Friday, May 15, 2020

गर्मियों का मौसम यानि कई प्रकार के इन्फेक्शन का खतरा। कैसे बचे इन इन्फेक्शन्स से ?जानिए कुछ आसान से घरेलू उपाए जो आपको इन परेशानियों से निज़ाद दिलायेगे।

गर्मियों का मौसम यानि कई प्रकार के इन्फेक्शन का खतरा। कैसे बचे इन इन्फेक्शन्स से ?जानिए कुछ आसान से घरेलू उपाए जो आपको इन परेशानियों से निज़ाद दिलायेगे। 

गर्मियों का मौसम आते ही हमारी त्वचा में कई पाकर के इन्फेक्शन हो जाते है जैसे खुजली , त्वचा पर छोटे छोटे दाने ,या दाद आदि । शुरू में यदि इन समस्यायों पर न ध्यान दिया जाये तो ये  समस्याएँ  गंभीर हो जाती है।  कई बार डॉक्टर से दवा लेने के बाद भी इन्फेक्शन से राहत नहीं मिलती है।

क्या होता है फंगल इन्फेक्शन ----  ये  इन्फेक्शन में जोड़ो के पीछे के हिस्से , शरीर की ऐसी जगह जहाँ त्वचा में सलवट रहती है या शरीर के गर्म वाले हिस्से जहाँ त्वचा में नमी रहती है जैसे  दाद , डायपर  से रैशेस, एथलीट फुट,आदि  इन इन्फेक्शन में त्वचा पर सफ़ेद सी पपड़ी जम जाती है जिसमे खुजली होती है। कई बार ये इतनी ज्यादा होती है  कि दूसरों के सामने शर्मिंदा भी होना पड़ता है और ये एक दूसरे से सम्पर्क में आने से फैल भी जाती है। ये एक प्रकार की त्वचा की बीमारी है।  कुछ आसान हर्बल उपायों में इस समस्या से निज़ात पाया जा सकता है। 

