ये एक दूसरे से सम्पर्क में आने से फैल भी जाती है। ये एक प्रकार की त्वचा की बीमारी है।  कुछ आसान हर्बल उपायों में इस समस्या से निज़ात पाया जा सकता है। 

turmeric,curry,spices,aroma,color,free pictures, free photos, free images, royalty free, free illustrations, public domainहल्दी ---- हल्दी में एंटीबैक्टीरियल ,एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल के गुण होते है जिसके कारण हम हर्बल दवा एक रूप में बहुत करते है। 
  • हल्दी से इन्फेक्शन वाली जगह धो ले इससे इन्फेक्शन कम होगा। 
  • हल्दी और शहद का पेस्ट बना कर इन्फेक्शन वाली जगह पर लगा ले सूखने के बाद धो ले। ]
  • रोजाना दूध में हल्दी डाल कर पीने से इन इन्फेक्शन में राहत मिलती है। 
  • हल्दी के पेस्ट को इन्फेक्शन वाली जगह पर लगाने से भी खुजली से राहत मिलती है। 
नीम ---- नीम के गुणों से सभी परिचित है।  सदियों से नीम हमारी आयुर्वेद दवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। त्वचा संबंधित रोंगो में नीम एक रामबाण औषधि है। 
  • नीम की पत्तों को उबाल कर उस पानी से इन्फेक्शन वाली जगह को साफ़ करने से इन्फेक्शन कम होता है। 
  • नीम की कोपलों को खाली पेट चबा कर खाने से त्वचा के सभी इन्फेक्शन से आराम मिलता है। 
  • नीम के पेस्ट को लगा कर सूखने दे फिर धो ले। त्वचा के सभी फंगस ख़तम हो जायेगे। 
jansatta ravivari bengali nashta luchi, mithi dal and mishti doi ...दही --- दही में फंगल इन्फेक्शन रोकने के अद्भुत क्षमता होती है। दही में प्रोबायॉटिक्स लैक्टिक एसिड फंगल इन्फेक्शन को रोकने में मददगार है। 
  • दही कप प्रभावित हिस्से पर लगाकर सूखने दे।  आधे घंटे बाद धो दे। ऐसे जब तक करे जबतक इन्फेक्शन सही न हो। 
  • दही में थोड़ा शहद मिला कर रुई की सहायता से लगा ले सूखने के बाद धो ले। 
  • दही में थोड़ा सा बेकिंग सोडा मिलाकर लगाये। 
मुल्तानी मिट्टी --- मुल्तानी मिट्टी में एंटीसेप्टिक गुण होते है साथ ही ये गंदगी और इन्फेक्शन को सोख लेती है। अकसर गर्मियों में दाद , घमौरियों की समस्या हो जाती है ऐसी समस्या में मुल्तानी मिट्टी बहुत कारगर है। 
  • मुल्तानी मिट्टी का लेप बनाकर प्रभावित जगह पर लगाए फिर सूखने दे। 
  • मुल्तानी मिट्टी में नारियल ,नीबू और कपूर मिलाकर पेस्ट बना ले फिर लगा ले सूखने के बाद धो ले आराम मिलेगा और इन्फेक्शन कम होगा। 
  • मुल्तानी मिट्टी  में नीम की सूखी पत्तियाँ का पाउडर और थोड़ा सा हल्दी पाउडर का दही के साथ पेस्ट बना कर लगाए। 
एलोवेरा ----- एलोवेरा जेल के कई फायदे है इसका इस्तेमाल हम इन्फेक्शन को कम करने के लिए भी कर सकते है। 
  • एलोवेरा जेल को इन्फेक्शन वाली जगह पर लगा ले फिर आधे घंटे बाद धो दे। 
  • एलोवेरा जेल में हल्दी पाउडर मिला कर लगा ले जल्द आराम आएगा। 
  • एलोवेरा रस का सेवन रोज सुबह लेने से शरीर में कई इन्फेक्शन ख़तम हो जाते है। File:Desi ghee1.JPG - Wikimedia Commons
देसी घी ---- वैसे तो हम देसी घी का इस्तेमाल खाने में करते है पर हम देसी घी का इस्तेमाल मालिश करने या त्वचा पर लगाने के लिए भी कर सकते है। यदि देसी घी गाय के दूध से  बना हो तो इसके गुण बढ़ जाते है। देसी घी हर्बल औषधि के रूप में भी काम आता है। 
  • यदि त्वचा में खुजली के कारण जलन भी हो रही है तो देसी घी को प्रभावित जगह पर लगा ले। 
  • रैशेस या नमी वाली जगह पर घी लगाने से त्वचा मॉइस्चराइज होगी इससे खुजली कम होगी। 
  • एग्जिमा में देसी घी को गुनगुना करके लगाने से आराम मिलता है। 
कैसे बचे इन  फंगल इन्फेक्शन से ?
  • फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए त्वचा को हमेशा सूखा रखे। 
  • त्वचा के नमी वाली जगहों पर पाउडर का इस्तेमाल करने से त्वचा सूखी रहती है। 
  • सूती या ऐसे कपड़ों का प्रयोग करे जो पसीना सोखते  हो। 
  • इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए नीबू पानी , नारियल पानी , आँवला जैसी चीजों का  नियमित सेवन करे। 
  • शरीर में पानी की कमी न हो इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिये। 
  • मधुमेह के मरीज़ अपनी शुगर पर नियंत्रण रखे क्योकि मधुमेह में शुगर बढ़ने से इस तरह के इन्फेक्शन होने को ज्यादा खतरा रहता है। 
  • महिलाओं में सेनेटरी पैड  के इस्तेमाल के कारण फंगल इन्फेक्शन की समस्या हो जाती है इसके लिए एक ही सेनेटरी पैड को लम्बे समय तक इस्तेमाल करे बल्कि समय अंतराल बदलती रहे। 
  • कभी कभी कपड़ों में साबुन रहने के कारण ये इन्फेक्शन हो सकता है इसके लिए कपड़ों को धोते समय से पानी से अच्छी तरह साबुन निकल दे। 
  •  छोटे बच्चों में गीली नैपी की वजह से ये इन्फेक्शन हो सकता है। 

Friday, April 24, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : चक्कर आना कोई रोग नहीं, रोगों का एक लक्षण मात्र ह...

शरीर रहे स्वस्थ : चक्कर आना कोई रोग नहीं, रोगों का एक लक्षण मात्र ह...: चक्कर आना कोई रोग नहीं, रोगों का एक लक्षण मात्र  है  जानिए क्या होता है चक्कर आना ? कभी कभी हमें लगता है कि हमारे चारों और सब कुछ गोल...

Thursday, April 23, 2020

चक्कर आना कोई रोग नहीं, रोगों का एक लक्षण मात्र है जानिए क्या होता है चक्कर आना ?

 चक्कर आना कोई रोग नहीं, रोगों का एक लक्षण मात्र  है जानिए कैसे ?


कभी कभी हमें लगता है कि हमारे चारों और सब कुछ गोल गोल घूम रहा है या हम ऐसे झूम रहे होते है जैसे नशे में कोई झूमता है या कभी कभी अचानक हमारी आखों के अँधेरा छा जाता है और कुछ पल की लिए लगता है जैसे  हमे सुनना बंद हो गया हो , इस अवस्था को चक्कर आना या वर्टिगो कहते है। इसमें हल्का धुंधला या असंतुलन जैसा लगता है।  ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। चक्कर आने की अवस्था में हमारे वो अंग प्रभावित होते है जिन्हे हम सेन्स (आँख और कान ) कहते है। आमतौर पर चक्कर आना कोई बीमारी नहीं है बल्कि ये शरीर में हो रही किसी समस्या का एक लक्षण हो सकता है। 
चक्कर आना तीन प्रकार का होता है। 

    Lack of this vitamin D can cause repeated migraine pain - इस ...
  1. ऑब्जेक्टिव ------- इसमें व्यक्ति को लगता है की आसपास की चीजे घूम रही है। 
  2. सब्जेक्टिव -------- इसमें व्यक्ति को लगता है की और खुद घूम रहा है। 
  3. स्यूडो वटॉइगो------ इसमें व्यक्ति को अपने सर के अंदर घूमने का अहसास होता है। 

क्या लक्षण होते है चक्कर आने के ? 

