सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस बीमारी की समस्या शरीर के गलत पोस्चर में बैठने या खड़े रहने के कारण होती है. ज्यादातर ये बीमारी उन्ही लोगो को होती है जो घंटो एक ही जगह एक ही पोस्चर में बैठने और खड़े रहने का काम करते है. लगभग 90 % लोग अपने ख़राब जीवन शैली के कारण इस बीमारी का शिकार होते है. कई बार लोगो को इस बीमारी के कारण इतनी तकलीफ होती है की उनका दर्द के कारण काम करना कठिन हो जाता है.
कैसे होती है ये बीमारी ------ ये बीमारी ज्यादातर उन लोगो को होती है जो घंटो बैठ कर काम करते है जैसे बी.पी. ओ.या कंप्यूटर डेस्क जॉब आदि जिसमे ज्यादातर सर झुकाकर काम करना पड़ता है क्योकि कीबोर्ड हमारी आँखों के नीचे होता है लोग अपने सर के साथ अपना कंधा झुका लेते है ऐसी गलत पोस्चर में काम करने पर जल्द ही लोग सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस बीमारी का शिकार हो जाते है.
इस बीमारी के लक्षण ------इससे उनके कंधो, गर्दन , और पीठ के कई हिस्सों में दर्द होता है और उन्हें सर को नीचे झुकाने में परेशानी होती है. गर्दन के हिलने डुलने पर दर्द महसूस होता है. चक्कर आने लगते है और आँखों के आगे अँधेरा आने लगता है। दर्द गर्दन से होता हुआ हाथ तक आ जाता है. पीट में तेज दर्द होता है कभी कभी साँस लेने में तकलीफ होती है। इसका कारण लम्बे समय तक कुर्सी पर बैठने पर हमारी शरीर की कोशिकाओं के बीच शॉक -एब्सॉर्बिंग डिश पर ज्यादा जोर पड़ता है और माँसपेशियाँ थक जाती है।
इस बीमारी से बचने के उपाए---- इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। दर्द को कम करे के लिए कुछ दवा का इस्तेमाल किया जाता है पर इन दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल करने से कई साइड इफ़ेक्ट हो सकते है। कुछ मामलो में डॉक्टर गले में पट्टा लगाने की सलाह देते है जिसको लगाने से गर्दन हो हिलना डुलाना मुश्किल हो जाता है जो की बहुत तकलीफ़ वाला होता है पर ये कुछ समय तो राहत देते है पर बाद में समस्या वही रहती है।
इसका बीमारी का सही इलाज शरीर का पोस्चर सुधारना है और कुछ व्यायाम का अभ्यास करना है। कई बार हमें पता ही नहीं चलता है कि हम किस तरह से बैठते है या खड़े होते है। गलत तरीके से बैठने और खड़े होने से स्टेस , दर्द और सूजन हो सकती है। ज्यादा देर तक बैठने से हमारे शरीर की माँसपेशियाँ सुस्त पढ़ जाती है।, इसके लिए हमें थोड़ी थोड़ी देर में अपनी जगह से उठ कर घूमना चाहिए ताकि शरीर में रक्त प्रवाह होता रहे और शरीर एक्टिव रहे। सीधे खड़े रहने का अभ्यास करना चाहिये इसके लिए शीशे का इस्तेमाल किया जा सकता है। सीधे खड़े होने के लिए कमर सीधी और कंधे सीधे होने चाहिए। बैठने के लिए कमर को सीधा और पीछे की और करके इस तरह बैठे की शरीर का भार दोनों हिप पर बराबर हो। कोशिश करनी चाहिए की एक ही जगह एक ही तरह 30 मिनट से ज्यादा नहीं बैठे।
सोने का सही तरीका --- सोने के लिए सख्त बिस्तर का प्रयोग करना चाहिए नरम गद्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पीठ को 15 डिग्री मोड़ने वाला तकिया इस्तेमाल करना चाहिए। पेट के बल न सो कर पीठ के बल सोना चाहिए। गर्दन के नीचे तकिए की जगह तौलिये या किसी मोटे कपडे का तकिया बना कर गर्दन के नीचे लगाना चाहिए।
ये बाते भी काम की है रखे ध्यान ---
अगर आप लबे समय के लिए लिखने पढ़ने का काम कर रहे है या कंप्यूटर पर देर तक काम करना है तो बीच बीच में थोड़ा ब्रेक ले। थोड़ा खड़ा हो इधर उधर घूमे फिर काम करे.
यदि गर्दन या पीठ में दर्द है तो सेकने से या बर्फ की सिकाई से आराम मिलता है.