turmeric,curry,spices,aroma,color,free pictures, free photos, free images, royalty free, free illustrations, public domainहल्दी ---- हल्दी में एंटीबैक्टीरियल ,एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल के गुण होते है जिसके कारण हम हर्बल दवा एक रूप में बहुत करते है। 
  • हल्दी से इन्फेक्शन वाली जगह धो ले इससे इन्फेक्शन कम होगा। 
  • हल्दी और शहद का पेस्ट बना कर इन्फेक्शन वाली जगह पर लगा ले सूखने के बाद धो ले। ]
  • रोजाना दूध में हल्दी डाल कर पीने से इन इन्फेक्शन में राहत मिलती है। 
  • हल्दी के पेस्ट को इन्फेक्शन वाली जगह पर लगाने से भी खुजली से राहत मिलती है। 
नीम ---- नीम के गुणों से सभी परिचित है।  सदियों से नीम हमारी आयुर्वेद दवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। त्वचा संबंधित रोंगो में नीम एक रामबाण औषधि है। 
  • नीम की पत्तों को उबाल कर उस पानी से इन्फेक्शन वाली जगह को साफ़ करने से इन्फेक्शन कम होता है। 
  • नीम की कोपलों को खाली पेट चबा कर खाने से त्वचा के सभी इन्फेक्शन से आराम मिलता है। 
  • नीम के पेस्ट को लगा कर सूखने दे फिर धो ले। त्वचा के सभी फंगस ख़तम हो जायेगे। 
jansatta ravivari bengali nashta luchi, mithi dal and mishti doi ...दही --- दही में फंगल इन्फेक्शन रोकने के अद्भुत क्षमता होती है। दही में प्रोबायॉटिक्स लैक्टिक एसिड फंगल इन्फेक्शन को रोकने में मददगार है। 
  • दही कप प्रभावित हिस्से पर लगाकर सूखने दे।  आधे घंटे बाद धो दे। ऐसे जब तक करे जबतक इन्फेक्शन सही न हो। 
  • दही में थोड़ा शहद मिला कर रुई की सहायता से लगा ले सूखने के बाद धो ले। 
  • दही में थोड़ा सा बेकिंग सोडा मिलाकर लगाये। 
मुल्तानी मिट्टी --- मुल्तानी मिट्टी में एंटीसेप्टिक गुण होते है साथ ही ये गंदगी और इन्फेक्शन को सोख लेती है। अकसर गर्मियों में दाद , घमौरियों की समस्या हो जाती है ऐसी समस्या में मुल्तानी मिट्टी बहुत कारगर है। 
  • मुल्तानी मिट्टी का लेप बनाकर प्रभावित जगह पर लगाए फिर सूखने दे। 
  • मुल्तानी मिट्टी में नारियल ,नीबू और कपूर मिलाकर पेस्ट बना ले फिर लगा ले सूखने के बाद धो ले आराम मिलेगा और इन्फेक्शन कम होगा। 
  • मुल्तानी मिट्टी  में नीम की सूखी पत्तियाँ का पाउडर और थोड़ा सा हल्दी पाउडर का दही के साथ पेस्ट बना कर लगाए। 
एलोवेरा ----- एलोवेरा जेल के कई फायदे है इसका इस्तेमाल हम इन्फेक्शन को कम करने के लिए भी कर सकते है। 
  • एलोवेरा जेल को इन्फेक्शन वाली जगह पर लगा ले फिर आधे घंटे बाद धो दे। 
  • एलोवेरा जेल में हल्दी पाउडर मिला कर लगा ले जल्द आराम आएगा। 
  • एलोवेरा रस का सेवन रोज सुबह लेने से शरीर में कई इन्फेक्शन ख़तम हो जाते है। File:Desi ghee1.JPG - Wikimedia Commons
देसी घी ---- वैसे तो हम देसी घी का इस्तेमाल खाने में करते है पर हम देसी घी का इस्तेमाल मालिश करने या त्वचा पर लगाने के लिए भी कर सकते है। यदि देसी घी गाय के दूध से  बना हो तो इसके गुण बढ़ जाते है। देसी घी हर्बल औषधि के रूप में भी काम आता है। 
  • यदि त्वचा में खुजली के कारण जलन भी हो रही है तो देसी घी को प्रभावित जगह पर लगा ले। 
  • रैशेस या नमी वाली जगह पर घी लगाने से त्वचा मॉइस्चराइज होगी इससे खुजली कम होगी। 
  • एग्जिमा में देसी घी को गुनगुना करके लगाने से आराम मिलता है। 
कैसे बचे इन  फंगल इन्फेक्शन से ?
  • फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए त्वचा को हमेशा सूखा रखे। 
  • त्वचा के नमी वाली जगहों पर पाउडर का इस्तेमाल करने से त्वचा सूखी रहती है। 
  • सूती या ऐसे कपड़ों का प्रयोग करे जो पसीना सोखते  हो। 
  • इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए नीबू पानी , नारियल पानी , आँवला जैसी चीजों का  नियमित सेवन करे। 
  • शरीर में पानी की कमी न हो इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिये। 
  • मधुमेह के मरीज़ अपनी शुगर पर नियंत्रण रखे क्योकि मधुमेह में शुगर बढ़ने से इस तरह के इन्फेक्शन होने को ज्यादा खतरा रहता है। 
  • महिलाओं में सेनेटरी पैड  के इस्तेमाल के कारण फंगल इन्फेक्शन की समस्या हो जाती है इसके लिए एक ही सेनेटरी पैड को लम्बे समय तक इस्तेमाल करे बल्कि समय अंतराल बदलती रहे। 
  • कभी कभी कपड़ों में साबुन रहने के कारण ये इन्फेक्शन हो सकता है इसके लिए कपड़ों को धोते समय से पानी से अच्छी तरह साबुन निकल दे। 
  •  छोटे बच्चों में गीली नैपी की वजह से ये इन्फेक्शन हो सकता है। 

Friday, April 24, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : चक्कर आना कोई रोग नहीं, रोगों का एक लक्षण मात्र ह...

शरीर रहे स्वस्थ : चक्कर आना कोई रोग नहीं, रोगों का एक लक्षण मात्र ह...: चक्कर आना कोई रोग नहीं, रोगों का एक लक्षण मात्र  है  जानिए क्या होता है चक्कर आना ? कभी कभी हमें लगता है कि हमारे चारों और सब कुछ गोल...