 चक्कर आने के कई लक्षण होते है जैसे चक्कर आने के साथ  शरीर का असंतुलित होना या अस्थिर होना,  ऐसा आभास होना कि हम गिर पड़ेगे। , सर घूमने के साथ उलटी या एहसास होना ,  सर घूमने के साथ ज्यादा पसीना आना , चककर आने के साथ कानों में साय साय की आवाजे आना या ऐसा लगना कि सुनना बंद हो गया हो। चक्कर आना (dizziness) : कारण लक्षण, बचाव ...

हमें चक्कर क्यों आते है ?

 चक्कर आना कोई  बीमारी नहीं  ये शारीरिक समस्या का लक्षण हो सकता है जैसे 
आंखों से धुंधला दिखाई देने लगे तो ...
  • कम रक्तचाप-----इस अवस्था में  मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति कम होने लगती है। 
  • माइग्रेन---- इस बीमारी में सर में तेज दर्द होता है और चक्कर आते है।
  • रक्त में शक़्करा का कम होना----- मधुमेह की बीमारी के कारण  जब उपवास या लम्बे समय तक भोजन न करने से शरीर का ऊर्जा का स्तर गिर जाता है यानि रक्त में  ग्लूकोज़ कम होने के कारण  । 
  • असंतुलित रक्तचाप ---- रक्तचाप का लगातार  कम होना  या बढ़ना जिसका कारण कोई गंभीर बीमारी हो सकता है । diabetes reason symptoms treatment yogasan in hindi कैसे ...
  • ज्यादा गर्मी के कारण---- इस अवस्था में गर्मी के कारण ज्यादा पसीना आने के कारण शरीर में पानी ,मिनरल्स और विटमिन की कमी हो जाती है। 
  • लम्बी बीमारी ----- लम्बी बीमारी के कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाने से शरीर में कमजोरी आ जाती है। 
  • अत्यधिक चिंता या शोक की अवस्था में ---- कभी कभी जीवन में ऐसा भी समय आता है कि हमें अचानक किसी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है या कोई बड़ा नुकसान या हानि हो जाती है.
  • ज्यादा थकान ---- जरुरत से ज्यादा अचानक शारीरिक श्रम या व्यायाम  करने के कारण थकान हो जाती है। ऐसी अवस्था में शरीर की ऊर्जा यानि ग्लूकोज़ कम हो जाता है। 
  •  मिर्गी का दौरा ---- इस प्रकार के दौरे में अचानक शरीर में ऐठन आ जाती है इस अवस्था में एक साथ शरीर की काफी ऊर्जा ख़तम हो जाती है। 
  • लम्बे उपवास के कारण ------ इस अवस्था में लम्बे उपवास के कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जो शरीर की कमजोरी का कारण है। anemia symptoms and treatment: Anemia के बारे में ये ...
  • शरीर में खून की कमी ---- शरीर में खून की कमी को एनीमिया भी कहा जाता है।शरीर में खून की कमी के कारण शरीर के सभी अंगों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती है जिसके कारण शरीर में पोषक तत्वों का अवशोषण सही प्रकार से नहीं होता है और शरीर में कमजोरी रहती है। 
  • गैस बनना ----- कभी कभी अपचन के कारण शरीर में गैस बन जाती है जो सिर पर चढ़ने लगती है। 
  • तेज बुखार के कारण ----- तेज बुखार आने के कारण शरीर में पानी और मिनरल्स की कमी हो जाती है। 

क्या करे जब ज्यादा चक्कर आये ? 


  • ज्यादातर चक्कर तभी आते है जब व्यक्ति चलता या घूमता है। यदि सर घूमता हुआ लगे तो तुरंत बैठ या लेट  जाना चाहिए। 
  • अपने सर को पैरों के पास करने की कोशिश करनी चाहिए इससे सर की तरफ रक्त संचार बढ़ेगा। मिनटों में ऐसे उतारें हैंगओवर
  • तुरंत ऊर्जा देने वाला तरल पदार्थ जैसे नींबू की शिकंजी , नारियल पानी ,ग्लूकोज , फलों का रस  आदि का सेवन करना चाहिए क्योकि अधिकतर  चक्कर कम रक्तचाप के कारण आते है।
  • मधुमेह में जब रक्त में शकर्रा कम हो जाती है तो चक्कर आते है इस अवस्था में खाने में ऐसी चीजे लेनी चाहिए जिसमे चीनी और कार्बोहायड्रेट ज्यादा हो। चक्‍कर आना और सिरदर्द, लो बीपी का भी ...
  • चक्कर आने की अवस्था में गहरी गहरी साँस लेनी चाहिए इससे शरीर में ऑक्सीजन ज्यादा जायेगी और मन शांत अवस्था में आएगा और आराम मिलेगा। 
  • कभी कभी चक्कर आने का कारण तेज रौशनी और चमक हो सकता है। रोगी को शांत और अँधेरे कमरे में लेटने या बैठने से आराम मिलता है। 
  • यदि चक्कर बार बार आते है तो व्यक्ति को गर्दन और सर घुमाने के व्यायाम करने चाहिए। क्योकि चक्कर आने का कारण गलत पोस्चर में काम करना यानि ज्यादा सर झुका कर कंप्यूटर ,लेपटॉप या मोबइल पर काम करना होता है।  बहुत देर तक सर झुका कर रखने से चक्कर आते है। 
  • सर की चोट लगने के बाद यदि चक्कर आते है तो न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए। 
  • यदि चक्कर आने की समस्या ज्यादा हो तो डॉक्टर से सलाह  लेनी  चाहिए। 

चक्कर आने के कुछ घरेलू उपचार 


  1. घी में भुनी मुन्नका का सेवन दिन में तीन बार करने से आराम मिलता है। 
  2. तुलसी के रस में काली मिर्च मिलाकर सुबह शाम सेवन करे। 
  3. तुलसी रस , अदरक का रस और शहद मिलाकर सुबह शाम लेने से बहुत जल्दी आराम आता है। 
  4. चीनी और सूखा धनिया मिलाकर पाउडर बना ले फिर दो चम्मच सुबह शाम ले। 
  5. गर्म पानी में नीबू का रस मिलाकर दिन में तीन चार बार ले। 
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  7. छोटी इलाइची को गुड़ के साथ काढ़ा मिलाकर सुबह शाम लेने से तकलीफ में आराम मिलता है। 
  8. जिन लोगों को खून की कमी है उनको गाजर और चकुंदर का रस नियमित लेना चाहिए। 
  9. यदि उपवास रखा है तो शरीर में पानी और मिनरल्स की कमी न होने दे इसके लिए थोड़ी थोड़े अंतराल पर पानी , नीबू की शिकंजी , नारियल पानी , फलों का रस आदि लेते रहे। 
  10. डायबिटीज के रोगी को लम्बे समय तक भूखा रहने से बचना चाहिए। इन लोगों को हमेशा अपनी जेब में चीनी की पुड़िया या मीठी टॉफी या चॉकलेट रखनी चाहिए। चक्कर आने पर करे ये उपाय, मिलेगी राहत ...
  11. अदरक चक्कर रोकने के लिए सबसे अच्छी होती है।अदरक मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बढ़ता है।  जब भी चक्कर आए , मुँह में अदरक के छोटे छोटे टुकड़े चूसे। अदरक की चाय का सेवन करे। 
  12. नियमित नीबू , आंवला  , शहद का सेवन करने से शरीर में रोगों से लड़ने के प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं तथा शरीर को आवश्यक विटामिन और मिनरल्स मिलते है जो शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए जरुरी होते है। 
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Wednesday, April 8, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : थायराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों...