झुक झुक कर एक जैसे बैठ कर काम न करे। बीच बीच में गर्दन और कंधो को इधर उधर घुमा कर व्यायाम करे।
बैठते समय , खड़े रहते समय , पढ़ते समय , सोते समय गर्दन और पीठ का सीधा रखे।
कैसे होती है ये बीमारी ------ ये बीमारी ज्यादातर उन लोगो को होती है जो घंटो बैठ कर काम करते है जैसे बी.पी. ओ.या कंप्यूटर डेस्क जॉब आदि जिसमे ज्यादातर सर झुकाकर काम करना पड़ता है क्योकि कीबोर्ड हमारी आँखों के नीचे होता है लोग अपने सर के साथ अपना कंधा झुका लेते है ऐसी गलत पोस्चर में काम करने पर जल्द ही लोग सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस बीमारी का शिकार हो जाते है.
इस बीमारी के लक्षण ------इससे उनके कंधो, गर्दन , और पीठ के कई हिस्सों में दर्द होता है और उन्हें सर को नीचे झुकाने में परेशानी होती है. गर्दन के हिलने डुलने पर दर्द महसूस होता है. चक्कर आने लगते है और आँखों के आगे अँधेरा आने लगता है। दर्द गर्दन से होता हुआ हाथ तक आ जाता है. पीट में तेज दर्द होता है कभी कभी साँस लेने में तकलीफ होती है। इसका कारण लम्बे समय तक कुर्सी पर बैठने पर हमारी शरीर की कोशिकाओं के बीच शॉक -एब्सॉर्बिंग डिश पर ज्यादा जोर पड़ता है और माँसपेशियाँ थक जाती है।
इस बीमारी से बचने के उपाए---- इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। दर्द को कम करे के लिए कुछ दवा का इस्तेमाल किया जाता है पर इन दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल करने से कई साइड इफ़ेक्ट हो सकते है। कुछ मामलो में डॉक्टर गले में पट्टा लगाने की सलाह देते है जिसको लगाने से गर्दन हो हिलना डुलाना मुश्किल हो जाता है जो की बहुत तकलीफ़ वाला होता है पर ये कुछ समय तो राहत देते है पर बाद में समस्या वही रहती है।
इसका बीमारी का सही इलाज शरीर का पोस्चर सुधारना है और कुछ व्यायाम का अभ्यास करना है। कई बार हमें पता ही नहीं चलता है कि हम किस तरह से बैठते है या खड़े होते है। गलत तरीके से बैठने और खड़े होने से स्टेस , दर्द और सूजन हो सकती है। ज्यादा देर तक बैठने से हमारे शरीर की माँसपेशियाँ सुस्त पढ़ जाती है।, इसके लिए हमें थोड़ी थोड़ी देर में अपनी जगह से उठ कर घूमना चाहिए ताकि शरीर में रक्त प्रवाह होता रहे और शरीर एक्टिव रहे। सीधे खड़े रहने का अभ्यास करना चाहिये इसके लिए शीशे का इस्तेमाल किया जा सकता है। सीधे खड़े होने के लिए कमर सीधी और कंधे सीधे होने चाहिए। बैठने के लिए कमर को सीधा और पीछे की और करके इस तरह बैठे की शरीर का भार दोनों हिप पर बराबर हो। कोशिश करनी चाहिए की एक ही जगह एक ही तरह 30 मिनट से ज्यादा नहीं बैठे।
सोने का सही तरीका --- सोने के लिए सख्त बिस्तर का प्रयोग करना चाहिए नरम गद्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पीठ को 15 डिग्री मोड़ने वाला तकिया इस्तेमाल करना चाहिए। पेट के बल न सो कर पीठ के बल सोना चाहिए। गर्दन के नीचे तकिए की जगह तौलिये या किसी मोटे कपडे का तकिया बना कर गर्दन के नीचे लगाना चाहिए।
ये बाते भी काम की है रखे ध्यान ---
अगर आप लबे समय के लिए लिखने पढ़ने का काम कर रहे है या कंप्यूटर पर देर तक काम करना है तो बीच बीच में थोड़ा ब्रेक ले। थोड़ा खड़ा हो इधर उधर घूमे फिर काम करे.
यदि गर्दन या पीठ में दर्द है तो सेकने से या बर्फ की सिकाई से आराम मिलता है.
झुक झुक कर एक जैसे बैठ कर काम न करे। बीच बीच में गर्दन और कंधो को इधर उधर घुमा कर व्यायाम करे।
बैठते समय , खड़े रहते समय , पढ़ते समय , सोते समय गर्दन और पीठ का सीधा रखे।