Thursday, April 23, 2020

चक्कर आना कोई रोग नहीं, रोगों का एक लक्षण मात्र है जानिए क्या होता है चक्कर आना ?

 चक्कर आना कोई रोग नहीं, रोगों का एक लक्षण मात्र  है जानिए कैसे ?


कभी कभी हमें लगता है कि हमारे चारों और सब कुछ गोल गोल घूम रहा है या हम ऐसे झूम रहे होते है जैसे नशे में कोई झूमता है या कभी कभी अचानक हमारी आखों के अँधेरा छा जाता है और कुछ पल की लिए लगता है जैसे  हमे सुनना बंद हो गया हो , इस अवस्था को चक्कर आना या वर्टिगो कहते है। इसमें हल्का धुंधला या असंतुलन जैसा लगता है।  ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। चक्कर आने की अवस्था में हमारे वो अंग प्रभावित होते है जिन्हे हम सेन्स (आँख और कान ) कहते है। आमतौर पर चक्कर आना कोई बीमारी नहीं है बल्कि ये शरीर में हो रही किसी समस्या का एक लक्षण हो सकता है। 
चक्कर आना तीन प्रकार का होता है। 

    Lack of this vitamin D can cause repeated migraine pain - इस ...
  1. ऑब्जेक्टिव ------- इसमें व्यक्ति को लगता है की आसपास की चीजे घूम रही है। 
  2. सब्जेक्टिव -------- इसमें व्यक्ति को लगता है की और खुद घूम रहा है। 
  3. स्यूडो वटॉइगो------ इसमें व्यक्ति को अपने सर के अंदर घूमने का अहसास होता है। 

क्या लक्षण होते है चक्कर आने के ? 

 चक्कर आने के कई लक्षण होते है जैसे चक्कर आने के साथ  शरीर का असंतुलित होना या अस्थिर होना,  ऐसा आभास होना कि हम गिर पड़ेगे। , सर घूमने के साथ उलटी या एहसास होना ,  सर घूमने के साथ ज्यादा पसीना आना , चककर आने के साथ कानों में साय साय की आवाजे आना या ऐसा लगना कि सुनना बंद हो गया हो। चक्कर आना (dizziness) : कारण लक्षण, बचाव ...

हमें चक्कर क्यों आते है ?

 चक्कर आना कोई  बीमारी नहीं  ये शारीरिक समस्या का लक्षण हो सकता है जैसे 
आंखों से धुंधला दिखाई देने लगे तो ...
  • कम रक्तचाप-----इस अवस्था में  मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति कम होने लगती है। 
  • माइग्रेन---- इस बीमारी में सर में तेज दर्द होता है और चक्कर आते है।
  • रक्त में शक़्करा का कम होना----- मधुमेह की बीमारी के कारण  जब उपवास या लम्बे समय तक भोजन न करने से शरीर का ऊर्जा का स्तर गिर जाता है यानि रक्त में  ग्लूकोज़ कम होने के कारण  । 
  • असंतुलित रक्तचाप ---- रक्तचाप का लगातार  कम होना  या बढ़ना जिसका कारण कोई गंभीर बीमारी हो सकता है । diabetes reason symptoms treatment yogasan in hindi कैसे ...
  • ज्यादा गर्मी के कारण---- इस अवस्था में गर्मी के कारण ज्यादा पसीना आने के कारण शरीर में पानी ,मिनरल्स और विटमिन की कमी हो जाती है। 
  • लम्बी बीमारी ----- लम्बी बीमारी के कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाने से शरीर में कमजोरी आ जाती है। 
  • अत्यधिक चिंता या शोक की अवस्था में ---- कभी कभी जीवन में ऐसा भी समय आता है कि हमें अचानक किसी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है या कोई बड़ा नुकसान या हानि हो जाती है.
  • ज्यादा थकान ---- जरुरत से ज्यादा अचानक शारीरिक श्रम या व्यायाम  करने के कारण थकान हो जाती है। ऐसी अवस्था में शरीर की ऊर्जा यानि ग्लूकोज़ कम हो जाता है। 
  •  मिर्गी का दौरा ---- इस प्रकार के दौरे में अचानक शरीर में ऐठन आ जाती है इस अवस्था में एक साथ शरीर की काफी ऊर्जा ख़तम हो जाती है। 
  • लम्बे उपवास के कारण ------ इस अवस्था में लम्बे उपवास के कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जो शरीर की कमजोरी का कारण है। anemia symptoms and treatment: Anemia के बारे में ये ...
  • शरीर में खून की कमी ---- शरीर में खून की कमी को एनीमिया भी कहा जाता है।शरीर में खून की कमी के कारण शरीर के सभी अंगों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती है जिसके कारण शरीर में पोषक तत्वों का अवशोषण सही प्रकार से नहीं होता है और शरीर में कमजोरी रहती है। 
  • गैस बनना ----- कभी कभी अपचन के कारण शरीर में गैस बन जाती है जो सिर पर चढ़ने लगती है। 
  • तेज बुखार के कारण ----- तेज बुखार आने के कारण शरीर में पानी और मिनरल्स की कमी हो जाती है। 