शरीर रहे स्वस्थ : थायराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों...: थाइराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों ?  इस आधुनिक जीवन में अधिकतर लोग तनावपूर्ण जीवन जीते है। ज्यादा तनाव में रहने की कारण ...

थायराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों ?

थाइराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों ? 

इस आधुनिक जीवन में अधिकतर लोग तनावपूर्ण जीवन जीते है। ज्यादा तनाव में रहने की कारण शरीर में अनेकों विकार उत्पन हो जाते है ये ही विकार आगे चल कर गंभीर बिमारियों का कारण बन जाते है। आजकल की ख़राब जीवन शैली और तनाव के कारण हमारे शरीर के हार्मोन्स सही तरह से काम नहीं कर पाते है जिसके कारण कई प्रकार की शारीरिक परेशानियाँ हो जाती है।ऐसे ही विकारों में एक विकार थायराइड ग्रंथि का सही से काम न करना है यानि थायराइड नाम का हार्मोन्स का कम बनाना या न बनना होता है । थायराइड ग्रंथि का सही से न काम करने के कारण शरीर में अनेकों परशानियाँ हो जाती है जैसे मोटापा , मांसपेशियों में दर्द , अचानक वजन कम होना आदि।थायराइड की बीमारी शुरू में किसी को पता नहीं चलती है क्योकि इस बीमारी के शुरू के लक्षण किसी को समझ नहीं आते है। थायराइड के रोगों को अगर साइलेंट किलर भी कहे तो गलत नहीं होगा क्योकि  इसके सभी लक्षण जल्दी पकड़ में नहीं आ पाते है। यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए तो ये धीरे धीरे मृत्यु की और ले जाती है। 

थायराइड की समस्या औरतों को क्यों ... क्या होती है थायराइड ग्रंथि -------हमारे गले में एक  छोटी से ग्लैंड  होती है। ये एंडोक्राइन ग्लैंड गले के आगे के हिस्से में तितली के आकार की होती  है इसी ग्लैंड को  थायराइड ग्रंथि कहते है  इसी ग्लैंड से थायराइड हार्मोन (जो की आयोडीन के मदद से बनता है ) निकलता है  जिसका  काम शरीर के मेटाबॉलिज़्म को नियंत्रित करना होता है। हम जो भी खाते है उस खाने को ऊर्जा में बदलने का काम ये छोटी सी ग्लैंड  करती है और ये ही छोटी सी ग्लैंड  हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल ,हमारी हड्डियाँ , दिल और हमारी मांसपेशियों को भी प्रभावित करती है। यदि थायराइड ग्लैंड से हार्मोन कम या ज्यादा स्त्राव हो तो समस्या उत्पन्न हो जाती है। 

थायराइड से होने वाली समस्या ----- 
* हाइपोथायराइडिज्म   ----  इसमें थायराइड ग्लैंड एक्टिव नहीं होता है जिसके कारण शरीर की आवश्यकता के अनुसार टी 3 ,और टी 4 हार्मोन नहीं पहुंच पाता है जिसके कारण शरीर में अनकों परेशानियां उत्पन्न हो जाती है।  यदि किसी को परिवार में इस तरह की परेशानी है तो घर के अन्य सदस्यों को भी ये इस तरह की परेशानी हो सकती है।  ज्यादार ये समस्या छोटे  बच्चों में पायी जाती है जिसका दवाओं से उपचार संभव  है। इस समस्या के लक्षण निम्न है। There Are Two Types Of Thyroid, Know It In Hindi | दो तरह ...
 शरीर का अचानक वजन कम हो जाता है।
इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। 
शरीर थका थका सा रहता है यानि सुस्ती छाई रहती है। 
अनियमित पीरियड
कब्ज की शिकायत
चेहरे और आँखों पर सूजन आना
बालों का झड़ना
त्वचा का रुखा और पतला होना
डिप्रेशन
मांसपेशियों में अकड़न 
गला बैठना
इस समस्या के लिए टेस्ट और उपचार ------
थायराइड टेस्ट क्या है - टी एस एच, टी 4 ...
हाइपोथायरोडिज्म में हार्मोन का स्तर जांचने के लिए कुछ ब्लड टेस्ट  जैसे 
TSH यानि थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन्स 
टी 4 (थायरोक्सिन )
थायराइड अल्ट्रासाउंड 
थायराइड स्कैन 
हाइपोथाइरोडिज्म का इलाज ---- इस समस्या के इलाज में  डॉक्टर थायराइड हार्मोन टी 4 (मैन मेड सिंथेटिक हार्मोन) गोली कहने की सलाह देते है।  
समय समय पर थायराइड हार्मोन के स्तर  की जाँच की जाती है ताकि हार्मोन की दवा की सही मात्रा दी जा सके। 

 हाइपरथाइराडिज़्म

 इस समस्या में थाइराइड ग्लैंड ज्यादा एक्टिव हो जाती है जिसके कारण टी 3 ,टी 4  हार्मोन खून में ज्यादा पहुंच जाता है। ये थायराइड ग्लैंड में अतिरिक्त टिशू बनने के कारण होती है।  इसके लक्षण कुछ साफ़ नहीं होते है ये किसी और बीमारी से मिलते जुलते भी हो सकते है। कुछ लोगों का इस समस्या में ग्लैंड बड़ा हो जाता है जिसे घेघा या गोइटर भी कहते है। यदि ज्यादा मात्रा में आयोडीन का सेवन किया जाये तो ये समस्या हो  सकती है।  इस समस्या के ये लक्षण हो सकते  है। 
भूख ज्यादा लगती है पर वजन अचानक कम हो जाता है। 
मासपेशियाँ कमजोर हो जाती है। 
घबराहट , चिंता या बेचैनी हो सकती है 
हाथ का कंपना 
सुस्ती 
कब्ज 
धीमी ह्रदय गति 
पीरियड में अनियमता 
थायराइड में रखें अपना विशेष तौर पर ...गर्भपात 

क्या कारण होते है हाइपरथाइराडिज़्म 

* यदि थायराइड ग्लैंड बढ़ जाये (जो की घेघा नाम की बीमारी होती है ), तो हार्मोन्स बनाने की क्षमता कम हो जाती है।
*ज्यादा मात्रा में सोया पदाथों का सेवन करना। 
*कभी कभी किसी दवा के साइड इफ़ेक्ट के कारण भी थायराइड समस्या हो सकती है। 
* शरीर में आयोडीन की कमी या अधिकता के कारण। 
* लेज़र के उपचार के साइड इफेक्ट्स। 
* ज्यादा तनाव में रहना। 
* परिवार की हिस्ट्री यानि परिवार में किसी सदस्य को ये समस्या है तो परिवार के अन्य सदस्यों को ये समस्या होने का संदेह रहता है। 
* गर्भावस्था में या बच्चे के जन्म के बाद ये समस्या कुछ समय तक हो सकती है कुछ समय अंतराल ये         समस्या अपने आप गायब हो जाती है। 
* मोनोपॉज के समय क्योकि इस दौरान महिलाओं में हार्मोन्स में तेजी से बदलाव होते है। 
* विटामिन ए की कमी के कारण। 
* वायरल इन्फेक्शन के कारण। 
* ध्रूमपान 
* कुछ हानिकारक पदार्थ जैसे कीटनाशक ,प्लास्टिक ,जीवाणुरोधी उत्पाद और किसी किसी को ग्लूटेन लेने से भी ये समस्या हो सकती है। 
एंटी-टीपीओ (थायराइड पेरोक्सिडेस ...