क्या करे जब ज्यादा चक्कर आये ? 


  • ज्यादातर चक्कर तभी आते है जब व्यक्ति चलता या घूमता है। यदि सर घूमता हुआ लगे तो तुरंत बैठ या लेट  जाना चाहिए। 
  • अपने सर को पैरों के पास करने की कोशिश करनी चाहिए इससे सर की तरफ रक्त संचार बढ़ेगा। मिनटों में ऐसे उतारें हैंगओवर
  • तुरंत ऊर्जा देने वाला तरल पदार्थ जैसे नींबू की शिकंजी , नारियल पानी ,ग्लूकोज , फलों का रस  आदि का सेवन करना चाहिए क्योकि अधिकतर  चक्कर कम रक्तचाप के कारण आते है।
  • मधुमेह में जब रक्त में शकर्रा कम हो जाती है तो चक्कर आते है इस अवस्था में खाने में ऐसी चीजे लेनी चाहिए जिसमे चीनी और कार्बोहायड्रेट ज्यादा हो। चक्‍कर आना और सिरदर्द, लो बीपी का भी ...
  • चक्कर आने की अवस्था में गहरी गहरी साँस लेनी चाहिए इससे शरीर में ऑक्सीजन ज्यादा जायेगी और मन शांत अवस्था में आएगा और आराम मिलेगा। 
  • कभी कभी चक्कर आने का कारण तेज रौशनी और चमक हो सकता है। रोगी को शांत और अँधेरे कमरे में लेटने या बैठने से आराम मिलता है। 
  • यदि चक्कर बार बार आते है तो व्यक्ति को गर्दन और सर घुमाने के व्यायाम करने चाहिए। क्योकि चक्कर आने का कारण गलत पोस्चर में काम करना यानि ज्यादा सर झुका कर कंप्यूटर ,लेपटॉप या मोबइल पर काम करना होता है।  बहुत देर तक सर झुका कर रखने से चक्कर आते है। 
  • सर की चोट लगने के बाद यदि चक्कर आते है तो न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए। 
  • यदि चक्कर आने की समस्या ज्यादा हो तो डॉक्टर से सलाह  लेनी  चाहिए। 

चक्कर आने के कुछ घरेलू उपचार 


  1. घी में भुनी मुन्नका का सेवन दिन में तीन बार करने से आराम मिलता है। 
  2. तुलसी के रस में काली मिर्च मिलाकर सुबह शाम सेवन करे। 
  3. तुलसी रस , अदरक का रस और शहद मिलाकर सुबह शाम लेने से बहुत जल्दी आराम आता है। 
  4. चीनी और सूखा धनिया मिलाकर पाउडर बना ले फिर दो चम्मच सुबह शाम ले। 
  5. गर्म पानी में नीबू का रस मिलाकर दिन में तीन चार बार ले। 
  6. Amla (Amalaki) Hair/Massage Sesame Oil Ayurvedic Bulk
  7. छोटी इलाइची को गुड़ के साथ काढ़ा मिलाकर सुबह शाम लेने से तकलीफ में आराम मिलता है। 
  8. जिन लोगों को खून की कमी है उनको गाजर और चकुंदर का रस नियमित लेना चाहिए। 
  9. यदि उपवास रखा है तो शरीर में पानी और मिनरल्स की कमी न होने दे इसके लिए थोड़ी थोड़े अंतराल पर पानी , नीबू की शिकंजी , नारियल पानी , फलों का रस आदि लेते रहे। 
  10. डायबिटीज के रोगी को लम्बे समय तक भूखा रहने से बचना चाहिए। इन लोगों को हमेशा अपनी जेब में चीनी की पुड़िया या मीठी टॉफी या चॉकलेट रखनी चाहिए। चक्कर आने पर करे ये उपाय, मिलेगी राहत ...
  11. अदरक चक्कर रोकने के लिए सबसे अच्छी होती है।अदरक मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बढ़ता है।  जब भी चक्कर आए , मुँह में अदरक के छोटे छोटे टुकड़े चूसे। अदरक की चाय का सेवन करे। 
  12. नियमित नीबू , आंवला  , शहद का सेवन करने से शरीर में रोगों से लड़ने के प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं तथा शरीर को आवश्यक विटामिन और मिनरल्स मिलते है जो शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए जरुरी होते है। 
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Wednesday, April 8, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : थायराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों...

शरीर रहे स्वस्थ : थायराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों...: थाइराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों ?  इस आधुनिक जीवन में अधिकतर लोग तनावपूर्ण जीवन जीते है। ज्यादा तनाव में रहने की कारण ...

थायराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों ?

थाइराइड समस्या एक साइलेंट किलर जैसी है जानिए क्यों ? 

इस आधुनिक जीवन में अधिकतर लोग तनावपूर्ण जीवन जीते है। ज्यादा तनाव में रहने की कारण शरीर में अनेकों विकार उत्पन हो जाते है ये ही विकार आगे चल कर गंभीर बिमारियों का कारण बन जाते है। आजकल की ख़राब जीवन शैली और तनाव के कारण हमारे शरीर के हार्मोन्स सही तरह से काम नहीं कर पाते है जिसके कारण कई प्रकार की शारीरिक परेशानियाँ हो जाती है।ऐसे ही विकारों में एक विकार थायराइड ग्रंथि का सही से काम न करना है यानि थायराइड नाम का हार्मोन्स का कम बनाना या न बनना होता है । थायराइड ग्रंथि का सही से न काम करने के कारण शरीर में अनेकों परशानियाँ हो जाती है जैसे मोटापा , मांसपेशियों में दर्द , अचानक वजन कम होना आदि।थायराइड की बीमारी शुरू में किसी को पता नहीं चलती है क्योकि इस बीमारी के शुरू के लक्षण किसी को समझ नहीं आते है। थायराइड के रोगों को अगर साइलेंट किलर भी कहे तो गलत नहीं होगा क्योकि  इसके सभी लक्षण जल्दी पकड़ में नहीं आ पाते है। यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए तो ये धीरे धीरे मृत्यु की और ले जाती है। 

थायराइड की समस्या औरतों को क्यों ... क्या होती है थायराइड ग्रंथि -------हमारे गले में एक  छोटी से ग्लैंड  होती है। ये एंडोक्राइन ग्लैंड गले के आगे के हिस्से में तितली के आकार की होती  है इसी ग्लैंड को  थायराइड ग्रंथि कहते है  इसी ग्लैंड से थायराइड हार्मोन (जो की आयोडीन के मदद से बनता है ) निकलता है  जिसका  काम शरीर के मेटाबॉलिज़्म को नियंत्रित करना होता है। हम जो भी खाते है उस खाने को ऊर्जा में बदलने का काम ये छोटी सी ग्लैंड  करती है और ये ही छोटी सी ग्लैंड  हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल ,हमारी हड्डियाँ , दिल और हमारी मांसपेशियों को भी प्रभावित करती है। यदि थायराइड ग्लैंड से हार्मोन कम या ज्यादा स्त्राव हो तो समस्या उत्पन्न हो जाती है। 