हाइपरथाइराडिज़्म की समस्या का पता लगाने के लिए इन टेस्ट की जरुरत होती है।

इस समस्या के लिए टेस्ट और उपचार 
 हार्मोन का स्तर जांचने के लिए कुछ ब्लड टेस्ट  जैसे
TSH यानि थायराइड  स्टिमुलेटिंग हार्मोन्स ---
टी 4 (थायरोक्सिन )
थायराइड अल्ट्रासाउंड
थायराइड स्कैन
हाइपरथाइराडिज़्म का इलाज
हाइपरथाइराडिज़्म की समस्या में डॉक्टर कुछ ऐसी दवा जैसे propythiouracil एंड methimazole दवा देते है जो थाइराइड ग्लैंड को नए हार्मोन्स बनाने से रोकता है परन्तु इस तरह की दवा के साइड इफेक्ट्स हो सकते है।
कभी कभी थायराइड ग्लैंड का कुछ हिस्सा सर्जरी के द्वारा निकला जाता है पर पूरी जिंदगी थायराइड की दवा खानी पड़ती है। थायराइड में क्या खाएं और क्या न खाएं

थायराइड का स्तर  कम रखने के लिए उपाय ------


  1. यदि आप थायराइड हार्मोन को संतुलित करने की दवा का सेवन कर रहे है तो फ्राइड फ़ूड का सेवन न करे क्योकि फ्राइड भोजन के साथ ये दवाएँ अपना असर नहीं करेगी। 
  2. थायराइड की समस्या में चीनी का प्रयोग न करे। 
  3. ज्यादा कॉफ़ी थायराइड की समस्या को बढ़ा देता है इसलिए कॉफ़ी का प्रयोग कम करे। 
  4. ब्रोकली बंदगोभी और फूलगोभी का सेवन थायराइड की समस्या में न करे खासतौर पर यदि आप इस समस्या की दवा का सेवन कर रहे है। 
  5. ग्लूटेन वाले प्रोडक्ट्स का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ग्लूटन प्रोडक्ट्स में  पाए जाने वाले प्रोटीन थायराइड की समस्या को बढ़ा देते है 
  6. सोया पदार्थों का सेवन कम या न करेहाइपरथाइरॉयडिज्म क्या है

थायराइड हार्मोन्स को कैसे कण्ट्रोल में रखा जा सकता है ?

थायराइड हार्मोन्स को खाने पीने की चीजों से भी कंटोल किया जा सकता है। खाने में उचित मात्रा में आयोडीन वाली चीजों जैसे आयोडीन युक्त नमक , सी फ़ूड का सेवन का सेवन करे। फाइबर युक्त कम वसा वाले पदार्थ का सेवन करे। व्यायाम करे और अपने शरीर को एक्टिव रखे।  अपने को अधिक तनाव में न रखें। हरी सब्जियाँ , साबुत अनाज ,ऑलिव आयल , सिट्रस फ्रूट्स का सेवन , हर्बल और ग्रीन टी का सेवन ,अखरोट ,जामुन , गाजर ,हरी मिर्च और शहद का सेवन करे। मैदा और चीनी से बने पदार्थों का सेवन न करे। 




  

Thursday, March 26, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं

शरीर रहे स्वस्थ : पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं: पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं  पैर भी हमारी सेहत का आईना है जो हमारे शरीर में होने वाली परेशानियों को बता देते है। हमारे प...

पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं

पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं 

पैर भी हमारी सेहत का आईना है जो हमारे शरीर में होने वाली परेशानियों को बता देते है। हमारे पैरों से हमारे शरीर की बिमारियों  के संकेत मिलते है जो  एक तरह की खतरे की घंटी होते है जो हमें बताते है की कही कुछ खराबी है। यदि हम इन संकेतों पर समय रहते  ध्यान दे तो शरीर में हो रही बिमारियों का इलाज समय पर करा सकते है।
सूखे पपड़ीदार पैर -----  यदि आपके पैर तेल आदि लगाने के बाद भी सूखे सूखे पपड़ीदार रहते है तो ये लक्षण थाइराइड की और इशारा करते है। यदि ऐसा आपके साथ हो रहा है तो तुरंत अपना थाइराइड टेस्ट करवाए।
पैर का जख्म ----- यदि कई दिनों तक आपका पैर का जख्म सही नहीं हो रहा है इसका कारण खून में शुगर की मात्रा अधिक होने का यानि डाइबिटीज का लक्षण हो सकता है।  डाइबिटीज में खून की नसें कमजोर और क्षतिग्रस्त हो जाती है जिसके कारण पैरों में ज्यादा परेशनियाँ होती है।  इसलिए अपने खून की जाँच करवाए।
Image result for pero me sujan aane ka karan kidneyपैरों में ऐठन ----- यदि आपके पैरों में ऐठन होती है तो इसका मतलब आपके शरीर में किसी तरह के तरल पदार्थ की कमी है या आपके पैरों का ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं हो रहा है। ये भी डाइबिटीज के कारण हो सकता है।
पैरो के अँगूठों में दर्द ----- यदि पैरों के अँगूठों में दर्द रहता है तो ये इस बात का संकेत है की आपके शरीर में प्यूरिन (एक प्रकार का केमिकल होता है जो कुछ खाद्य पदार्थों जैसे मीट , मछली ,कुछ तरह के अलकोहल  में होता है। ) की मात्रा ज्यादा है। प्यूरिन शरीर में यूरिक एसिड को बढ़ा देता है। यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा होना हमारे शरीर के लिए हानिकारक है। इसके लिए हमें ऐसे आहार को कम करना होता है जो हमारे शरीर में यूरिक एसिड बढ़ाते है।  
पैरों की उँगलियों का आगे से चौड़ा और मोटा होना ---- यदि पैरों की उँगलियों का आगे का हिस्सा चौड़ा और मोटा हो तो ये फेफड़ों में संक्रमण ,हार्ट प्रॉब्लम ,या आंतों की बीमारी का संकेत है। डॉक्टर से मिलकर सभी आवश्यक जाँच करनी चाहिए।
Image result for dharidar nakhunपैरों के पीले नाख़ून ---- पैरों के पीले नाखून इस बात का संकेत करते है कि आपके शरीर में किसी तरह की कोई बीमारी है जैसे स्किन संबंधी बीमारी या कैंसर की बीमारी। यदि ऐसा हो तो अपने डॉक्टर से जरूर मिले।
पैरों के अंगूठे पर लाल धारियों का होना ----- पैरों के अंगूठे पर लाल धारियों का होना मतलब हार्ट में इन्फेक्शन होना है ऐसा तब होता है जब हार्ट वेन्स टूट जाती है। कीमोथेरिपी ,एचआईवी या डाइबिटीज का संकेत होता है यदि ऐसा नजर आये तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।
Image result for pero me sujan aane ka karan kidneyपैरों में सूजन ---- यदि पैरों में सूजन किडनी से जुडी कोई समस्या या एनीमिया हो सकता है यदि पैरों में झनझनाट हो ये डाइबिटीज या कम बलूड़सर्कुलेशन के भी लक्षण हो सकते है।
पैरों में बदबू का आना ---- यदि पैरों में बदबू आती है तो ये पैरों में इन्फेक्शन की और इशारा करते है। पैरों के इन्फेक्शन में पैरों में खुजली होना, छाले होना ,उँगलियों के बीच सूखापन या सूजन होना। इसके लिए डॉक्टर की सलाह ले। 

Tuesday, March 24, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...: डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है।  आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत ख...