थायराइड से होने वाली समस्या ----- 
* हाइपोथायराइडिज्म   ----  इसमें थायराइड ग्लैंड एक्टिव नहीं होता है जिसके कारण शरीर की आवश्यकता के अनुसार टी 3 ,और टी 4 हार्मोन नहीं पहुंच पाता है जिसके कारण शरीर में अनकों परेशानियां उत्पन्न हो जाती है।  यदि किसी को परिवार में इस तरह की परेशानी है तो घर के अन्य सदस्यों को भी ये इस तरह की परेशानी हो सकती है।  ज्यादार ये समस्या छोटे  बच्चों में पायी जाती है जिसका दवाओं से उपचार संभव  है। इस समस्या के लक्षण निम्न है। There Are Two Types Of Thyroid, Know It In Hindi | दो तरह ...
 शरीर का अचानक वजन कम हो जाता है।
इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। 
शरीर थका थका सा रहता है यानि सुस्ती छाई रहती है। 
अनियमित पीरियड
कब्ज की शिकायत
चेहरे और आँखों पर सूजन आना
बालों का झड़ना
त्वचा का रुखा और पतला होना
डिप्रेशन
मांसपेशियों में अकड़न 
गला बैठना
इस समस्या के लिए टेस्ट और उपचार ------
थायराइड टेस्ट क्या है - टी एस एच, टी 4 ...
हाइपोथायरोडिज्म में हार्मोन का स्तर जांचने के लिए कुछ ब्लड टेस्ट  जैसे 
TSH यानि थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन्स 
टी 4 (थायरोक्सिन )
थायराइड अल्ट्रासाउंड 
थायराइड स्कैन 
हाइपोथाइरोडिज्म का इलाज ---- इस समस्या के इलाज में  डॉक्टर थायराइड हार्मोन टी 4 (मैन मेड सिंथेटिक हार्मोन) गोली कहने की सलाह देते है।  
समय समय पर थायराइड हार्मोन के स्तर  की जाँच की जाती है ताकि हार्मोन की दवा की सही मात्रा दी जा सके। 

 हाइपरथाइराडिज़्म

 इस समस्या में थाइराइड ग्लैंड ज्यादा एक्टिव हो जाती है जिसके कारण टी 3 ,टी 4  हार्मोन खून में ज्यादा पहुंच जाता है। ये थायराइड ग्लैंड में अतिरिक्त टिशू बनने के कारण होती है।  इसके लक्षण कुछ साफ़ नहीं होते है ये किसी और बीमारी से मिलते जुलते भी हो सकते है। कुछ लोगों का इस समस्या में ग्लैंड बड़ा हो जाता है जिसे घेघा या गोइटर भी कहते है। यदि ज्यादा मात्रा में आयोडीन का सेवन किया जाये तो ये समस्या हो  सकती है।  इस समस्या के ये लक्षण हो सकते  है। 
भूख ज्यादा लगती है पर वजन अचानक कम हो जाता है। 
मासपेशियाँ कमजोर हो जाती है। 
घबराहट , चिंता या बेचैनी हो सकती है 
हाथ का कंपना 
सुस्ती 
कब्ज 
धीमी ह्रदय गति 
पीरियड में अनियमता 
थायराइड में रखें अपना विशेष तौर पर ...गर्भपात 

क्या कारण होते है हाइपरथाइराडिज़्म 

* यदि थायराइड ग्लैंड बढ़ जाये (जो की घेघा नाम की बीमारी होती है ), तो हार्मोन्स बनाने की क्षमता कम हो जाती है।
*ज्यादा मात्रा में सोया पदाथों का सेवन करना। 
*कभी कभी किसी दवा के साइड इफ़ेक्ट के कारण भी थायराइड समस्या हो सकती है। 
* शरीर में आयोडीन की कमी या अधिकता के कारण। 
* लेज़र के उपचार के साइड इफेक्ट्स। 
* ज्यादा तनाव में रहना। 
* परिवार की हिस्ट्री यानि परिवार में किसी सदस्य को ये समस्या है तो परिवार के अन्य सदस्यों को ये समस्या होने का संदेह रहता है। 
* गर्भावस्था में या बच्चे के जन्म के बाद ये समस्या कुछ समय तक हो सकती है कुछ समय अंतराल ये         समस्या अपने आप गायब हो जाती है। 
* मोनोपॉज के समय क्योकि इस दौरान महिलाओं में हार्मोन्स में तेजी से बदलाव होते है। 
* विटामिन ए की कमी के कारण। 
* वायरल इन्फेक्शन के कारण। 
* ध्रूमपान 
* कुछ हानिकारक पदार्थ जैसे कीटनाशक ,प्लास्टिक ,जीवाणुरोधी उत्पाद और किसी किसी को ग्लूटेन लेने से भी ये समस्या हो सकती है। 
एंटी-टीपीओ (थायराइड पेरोक्सिडेस ...