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...

शरीर रहे स्वस्थ : डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जा...: डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है।  आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत ख...

डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है

डाइबिटीज बीमारी की जाँच से ही सही इलाज संभव है। जाने क्यों होती है ये बीमारी और कौन से टेस्ट आवश्यक है। 

आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत खान पान और गलत जीवन शैली के कारण एक बीमारी लोगों को घुन की तरह खा रही है वो है डाइबिटीज। डाइबिटीज को धीमी मौत भी कहा जाता है। Image result for sugar test
क्या है डाइबिटीज ------ डायबिटीज एक तरह का शारीरिक विकार जो की अनेक प्रकार की बिमारियों का कारण है  जिसमे जब  शरीर की पैंक्रियास  में इन्सुलिन जब कम मात्रा में पहुँचता है जिसके कारण खून में ग्लूकोज़ ज्यादा  मात्रा में बढ़ जाता है। जिसके कारण शरीर सही प्रकार से भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित नहीं कर पाता  है और ग्लूकोज़ की बढ़ी  मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचाने  लगती है। इन्सुलिन एक प्रकार का हार्मोन होता है जो शरीर के पाचक ग्रंथि से बनता है जिसका काम  भोजन को ऊर्जा में बदलना होता है। इन्सुलिन हार्मोन द्वारा ही शरीर में शुगर  का स्तर सही रहता है। यदि डाइबिटीज का इलाज सही समय पर नहीं किया तो ये जानलेवा भी हो सकती है।
 डाइबिटीज तीन प्रकार की होती है पहली टाइप 1 दूसरी टाइप 2 डाइबिटीज तीसरी प्रीडायबिटीज ।
 टाइप 1 डाइबिटीज में पैंक्रियाज में इन्सुलिन हार्मोन बनना बंद हो जाता है जिसके कारण खून में गुलकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है। इसका कारण आनुवंशिकता  है। ये बच्चों को जन्म के समय से भी हो सकती है। इस बीमारी में इन्सुलिन को इंजेक्शन से शरीर में इन्सुलिन हार्मोन को डाला जाता है।
  टाइप 2 डाइबिटीज में पैंक्रियाज में जरुरत के हिसाब से इन्सुलिन नहीं बन पाता है या इन्सुलिन हार्मोन ठीक से काम नहीं करता है। इस बीमारी में इन्सुलिन हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए दवाओं और जीवनशैली में परिवर्तन से कण्ट्रोल किया जाता है।
प्रीडायबिटीज में खून में शुगर की मात्रा लगभग खतरे के निशान के लगभग होती है इसे बॉडर लाइन डाइबिटीज भी कहते है। यदि समय रहते इस बीमारी का पता चल जाये तो इस बीमारी को कण्ट्रोल करना आसान होता है और डाइबिटीज के दुष्परिणामों से बच सकते है।
क्या कारण होता ही डायबिटीज होने का ?------ डायबिटीज होने की दो कारण होते है पहला जिसका कारण असंतुलित खानपान , गलत जीवन शैली ,मोटापा ,तनाव, और व्यायाम न करना दूसरा अनुवांशिक कारण यदि परिवार की हिस्ट्री में किसकी को डाइबिटीज थी तो आनेवाली  में डायबिटीज होने की आशंका हो सकती है।
डायबिटीज के लक्षण ------ ज्यादा प्यास लगना।
बार पेशाब आना।
किसी भी जख़्म का देर से भरना।
शरीर में संक्रमण बढ़ना और जल्दी से ठीक नहीं होना।
आंखों की रोशनी का कम होना।
शरीर का वजन तेजी से कम होना।
गुप्तांगों पर खुजली वाले ज़ख्म।
बार शरीर पर फोडेफुंसियां निकलना।
चक्कर आना
चिड़चिड़ापन
ज्यादा थकान होना
ज्यादा भूख लगना
हाथ पैर का सुन होना
 डाइबिटीज के लिए कुछ  आवश्यक ब्लड टेस्ट जिनको करवाने से इस बीमारी की स्थिति का पता चलता है।
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फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज़  टेस्ट ------ इस टेस्ट को करवाने के लिए कम से कम 8 घंटे तक कुछ न खाया हो यानि आप भूखे पेट हो। ये टेस्ट सुबह के समय नाश्ते से पहले किया जाता है। इससे आपको पता चलता है कि आपकी शुगर किस लेवल पर है। ये टेस्ट डाइबिटीज और प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए सबसे सटीक टेस्ट  है। ये सबसे सस्ता और सुविधाजनक टेस्ट है।
पोस्ट प्रेडियल ब्लड शुगर टेस्ट ---- इस टेस्ट को नाश्ते के दो घंटे के बाद किया जाता है।इस टेस्ट में खाने की बाद शरीर में भोजन का ऊर्जा में बदलने के बाद शुगर के स्तर का टेस्ट किया जाता है।
ओरल ग्लूकोज़  टॉलरेंस टेस्ट ------ इस टेस्ट से पता चलता है की फास्टिंग की बाद यदि ग्लूकोज़  दिया जाये तो शरीर इस ग्लूकोज़  को कितना इस्तेमाल करता है और इसपर शरीर की प्रक्रिया क्या रहती है। इस टेस्ट में पहले खाली पेट टेस्ट होता है फिर मीठा खाने या ग्लूकोज़ (75 ग्राम )  को पिलाकर कर दो घंटे के बाद ब्लड टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट को करवाने के लिए 8 से 10 घंटे कुछ नहीं खाना होता है।
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रैंडम प्लाज्मा टेस्ट  ------ इस टेस्ट को  कभी भी करवाया जा सकता है इसमें भूखे रहने या खाने पीने की कोई पाबंदी नहीं होती है। इसमें शरीर में  भोजन का ऊर्जा में बदलने  के बाद   शुगर का टेस्ट होता है। Image result for type of blood sugar test hindi mein
एचबीए1सी टेस्ट -------- इसे ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन या A 1 सी टेस्ट भी कहा जाता है। ये डायबिटीज का पता लगाने का सबसे बढ़िया टेस्ट है।  ये रक्त में हीमोग्लोबिन  और लाल रक्तकोशिकाओं से जुड़े  ग्लूकोज़ की मात्रा को नापता है। ग्लूकोज़ इससे पिछले तीन महीने के शुगर के स्तर का पता चलता है यदि इसका लेवल ज्यादा हो तो डाइबिटीज से जुडी परेशानियों  से खतरा बढ़ जाता है। इस टेस्ट से दिल और नसों की परेशानियों का पता चलता है। ये असंतुलित लिपिड प्रोफइल  जिसमे ज्यादा  कोलेस्टॉल  ,ख़राब एलडीएल,अच्छे कोलेस्ट्रॉल  एचडीएल की जानकारी देता है। Image result for type of blood sugar test hindi mein
फ्रूक्टोजामाइन टेस्ट ------  फ्रूक्टोजामाइन टेस्ट यानि ग्लाइकेटेड सीरम प्रोटीन या ग्लाइकेटेड एल्ब्यूमिन टेस्ट में दो तीन हफ्ते का शुगर टेस्ट होता है जिसमे ब्लड में शुगर के साथ प्रोटीन मिलने से एफ ए बनता है एफए का स्तर बढ़ने से ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ता है। इस टेस्ट से ब्लड में  शुगर में बदलाव का पता चलता है जिससे इस बदलाव को पहचान कर इलाज शुरू किया जा सकता है।
डाइबिटीज से कैसे बचा जाए ? डाइबिटीज से बचने के लिए कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
तनाव मुक्त रहे।
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स्वस्थ जीवनशैली अपनाये यानि संतुलित भोजन और सही  समय अंतराल पर।
व्यायाम करना।
मीठी चीजों ,फ़ास्ट फ़ूड और मैदा  की बनी चीजों से परहेज करे।
शारीरिक श्रम करना।
खाने में फाइबर के मात्रा ज्यादा लेना।






Monday, March 23, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके ...

शरीर रहे स्वस्थ : हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके ...: हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके लिए गंभीर हो सकती है।  हड्डियों में दर्द की समस्या पहले केवल  अधिक उम्र के लोगो को तो ह...

हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके लिए गंभीर हो सकती है।

हड्डियों के दर्द को हलके से न ले , ये समस्या आपके लिए गंभीर हो सकती है। 

हड्डियों में दर्द की समस्या पहले केवल  अधिक उम्र के लोगो को तो होती थी पर आजकल युवाओं में भी हड्डियों के दर्द की समस्या देखी जा रही है। पुरुषों के तुलना में महिलाओं में हड्डियों के दर्द की ज्यादा समस्या देखने को मिलती है।  हड्डियों में दर्द मांसपेशियों के दर्द से अलग होता है।  हड्डियों का दर्द लगातार होता रहता है जबकि मांसपेशियों का दर्द कुछ समय के बाद ख़तम हो जाता है। हड्डियों के दर्द के वजह उन बिमारियों को माना जाता है जो हड्डियों को प्रभावित करती है। Image result for haddiyon me dard
लक्षण क्या होते है हड्डियों में दर्द के ----- जब चलने ,खड़ा होने पर यहाँ तक की आराम करते समय भी दर्द हो इसका कारण सूजन , हड्डी पर चोट या जख्म हो सकता है।
सूजन और क्रेपिटस -- जोड़ों के हिलने डुलने से कट कट जो आवाज आते है उसे क्रेपिटस कहते है इसका कारण हमारे जोड़ो में जो लिक्विड होता है उसमे हवा के बुलबुले फूटने के कारण एक तरह की आवाज पैदा होती है। कई बार ये आवाज मांसपेशियों के टेंडन या लिगामेंट्स के रगड़ से भी होती है जो एक आम बात है।  यदि जोड़ों में अकड़न आधे घंटे से ज्यादा हो या सूजन हो तो डॉक्टर को दिखाना जरुरी हो जाता है।
चलते समय जोड़ों का जाम हो जाना ---- इसमें हड्डियों में रक्त की आपूर्ति में अवरोध होता है जिसके कारण अचानक चलते समय जोड़ जाम हो जाते है। Image result for haddiyon me dard
जोड़ो में कड़कपन  ---- जब हड्डियों में कैल्शियम फास्फोरस विटमिन डी के कमी हो जाती है तब हड्डियों में कड़कपन आ जाता है।
 विटामिन डी का कम होना ---- विटामिन डी  कमी से शरीर में कैल्शियम अवशोषित नहीं हो पता है जिसके कारण शरीर की हड्डियों में कमजोरी आ जाती है।
बुखार या कोई संक्रमण में दर्द ----- कई बार शरीर में बुखार या अन्य प्रकार के संक्रमण होने के कारण भी हड्डियों में दर्द हो सकता है। कभी कभी हड्डियों के  कैंसर में भी इस तरह के लक्षण हो सकते है।
Image result for haddiyon me dardहड्डियों के दर्द के कारण ------इसमें  चोट लगाना या जख्म जो ऊपर से नजर आता है के कारण दर्द हो सकता है।
फ्रैक्चर ---- हड्डी का टूटना या फ्रैक्चर होने से हड्डी में असहनीय दर्द होता है।
हड्डी में टीबी होना।
ल्यूकेमिया----  ये एक तरह का ब्लड कैंसर होता है। इसमें अचानक वजन गिरना और कमजोरी आती है।
ऑस्टियोपोरोसिस ------- जब शरीर में कैल्शियम , मैग्नीशियम , विटामिन डी ,आदि खनिज पदार्थों की कमी हो जाती है तो हड्डियां कमजोर हो जाती है इससे हड्डियों का टूटने का भुरभुरा और टूटने का डर रहता है। आस्टियोपोरोसिस में शरीर की किसी भी हड्डी में अचानक दर्द होने लगता है।
विटामिन और कैल्शियम की कमी ---- विटामिन और कैल्शियम की कमी से हड्डियों का विकास सही तरीके  से नहीं हो पाता है और ये कमी हड्डियों को कमजोर बनती है जिसे हड्डियाँ पतली हो जाती है।
कैल्शियम की अधिकता ----- कैल्शियम हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक होता है परन्तु इसकी अधिकता यानि जब कैल्शियम की ज्यादा मात्रा शरीर के फास्फेट के साथ मिलकर एक केमिकल बनती है जो हड्डियों को भुरभुरा बनती है जिसके कारण हड्डियाँ कमजोर होकर टूटने लगती है। ज्यादा मात्रा में कैल्शियम से शरीर में मैग्नीशियम के कमी हो जाती है जो हड्डियों की सेहत के लिए हानिकारक है।
आवश्यक मिनरल की कमी होना --- हड्डियों की सेहत के लिए विटामिन सी ,विटामिन डी , विटामिन इ बहुत जरुरी होता है यदि शरीर में इनकी कमी हो जाये तो हड्डियों की सेहत बिगड़ने लगती है। ये हड्डियां में दर्द और कमजोरी का कारण हो सकता है।
रूमेटाइड  आर्थराइटिस ----- ये हड्डियों की एक बीमारी है जिसमे हड्डियों में जलन ,सूजन ओर दर्द होता है। इसमें हड्डियों के जॉइंट्स का आकार  बदलने लगता है , हड्डियों में टेढ़ापन आ जाता है। Image result for haddiyon me dard
पेजेट रोग ----- हड्डियों का ये रोग किसी भी आयु में हो सकता है। इसमें अचानक हड्डियों में दर्द होने लगता है इसका कोई खास कारण सामने नहीं आया है। इसमे हड्डियों  में सुन्नपन या सिरहन सी होती है इसमें बड़ी हड्डी के नजदीकी वाली नसों में दर्द होता है। कूल्हा या घुटने में दर्द और अकड़न के साथ व्यक्ति लंगड़ाकर चलता है।
प्रोटीन सप्लीमेंट ज्यादा लेने से ----- आजकल के युवा अपनी बॉडी बनने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट लेते है  कुछ तरह के प्रोटीन सप्लीमेंट में स्टेरॉइड होता है जिसकी अधिकता से नसे सुकुड़ जाती है और बोन टिशू को नुकसान  होता है जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती है। Image result for haddiyon me dard
 व्यायाम ------ जब ज्यादा व्यायाम किया जाता है जिसके कारण हड्डियों और जोड़ों में खिचाव और दर्द हो सकता है। जुम्बा और एरोबिक्स  आदि व्यायाम आदि बिना ट्रेनर के किया जाये तो ये भी हड्डियों और मांसपेशियों की परेशानी का कारण बन सकता है।
प्रदूषण ---- हड्डियों को कमजोर करने का एक कारण प्रदूषण भी है। प्रदूषण खून में विकार पैदा करते है जिसके कारण शरीर में पोषक तत्व की कमी हो जाती है जो हड्डियों की कमजोरी और दर्द का कारण हो सकती है।
हड्डियों के दर्द का इलाज --- हड्डियों के दर्द के इलाज के लिए डॉक्टर कुछ जांच कराता है जिससे हड्डियों के दर्द का कारण पता चलता है ये टेस्ट करवाने होते है
ब्लड टेस्ट  (सीबीसी  , ब्लड डिफरेंशियल )Image result for haddiyon me dard
हड्डियों और जोड़ों का एक्सरे और स्कैन
हड्डियों का सीटी और एमआरआई स्कैन
लेवल और हार्मोन्स
यूरिन टेस्ट
पिट्यूटरी और एड्रिनल
 हड्डियों के दर्द का इलाज ------ शुरू में डॉक्टर बिना जाँच किया दर्द निवारक दवाएँ और एंटीबायोटिक दवाएँ देते है जिसे दर्द में आराम मिलता है तथा संक्रमण के कीटाणु ख़त्म होते है।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी दूर करने के लिए विटमिन डी ,कैल्शियम ,मिनरल की दवाएं और सप्लीमेंट्स दिया जाता है ताकि यदि शरीर में इनकी कमी हो तो पूरी हो जाये। Image result for haddiyon me dard
यदि जांचों में हार्मोन्स संबंधी कोई परेशानी हो तो डॉक्टर उस हार्मोन्स का स्तर को सही करने की दवाएँ देते है।
कुछ व्यायाम द्वारा हड्डियों और जोड़ों में  गतिशीलता बढ़ती है दर्द कम तो होता है ही साथ में कड़ी मांसपेशियों में लचीलापन आता है जिससे दर्द में आराम मिलता है। फिजियोथेरेपी और अलग अलग तरह की सिकाई  से दर्द में राहत दी जाती है।
कुछ मामलों में जैसे कैंसर या हड्डियों में इन्फेक्शन वाला भाग को सर्जरी से निकला जाता है। गंभीर रोगों में जोड़ों को सर्जरी द्वारा बदला भी जाता है।  घुटनों में यदि घिसावट या अन्य प्रकार का क्रेक है तो सर्जरी से घुटना बदला जा सकता है।