हाइपरथाइराडिज़्म की समस्या का पता लगाने के लिए इन टेस्ट की जरुरत होती है।

इस समस्या के लिए टेस्ट और उपचार 
 हार्मोन का स्तर जांचने के लिए कुछ ब्लड टेस्ट  जैसे
TSH यानि थायराइड  स्टिमुलेटिंग हार्मोन्स ---
टी 4 (थायरोक्सिन )
थायराइड अल्ट्रासाउंड
थायराइड स्कैन
हाइपरथाइराडिज़्म का इलाज
हाइपरथाइराडिज़्म की समस्या में डॉक्टर कुछ ऐसी दवा जैसे propythiouracil एंड methimazole दवा देते है जो थाइराइड ग्लैंड को नए हार्मोन्स बनाने से रोकता है परन्तु इस तरह की दवा के साइड इफेक्ट्स हो सकते है।
कभी कभी थायराइड ग्लैंड का कुछ हिस्सा सर्जरी के द्वारा निकला जाता है पर पूरी जिंदगी थायराइड की दवा खानी पड़ती है। थायराइड में क्या खाएं और क्या न खाएं

थायराइड का स्तर  कम रखने के लिए उपाय ------


  1. यदि आप थायराइड हार्मोन को संतुलित करने की दवा का सेवन कर रहे है तो फ्राइड फ़ूड का सेवन न करे क्योकि फ्राइड भोजन के साथ ये दवाएँ अपना असर नहीं करेगी। 
  2. थायराइड की समस्या में चीनी का प्रयोग न करे। 
  3. ज्यादा कॉफ़ी थायराइड की समस्या को बढ़ा देता है इसलिए कॉफ़ी का प्रयोग कम करे। 
  4. ब्रोकली बंदगोभी और फूलगोभी का सेवन थायराइड की समस्या में न करे खासतौर पर यदि आप इस समस्या की दवा का सेवन कर रहे है। 
  5. ग्लूटेन वाले प्रोडक्ट्स का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ग्लूटन प्रोडक्ट्स में  पाए जाने वाले प्रोटीन थायराइड की समस्या को बढ़ा देते है 
  6. सोया पदार्थों का सेवन कम या न करेहाइपरथाइरॉयडिज्म क्या है

थायराइड हार्मोन्स को कैसे कण्ट्रोल में रखा जा सकता है ?

थायराइड हार्मोन्स को खाने पीने की चीजों से भी कंटोल किया जा सकता है। खाने में उचित मात्रा में आयोडीन वाली चीजों जैसे आयोडीन युक्त नमक , सी फ़ूड का सेवन का सेवन करे। फाइबर युक्त कम वसा वाले पदार्थ का सेवन करे। व्यायाम करे और अपने शरीर को एक्टिव रखे।  अपने को अधिक तनाव में न रखें। हरी सब्जियाँ , साबुत अनाज ,ऑलिव आयल , सिट्रस फ्रूट्स का सेवन , हर्बल और ग्रीन टी का सेवन ,अखरोट ,जामुन , गाजर ,हरी मिर्च और शहद का सेवन करे। मैदा और चीनी से बने पदार्थों का सेवन न करे। 




  

Thursday, March 26, 2020

शरीर रहे स्वस्थ : पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं

शरीर रहे स्वस्थ : पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं: पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं  पैर भी हमारी सेहत का आईना है जो हमारे शरीर में होने वाली परेशानियों को बता देते है। हमारे प...

पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं

पैरों के ये संकेत किसी बीमारी की आहट तो नहीं 

पैर भी हमारी सेहत का आईना है जो हमारे शरीर में होने वाली परेशानियों को बता देते है। हमारे पैरों से हमारे शरीर की बिमारियों  के संकेत मिलते है जो  एक तरह की खतरे की घंटी होते है जो हमें बताते है की कही कुछ खराबी है। यदि हम इन संकेतों पर समय रहते  ध्यान दे तो शरीर में हो रही बिमारियों का इलाज समय पर करा सकते है।
सूखे पपड़ीदार पैर -----  यदि आपके पैर तेल आदि लगाने के बाद भी सूखे सूखे पपड़ीदार रहते है तो ये लक्षण थाइराइड की और इशारा करते है। यदि ऐसा आपके साथ हो रहा है तो तुरंत अपना थाइराइड टेस्ट करवाए।
पैर का जख्म ----- यदि कई दिनों तक आपका पैर का जख्म सही नहीं हो रहा है इसका कारण खून में शुगर की मात्रा अधिक होने का यानि डाइबिटीज का लक्षण हो सकता है।  डाइबिटीज में खून की नसें कमजोर और क्षतिग्रस्त हो जाती है जिसके कारण पैरों में ज्यादा परेशनियाँ होती है।  इसलिए अपने खून की जाँच करवाए।
Image result for pero me sujan aane ka karan kidneyपैरों में ऐठन ----- यदि आपके पैरों में ऐठन होती है तो इसका मतलब आपके शरीर में किसी तरह के तरल पदार्थ की कमी है या आपके पैरों का ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं हो रहा है। ये भी डाइबिटीज के कारण हो सकता है।
पैरो के अँगूठों में दर्द ----- यदि पैरों के अँगूठों में दर्द रहता है तो ये इस बात का संकेत है की आपके शरीर में प्यूरिन (एक प्रकार का केमिकल होता है जो कुछ खाद्य पदार्थों जैसे मीट , मछली ,कुछ तरह के अलकोहल  में होता है। ) की मात्रा ज्यादा है। प्यूरिन शरीर में यूरिक एसिड को बढ़ा देता है। यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा होना हमारे शरीर के लिए हानिकारक है। इसके लिए हमें ऐसे आहार को कम करना होता है जो हमारे शरीर में यूरिक एसिड बढ़ाते है।  
पैरों की उँगलियों का आगे से चौड़ा और मोटा होना ---- यदि पैरों की उँगलियों का आगे का हिस्सा चौड़ा और मोटा हो तो ये फेफड़ों में संक्रमण ,हार्ट प्रॉब्लम ,या आंतों की बीमारी का संकेत है। डॉक्टर से मिलकर सभी आवश्यक जाँच करनी चाहिए।
Image result for dharidar nakhunपैरों के पीले नाख़ून ---- पैरों के पीले नाखून इस बात का संकेत करते है कि आपके शरीर में किसी तरह की कोई बीमारी है जैसे स्किन संबंधी बीमारी या कैंसर की बीमारी। यदि ऐसा हो तो अपने डॉक्टर से जरूर मिले।
पैरों के अंगूठे पर लाल धारियों का होना ----- पैरों के अंगूठे पर लाल धारियों का होना मतलब हार्ट में इन्फेक्शन होना है ऐसा तब होता है जब हार्ट वेन्स टूट जाती है। कीमोथेरिपी ,एचआईवी या डाइबिटीज का संकेत होता है यदि ऐसा नजर आये तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।
Image result for pero me sujan aane ka karan kidneyपैरों में सूजन ---- यदि पैरों में सूजन किडनी से जुडी कोई समस्या या एनीमिया हो सकता है यदि पैरों में झनझनाट हो ये डाइबिटीज या कम बलूड़सर्कुलेशन के भी लक्षण हो सकते है।
पैरों में बदबू का आना ---- यदि पैरों में बदबू आती है तो ये पैरों में इन्फेक्शन की और इशारा करते है। पैरों के इन्फेक्शन में पैरों में खुजली होना, छाले होना ,उँगलियों के बीच सूखापन या सूजन होना। इसके लिए डॉक्टर की सलाह ले। 

गर्मियों में इन उपायों के साथ खुद को स्वस्थ रखना कोई मुश्किल काम नहीं।

  गर्मियों में इन उपायों के साथ खुद को स्वस्थ रखना कोई मुश्किल काम नहीं।  गर्मियों के मौसम में खुद को स्वस्थ रखना एक बहुत बड़ी चुनौती  ह...