Monday, March 16, 2020

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की जरूरत क्यों पड़ती है क्या आप को पता है ?

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की जरूरत क्यों पड़ती है क्या आप को पता है ?
लिपिड प्रोफइल टेस्ट क्या है ? लिपिड एक तरह  का वसायुक्त पदार्थ है जो हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के रूप में होता है। आसान भाषा में कहा जाये तो ये टेस्ट हमारे शरीर में अच्छे एचडीएल और बुरे एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का लेवल जांचना होता है।  लिपिड प्रोफइल टेस्ट में पांच तरह के टेस्ट होते है जिसे शरीर में टोटल कोलेस्ट्रॉल ,हाई डेन्सिटी लेप्रोप्रोटीन(HDL) ,लो  डेन्सिटी लेप्रोप्रोटीन(LDL) वैरी लो डेन्सिटी लेप्रोप्रोटीन  (VLDL), ट्राईगिल्सराइड की जाँच होती है। Image result for lipid profile kya hai in hindi
लिपिड प्रोफइल टेस्ट कब करवाना चाहिए ? ------ लिपिड प्रोफइल टेस्ट करवाने के लिए आज की जीवन शैली  को देख कर ये नहीं कहा जा सकता है की किस उम्र में करवाना चाहिए। फिर भी 35 साल की आयु के बाद साल में एक बार इस टेस्ट को करवाना चाहिए।
क्यों आवश्यकता होती है लिपिड प्रोफइल टेस्ट की ? -----  यदि आपके परिवार में किसी को दिल की बीमारी या हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हो। Image result for lipid profile kya hai in hindi
जिनके शरीर का वजन ज्यादा हो। 
जो लोग ज्यादा शराब या धूर्मपान करते है।
जिन लोगों का गलत लाइफस्टाइल या गलत खानपान हो।
जो व्यक्ति डाइबिटीज से पीड़ित हो
जिनको किडनी की बीमारी हो
वो स्त्रियाँ  जिनका मेनोपॉज हुआ हो।
जिन लोगों का उच्च रक्तचाप रहता हो।
वो स्त्रियाँ जो पोलिसिस्टिक ओवेरी  सिंडोरम से पीड़ित हो।
इन स्वास्थ्य परेशानियों में शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा काफी बढ़ सकता है इसलिए लिपिड प्रोफाइल के जांच करवाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर का पता चलता है यदि कोलेस्ट्रॉल ज्यादा हो तो दवाओं और अच्छी स्वस्थ जीवनशैली और सही खानपान से बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है   ताकि ह्रदय रोगों के खतरे से बचा जा सके। Image result for lipid profile kya hai in hindi
लिपिड प्रोफइल टेस्ट कैसे करवाना चाहिए ?--- लिपिड प्रोफइल टेस्ट खाली  पेट करवाना चाहिए। इस टेस्ट को करवाने के लिए 9 से 12 घंटे तक कुछ खाना या पीना चाहिए। सबसे अच्छा है की रात 8 बजे तक खाना का कर सो जाये और सुबह 8 बजे तक इस टेस्ट करवाने के लिए ब्लड सेम्पल दे। 
क्या स्तर होना चाहिए स्वस्थ व्यक्ति का ?   स्वस्थ व्यक्ति का एलडीएल 70  से 130 मिलीग्राम होना चाहिए ये जितना कम होगा शरीर के लिए उतना ही अच्छा है।
एचडीएल  40 से 60  मिलीग्राम  ये जितना ज्यादा हो उतना ही अच्छा होता है।
कुल कोलेस्ट्रॉल 200 मिलीग्राम  ये जितना कम हो उतना अच्छा माना  जाता है।
ट्राईगिल्सराइड  10 से 150 मिलीग्राम  ये जितना कम हो उतना ही अच्छा है।




Saturday, March 14, 2020

सही नहीं है महिलाओं को पीरियड्स की समस्याओं में अनदेखा करना।

सही नहीं है महिलाओं को पीरियड्स  की समस्याओं में अनदेखा करना। 


महिलाओं को पीरियड होना एक सामान्य प्रक्रिया है,जो किशोरावस्था लगभग 12 वर्ष से शुरू होती है और ये प्रक्रिया 40 वर्ष से 50 वर्ष तक रहती है। यदि ये प्रक्रिया जब अनियमित हो जाती है , तो ये समस्या बीमारी का रूप भी ले लेती है और कभी कभी ये बीमारी इतनी  गंभीर हो जाती है की जान भी चली जाती है। पीरियड सब महिलाओं को एक जैसे नहीं होते है और ये किसी फिक्स टाइम पर नहीं होते है। ये पीरियड  21 से  35 दिनों के अंदर होता है। आमतौर पर ये 5 दिन तक चलता है। जब पीरियड अपना मासिक चक्र पूरा करने के बाद भी न हो या 15 दिन या 1 -2 महीने के अंतराल पर हो तो इसे अनियमित पीरियड कहते है। Image result for piriyad ki sam
पीरियड का अनियमियता का क्या कारण होता है ? अनियमित पीरियड में ब्लीडिंग ज्यादा होती है। देर से पीरियड होना या पीरियड जल्दी जल्दी होने के दौरान ब्लीडिंग कम या ज्यादा होने की समस्या शुरू होने लगती है। कई महिलाओं में मिस्ड पीरियड  लगातार एक चक्र में दो बार होने की समस्या होने लगती है।
अनियमित पीरियड कितनी प्रकार के होते है ? ---- अनियमित पीरियड चार तरह के होते है।
ओलिगोमेनोरिया : इस में पीरियड बहुत कम होता है और पीरियड का चक्र 35 दिन या इससे भी ज्यादा बढ़ जाता है। इसमें साल में सिर्फ 6 से 8 बार ही पीरियड होते है।
मेटोरइया ---- इस समस्या में पीरियड अनियमित होते है जल्दी जल्दी और लगातार होते रहते है।
मेनोमेट्रोराइया ---- इस समस्या में पीरियडस लम्बे समय तक और हैवी  होते है। , अनियमित पर जल्दी जल्दी होता है। Image result for piriyad ki sam
एमेनोरिया --- इस में पीरियड 3 -6 महीने में या इस से भी अधिक अंतराल तक नहीं होते है।
पीरियड अनियमित होने का क्या कारण होता है ? ---- पीरियड अनियमित होने के कई कारण होते है जैसे गर्भाशय की समस्या , फाइब्रॉइडस , हार्मोनल समस्या, ओवेरेक्टिव थायराइड , किसी भी प्रकार का संक्रमण , पोलिसिस्टिक ,ओविरेरियन  सिंड्रोम ,आदि कारण होते है। युवा लड़कियों का वजन अधिक हो या लम्बे समय से तनाव हो या पीसीओएस के कारण भी पीरियड अनियमित होते है।
महिलाओं में पीरियड अनियमित होने की समस्याओं के ये भी कारण हो सकते है
तनाव --- तनाव के कारण पीरियड अनियमित होना आम कारण है। ज्यादातर युवा लड़कियाँ पढाई ,कैरियर आदि कई बातों का तनाव रहता है। इसका मुख्य कारण थकान ,चिंता आदि है इससे महिलाओं में हार्मोन्स असंतुलित हो जाते है जिससे मिस्ड पीरियड आदि समस्या से गुजरना पड़ता है। Image result for piriyad ki sam
एक्सरसाइज ज्यादा करना ----- यदि महिलाएं अपनी शरीरिक क्षमता से अधिक एक्सरसाइज करती है तो पीरियड में अनियमितता हो सकती है। इसमें पीरियड कम होंगे और धीरे धीरे बंद हो सकते है।
मेनोपॉज ---- इस के होने से हार्मोन्स लेवल में बदलाव आता है जिसके कारण अनियमित पीरियड के द्वारा ये बताता है की अब मेनोपॉज का समय आ गया है। Image result for piriyad ki sam
खानपान --- असंतुलित खानपान शरीर का वजन कम करना या मोटापा भी हार्मोस को प्रभावित करता है।
गर्भनिर्धक दवा का सेवन ---- कभी कभी गर्भनिरोधक दवा से भी पीरियड में अनियमिता आ सकती है। प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन गर्भ नियंत्रण करने वाले हार्मोनल तरिके भी पीरियड को रोकने के लिए जिम्मेवार होते है।
अनियमित पीरियड का इलाज ----- यदि अनियमित पीरियड 6 महीने से अधिक हो रहा है तो इसका इलाज करवाना चाहिए।  कुछ कुछ केस में पीरियड अपने आप ही नियमित हो जाते है यदि नियमित नहीं हो रहे है तो इसका इलाज करवाए। हालाकि युवावस्था या मेनोपॉज में किसी खास तरह के इलाज के आवश्यकता नहीं पड़ती है। लेकिन यदि पीसीओएस ,हाइपरथाइराइडिज्म ,फाइब्रॉइड्स ,गर्भाशय की समस्या या संक्रमण हो तो इलाज करवाना चाहिए। Image result for piriyad ki sam
पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम  ----- सामान्य रूप से इसके इलाज का उद्देश्य शरीर में हार्मोन्स के संतुलन को बनाये रखना होता है इसलिए जिन्हे पीसीओएस की शिकायत है उन्हें गर्भनिरोधक गोली या हार्मोन्स दिए जाते है। दूसरी तरफ ओवरसेक्टव थायराइड की दवा के जरिए जो शरीर के द्वारा निर्मित हार्मोन्स थायराइड हार्मोन्स की मात्रा कम करती है इसका इलाज सम्भव है
जीवन शैली में बदलाव ला केर ---- पीरियड को रेगलर करने के लिए घूमने जाये , खुश रहे , वजन ज्यादा न बढ़ने दे , अपना खानपान अच्छा रखे।



एंडोमिट्रियोसिस एक महिलाओं की दर्दनाक बीमारी इसका सही इलाज और सही जानकारी जरुरी है।

एंडोमिट्रियोसिस एक महिलाओं की  दर्दनाक बीमारी इसका सही इलाज और सही जानकारी जरुरी है। 

एंडोमिट्रियोसिस एक ऐसी बीमारी है जो महिलाओं मासिक धर्म में असहनीय दर्द और पीड़ा देती है। इस बीमारी का असर महिलाओं को मन और तन दोनों पर पड़ता है। महिलाओं में आजकल ये बीमारी बड़ी तेजी से बढ़  रही है जिसका कारण बदलता पर्यावरण ,मिलावट वाली खाने के चीजे , यूरिया का ज्यादा इस्तेमाल होना आदि। अधिकतर महिलायें इस बीमारी के बारे में कम जानती है। उन्हें पता नहीं होता की एंडोमिट्रियोसिस क्या है ?इसका क्या इलाज है ? Image result for endometriosis cyst
25 -30 साल की महिलाओं में पेट दर्द की शिकायत और कंसीव न करने का एक आम कारण है एंडोमिट्रियोसिस। एंडोमिट्रियोसिस गर्भाशय के आसपास के टिशू (एण्डोमीट्रियम  इसका कार्य अंडे का निर्माण करना या गर्भ को पोषण देना है। जब गर्भ नहीं होता है तो ये परत टूट कर मासिक धर्म के रूप में शरीर से बाहर  आ जाती है  )की ग्रोथ सही तरीके  से नहीं होती। इससे महिलाओं को जब भी मासिक धर्म होता है तब टिशू के अंदर की तरफ ब्लीडिंग होती है इससे ब्लड ओवरी में जम जाता है इसे ही एंडोमीट्रोयोसिस सिस्ट  या चॉकलेट सिस्ट कहते है। इसमें शरीर की श्रोणी  वाले हिस्से में ब्लड के क्लॉट बनने लगते है। इस कारण ओवेरी ,आंते ,और टूब्स आपस में चिपकने लगती है। इससे उन अंगों का नुकसान  होता है जिससे बहुत पीड़ा होती है। Image result for endometriosis hindi me
क्या होता है इस बीमारी का इलाज ? ----- इस बीमारी का इलाज इस बात पर निर्भर करता  है की बीमारी कितनी कितनी पुरानी  है।  फिर दवाओं  द्वारा उभरे हुए टिशूस  को दबाने की कोशिश करते है जससे उनका प्रभाव कम हो जाये। गर्भनिरोधक गोलियों और प्रोजेस्ट्रोन गोलियों से इनका इलाज किया जाता है। इन दवाओं से एंडोमिट्रिअल टिशू और ओवरी के अंदर के टिशू पर असर पड़ता है जिसके कारण मासिकधर्म अस्थाई रूप से बंद हो जाता है। जब दवाओं का असर ख़तम हो जाता है तब सर्जरी की सलाह दी जाती है। लैप्रोस्कोपी से ओवेरी में अंडाशय और बाकि के अंगों के आसपास जमे खून को साफ़ कर दिया जाता है बिना किसी अंगों को नुकसान पहुँचाय । इससे दर्द से राहत मिलती है और और मरीज के  माँ बनने के संभावना बढ़ जाती है।  Image result for endometriosis laparoscopic surgery
एंडोमिट्रियोसिस मरीज क्या करे ----- एंडोमिट्रियोसिस में मरीज को तेज दर्द होता है। दर्द निवारक गोलियों से भी आराम नहीं मिलता है। रेक्टम में तेज दर्द होता है जिससे मल त्यागने में परेशानी होती है। इस तरह के दर्द से निपटने के लिए सुरक्षित दवाएँ  और टीका उपलब्ध है जो दो से तीन साल तक इससे बचाव करता है। यदि पाँच  सेंटीमीटर से बड़ा एदोमीट्रियोसिस है लैप्रोस्कोपीक सर्जरी ही उपाय है। यदि महिला की  उम्र ज्यादा हो तो यूट्रस और ओवेरी को पूरी तरह से बाहर निकल देना चाहिए। ये ही अंत में समाधान है इस बीमारी का। 





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